सर्वे सन्तु निरामया: के संकल्प के साथ सेवा पथ को समर्पित संघ
जैसे-जैसे राजस्थान में कोरोना महामारी का दुष्प्रभाव बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे संघ की ओर से सेवा कार्यों की व्यापकता एवं विविधता भी बढ़ती जा रही है। इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा राजस्थान के प्रत्येक जिले में सभी स्तरों पर प्रशासन से संवाद, सहयोग व समन्वय करते हुए कई प्रकार के सेवा कार्य किए जा रहे हैं। ये कार्य राजस्थान में नगरीय शाखाओं के माध्यम से लगभग 9 हजार स्वयंसेवकों द्वारा 15 मार्च से अनवरत जारी हैं।
इन कार्यों में प्रारंभ में काढ़ा पिलाना, पत्रक वितरण, सोशल मीडिया पर पोस्टर भेजकर जागरूकता लाने जैसे कार्य शामिल हुए। कई स्थानों पर यातायात संभालना, लोगों को घर पर ही रहने का आग्रह करने में भी स्वयंसेवकों ने पुलिस के साथ सहभागिता निभाई। वीडियो के माध्यम से जनता कर्फ्यू, लॉकडाउन को सफल बनाने में प्रशासन का सहयोग किया। स्वच्छता के कार्यों में सैनिटाइजर बनाना, उसका छिड़काव करना, मास्क बनाना, साबुन, मास्क वितरण करना आदि भी शुरू किए गए। इसी कड़ी में जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में अचानक मास्क की कमी आने से वहां 5000 की संख्या में मास्क की आपूर्ति भी की गई।
भोजन पैकेट तो संघ हर आपदा के कार्य में वितरित करता ही रहा है। इस बार भी हजारों की संख्या में भोजन पैकेट पूरे राजस्थान में प्रतिदिन विशेषकर जवाहर नगर के टीबों जैसी वंचित वर्ग व घूमन्तु लोगों की बस्तियों को ध्यान में रखते हुए पहुंचाए जा रहे हैं। परिवार की 7 दिन की आवश्यकता देखते हुए इस बार बहुत बड़ी मात्रा में कच्ची सामग्री भी पैकेट बनाकर वितरित की जा रही है। उदाहरण के लिए फुलेरा की शाखा की टोली बड़ी संख्या में ऐसे पैकेट तैयार कर प्रतिदिन बांटने जाती है। वहां संघ के खंड कार्यवाह महेश कुमार का कहना है कि यह व्यवस्था करने की क्षमता में कई माह तक कोई कमी नहीं आ सकती। संघ के स्वयंसेवकों का ध्यान प्राणिमात्र पर भी है, पशु पक्षियों के लिए चारा-चुग्गे की व्यवस्था में भी कई स्वयंसेवकों की टोलियां लगी हुई हैं।
भ्रामक अफवाहों के कारण असंगठित क्षेत्र के जो प्रवासी श्रमिक अपने गांव की तरफ लौटने लगे, उनको समझाकर जहां है वहीं रहने के लिए तैयार करने में भी संघ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रशासन से मिलकर प्रवासी श्रमिकों के निवास व उनके भोजन की व्यवस्था भी की गई है। विशेषकर प्रतापगढ़, उदयपुर, आबूरोड, बाड़मेर ग्रामीण के सायरा प्रखंड, सांगानेर, दौसा, भरतपुर आदि स्थानों पर प्रवासी श्रमिकों के भोजन की व्यवस्था भी की गई थी।
सैम्पल सर्वे व सोशल डिस्टेंस में सहयोग
सोशल डिस्टेंसिंग के लिए राशन किराने की दुकान, सब्जी मंडी, दूध की दुकानों के बाहर एक-एक मीटर की दूरी पर रेखांकन कर नागरिकों को पंक्तिबद्ध व गोलों में खड़े होने के लिए प्रेरित करने का काम भी स्वयंसेवक कर रहे हैं। श्रमिकों के पलायन व तबलीगी जमात के देश भर में फैलाव के कारण सामाजिक संक्रमण न फैले, इसके लिए कई स्थानों पर स्वास्थ्यकर्मियों के साथ मिलकर सर्वे के कार्य में भी सहयोग किया जा रहा है। यह कार्य विशेष रूप से भीलवाड़ा जिले के स्वयंसेवक कर रहे हैं।
चिकित्सा राहत कार्य
सर्वे व राहत सामग्री पहुंचाते समय चिकित्साकर्मियों के फोन नंबर सहित सूची भी आमजन तक पहुंचाई जा रही है। अजमेर व जयपुर की इकाई में सतत रक्तदान का कार्य भी चल रहा है। इस महामारी के समय बड़ी संख्या में जो बुजुर्ग एकल दंपती के रूप में रहते हैं, उन परिवारों की देखभाल और उनको राशन सामग्री भी स्वयंसेवक आदर-सम्मान के साथ पहुंचा रहे हैं।
समाज का मनोबल बढ़ाने और उत्साह बनाए रखने के लिए भी कुछ टोलियां कार्यरत हैं। विशेषकर कमल स्वामी के देखरेख में मनोवैज्ञानिक चिकित्सकों की भी एक टोली गठित की गई है जो आवश्यकता पड़ने पर तुरंत सहयोग दे सके। कुछ स्थानों पर प्रशासन की ओर से सहयोग की अपेक्षा किए जाने पर स्वयंसेवक कुछ अस्थाई शिविरों में अपनी सेवा देने के लिए भी तैयार हैं।
संघ अपने प्रारंभिक काल से ही अपने सेवा कार्य सम्पूर्ण मानवता के लिए बिना भेदभाव के उन पीड़ितजनों तक पहुंचाता आया है, जिन्हें आपदा में सबसे अधिक आवश्यकता रहती है, चाहे वह किसी भी जाति, मत, पंथ का हो, उससे संघ को कोई अन्तर नहीं पड़ता। इस बार भी ऐसे जो अभावग्रस्त परिवार हैं, उन परिवारों का चयन करने में प्रशासन का सहयोग भी किया जा रहा है।
पूर्व में आई आपदाओं में सेवाकार्य कर चुके स्वयंसेवकों का अनुभव भी कई जगह काम आ रहा है। कई अन्य सामाजिक संस्थाएं भी उनके इस अनुभव से अपने सेवा प्रबंधन को मजबूत कर रही हैं।
‘जहां अपेक्षित-वहां उपस्थित’, संघ का यह अनुशासन सेवाकार्यों में भी साफ झलकता है, चाहे वह संघ विचार से प्रेरित स्वयंसेवक हों या राष्ट्र सेविका समिति, सेवा भारती, विद्या भारती, नेशनल मेडिको आर्गेनाइजेशन, आरोग्य भारती, सक्षम, भारत विकास परिषद, विश्व हिंदू परिषद, विद्यार्थी परिषद, वनवासी कल्याण परिषद व सीमा जन कल्याण समिति जैसे संगठन।
सोशल मीडिया पर स्वयंसेवकों ने जन सहभागिता से सेवा फॉर सोसाइटी व इंडिया थैंक्स ट्विटर ट्रेंड चलवाए ताकि सकारात्मक वातावरण बने और कोरोना के योद्धाओं का अभिनंदन हो सके।
सेवा से सम्बंधित सभी कार्य स्वयंसेवकों द्वारा व संघ हितैषी परिवारों से आर्थिक सहयोग प्राप्त कर किए जा रहे हैं। भारतीय किसान संघ द्वारा गंगानगर जिले में गांव-गांव में घर-घर से एक-एक कटोरा गेहूं का संग्रह करने का कार्य इस सेवा महायज्ञ में जन-जन को आहुति देने के अवसर के समान है। सेवा के पथ पर चलते संघ के स्वयंसेवक एक ही शुभंकर मंत्र गुनगुनाते हैं, ‘चरैवेति-चरैवेति’।