संस्कार भारती कला संकुल में “स्वतंत्रता समर के गुमनाम सेनानी” विषय पर प्रदर्शनी
नई दिल्ली, 4 मार्च 2022। भीमबेटका शैल आश्रय के खोजकर्ता पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर की पुण्यतिथि के अवसर पर गत वर्ष निर्मित संस्कार भारती के केंद्रीय कार्यालय ‘कला संकुल’ के कला दीर्घा प्रथम तल में संस्कार भारती दिल्ली प्रान्त द्वारा आगामी 6 मार्च से 15 मार्च तक “स्वतंत्रता समर के गुमनाम सेनानी” विषय पर दृश्यकला प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में प्रसिद्ध मूर्तिकार एवं चित्रकार पद्मश्री विमान दास की अध्यक्षता में अखिल भारतीय संगठन मंत्री संस्कार भारती एवं दिल्ली प्रान्त संस्कार भारती से कई गणमान्य व्यक्ति अपेक्षित हैं।
उल्लेखनीय है राष्ट्र वर्तमान समय में स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है, इस सन्दर्भ में संस्कार भारती दिल्ली की कार्यकारिणी दिल्ली क्षेत्र के ऐसे सेनानियों को सांस्कृतिक प्रदर्शन द्वारा लोगों में इसके प्रति जागरूकता प्रसारित करने हेतु इसका आयोजन कर रही है।
प्रदर्शनी के सन्दर्भ में दिल्ली प्रान्त कार्यकारी अध्यक्ष प्रभात कुमार ने बताया की प्रदर्शनी प्रतिदिन प्रातः 11 बजे से सायं 5 बजे तक अवलोकनार्थ खुली रहेगी, साथ ही कला प्रेमियों हेतु प्रदर्शनी निशुल्क है। परन्तु महामारी को ध्यान में रखते हुए सामाजिक दूरी का पालन आवश्यक है।
ज्ञात हो कला संकुल संस्कार भारती के नवनिर्मित मुख्यालय ‘कला संकुल’ का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने किया था। 33 दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर स्थित कला संकुल मूलतः कला-संस्कृति गतिविधि परिसर है, जिसमें कला, साहित्य, रंगमंच सहित अनेकों विधाओं का संयोजन एवं संवर्धन किया जाता है। कला संकुल में कला-संस्कृति की पुस्तकों से सुसज्जित एक समृद्ध पुस्तकालय, आर्ट गैलरी, सभागार, स्टूडियो एवं कांफ्रेंस रूम की सुविधा उपलब्ध है।
संस्कार भारती परिचय
संस्कार भारती एक सांस्कृतिक संगठन है, जो भारत की परम्परागत शास्त्रीय, लोक और आधुनिक कलाओं के माध्यम से लोक जीवन में राष्ट्रीय मूल्यों के बीजारोपण के लिए कृत संकल्पित एवं प्रयत्नशील है। मूल्य आधारित कला व मनोरंजन द्वारा व्यक्ति का विकास ही संस्कार भारती का लक्ष्य है। प्राचीन और आधुनिक के समन्वय और प्रतिभाशाली युवा कलाकर्मियों को नए प्रयोग की भूमि प्रदान करने में संगठन का विश्वास है ताकि भारत की कला धरोहर नित आगे बढ़ती रहे और नए क्षितिज प्राप्त करे। संस्कार भारती ‘सा कला या विमुक्तये’ की संकल्पना को लेकर कला एवं संस्कृति के उन्नयन में बीते चार दशकों से नित्य निरत है। अपने इन्हीं उदेश्यों को मूर्त रूप देने के लिए ‘कला संकुल’ की स्थापना की गई है।