सीक्रेट्स ऑफ सिनौली: मनगढ़ंत इतिहास पर तमाचा (डॉक्यूमेंट्री समीक्षा)
डॉ. अरुण सिंह
नीरज पांडे द्वारा निर्देशित डॉक्यूमेंट्री फिल्म “सीक्रेट्स ऑफ सिनौली” (2021) भारतवर्ष के गौरवशाली इतिहास को पुनः परिभाषित करने हेतु इंगित करती है और मनगढ़ंत “आर्यन थ्योरी” को फिर से झूठा साबित करती है।
वर्ष 2005 में दिल्ली से 67 किमी दूर उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के सिनौली गांव में 116 अंत्येष्टि स्थल और कई तांबे के ढेर मिले। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा 21 वीं सदी की यह सबसे महत्वपूर्ण खोज मानी जा रही है। उद्घोषक के रूप में अभिनेता मनोज बाजपई बताते हैं कि इस “देश का इतिहास बदला गया, दबाया गया, यह तक कहा जाने लगा कि इस देश की विशेषताएं, उपलब्धियां, और सभ्यता आक्रमणकारियों से प्रभावित हैं या फिर उन्हीं की देन हैं।” अंत्येष्टि स्थलों के साथ एक पूरी सभ्यता का विद्यमान होना एक प्राचीन, स्वर्णिम संस्कृति और इतिहास को प्रमाणित करता है। 1950 और 60 के दशकों में जो पाश्चात्य सिद्धांत प्रभावी थे, वे यहां सिरे से खारिज हो जाते हैं। ये अंत्येष्टि स्थल और तांबे के ढेर सिंधु घाटी सभ्यता और हड़प्पा सभ्यता से भिन्न हैं।
इस खोज के 13 वर्ष पश्चात् डॉ. संजय मुंजाल के नेतृत्व में 10 अंत्येष्टि स्थलों की खोज की गई। यहां मानव कंकालों का मिलना, डॉ. डी वी शर्मा के अनुसार, ऋग्वेद की श्रौत्र और स्मार्त परम्परा की ओर संकेत करता है। एक अवशेष में कंकाल के साथ खड़ी तलवार का होना किसी योद्धा की शौर्य गाथा कहता है। महिला अंत्येष्टि स्थलों में शस्त्रों का मिलना महिलाओं की युद्धों में सहभागिता सिद्ध करता है। डीएनए रिपोर्ट में यह भी सिद्ध हुआ है कि इन अंत्येष्टि स्थलों की वंशावली (ancestry) भारतीय है। इसमें कहीं भी यह सिद्ध नहीं हुआ कि इनकी जड़ें यूरोपीय हैं। एक 14 वर्षीय महिला का कंकाल किसी राजकुमारी का होना प्रतीत होता है। ऐसा दावा किया गया है कि ये सभी कंकाल अभिजात्य लोगों के हैं। बर्तन, अनाज, तलवारें, कॉपर चैनल्स इत्यादि एक समृद्ध संस्कृति का अस्तित्व बताते हैं। कलात्मक ढाल और तलवारों का प्रयोग में होना उस युग की उन्नत और परिष्कृत तकनीक को उजागर करता है।
इस अभियान की सबसे बड़ी खोज रही, रथ। रथ का मिलना आर्यन सिद्धांत का खोखलापन दर्शाता है, जो मानता है कि रथ भारत में काफी बाद में आया। डॉ. डी वी शर्मा इसे एक “पूर्व कल्पित” धारणा मानते हैं। वे स्पष्टतया कहते हैं कि यहां भी तथ्यों को मरोड़ा गया है। अब तक पाश्चात्य मत हावी रहे हैं। यह रथ सिकंदर से बहुत पहले की रचना है, जो 4000 वर्ष से अस्तित्व में है। रथ में घोड़ों के उपयोग भी माना गया है। यह दावा किया गया है कि मेसोपोटामिया और सुमेरिया के रथ इतने परिष्कृत नहीं थे।
समग्रतः डॉक्यूमेंट्री फिल्म सीक्रेट्स ऑफ सिनौली भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के गौरवशाली इतिहास में एक नए आयाम को स्थापित करने में मील का पत्थर सिद्ध होती है। अभी शोध होना शेष है, अतः बहुत सारे तथ्य भविष्य के गर्भ में हैं।
Very appropriate analysis Sir.