मेवात में साइबर ठगों के घरों में लगी हैं एटीएम मशीनें
मेवात में साइबर ठगों के घरों में लगी हैं एटीएम मशीनें
भरतपुर। साइबर ठगी के मामलों में इस समय मेवात का नाम सबसे आगे है। यहॉं ठगों द्वारा न जाने कितने लोगों को अब तक शिकार बनाया जा चुका है। पुलिस द्वारा ठगी रोकने के सारे उपाय विफल हो चुके हैं। साइबर ठगी के प्रकरण लगातार बढ़ रहे हैं। ठगों का स्तर यह है कि इन्होंने थर्ड पार्टी रजिस्ट्रेशन करवा कर अपने घरों व मनचाहे गुप्त स्थानों में एटीएम मशीनें लगा रखी हैं। कई बैंकों में इनके फर्जी खाते हैं। यहां तक कि ये ठग सरकारी अधिकारियों और नेताओं तक को अपना शिकार बना चुके हैं। परंतु पकड़े नहीं जाने के कारण ठगी के मामले खुलेआम जारी हैं।
पुलिस के अनुसार गत एक वर्ष में 45 एटीएम मशीनें बैंकों से बातचीत करके बंद करवाई जा चुकी हैं। 5 एटीएम मशीनें जब्त भी हो चुकी हैं। ठगी के आरोप में 300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें से 200 से अधिक आरोपी अन्य राज्यों की पुलिस को सौंपे गए हैं। समय समय पर पुलिस ठगों की फर्जी मोबाईल सिम भी ब्लॉक करवाती है, फिर भी ठगी के मामले कम नहीं हो पा रहे हैं।
वहीं साइबर क्राइम पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट का कहना है कि मेवात के ठग पिछले कुछ वर्षों में लगभग 200 करोड़ रुपए की ठगी कर चुके हैं। ये ठग, लोगों से ठगी का पैसा अपने फर्जी बैंक खातों में डलवाते हैं और उस पैसे को अपने घरों में लगे एटीएम से निकाल लेते हैं। बाद में पुलिस से शिकायत करने के बाद भी पीड़ित का पैसा न तो बैंक होल्ड कर पाता है और न ही उसके खाते को फ्रीज कर पाना सम्भव होता है। उन्होंने आगे बताया कि ठगों की गिरफ्तारी के लिए कई स्पेशल टीमें भी बनाई गई हैं। स्पेशल टीमों की मॉनीटरिंग एक्सपर्ट स्वयं करते हैं।
जानकारी के अनुसार, फर्जी एटीएम मशीनें कामां और जुरहरा क्षेत्र के गांवों में लगी हैं। इन क्षेत्रों में बामनी, सबलगढ़, गामड़ी, नौगावां आदि लगभग एक दर्जन से अधिक ऐसे गांव हैं, जहां इन ठगों ने गुप्त जगहों पर एटीएम मशीनें लगा रखी हैं। ठगी के कार्यों में गांवों के लोग भी संलिप्त रहते हैं। गुप्त ठिकानों पर लगे एटीएम से पैसा निकालना इनके लिए अधिक सुविधाजनक होता है।
इस प्रकार से ठगों का पूरा समूह इस क्षेत्र में कार्यरत है और मेवात में ठगी के मामलों को अंजाम दे रहा है।