सीमा और अंजू मामले : दो देशों का अलग-अलग व्यवहार

सीमा और अंजू मामले : दो देशों का अलग-अलग व्यवहार

अवधेश कुमार

सीमा और अंजू मामले : दो देशों का अलग-अलग व्यवहारसीमा और अंजू मामले : दो देशों का अलग-अलग व्यवहार

भारत और पाकिस्तान से जुड़ी ऐसी कई घटनाएं समय-समय पर हमारे सामने आती हैं, जो दोनों देशों के चरित्र को स्पष्ट करती हैं। भारत की अंजू और पाकिस्तान की सीमा हैदर की घटना ऐसी ही है। पाकिस्तान से आई सीमा हैदर बता रही है कि उसने सचिन के प्यार में ही अपना देश छोड़कर भारत आने का निर्णय किया। कह रही है कि मैं हिन्दू बन चुकी हूं। उसके पूरे व्यवहार में कहीं भी परिलक्षित नहीं होता कि वह पाकिस्तान की मुस्लिम महिला है। बावजूद हमारे देश की मीडिया और एक बड़े समूह ने अभी तक उसे संदेह से बाहर नहीं निकाला है। उसे आईएसआई का षड्यंत्र या मोहरा से लेकर न जाने क्या-क्या साबित करने के प्रयास हुए। हां, बिना वीजा के भारत आने के कारण उसकी गिरफ्तारी हुई। इस समय वह जमानत पर है। सचिन का परिवार साथ नहीं होता तो उसकी जमानत लेने वाला कोई नहीं होता और वह जेल में होती। अब समाचार यह है कि सचिन के परिवार के सामने दिन रात के भोजन का संकट पैदा हो गया है। चूंकि परिवार पुलिस जांच के अंदर है इस कारण बाहर निकलना संभव नहीं। दैनिक कामकाज पर ही वह परिवार जीवित है। रबूपुरा में उसके परिवार ने गुहार लगाई है कि उन्हें बाहर काम करने की अनुमति दी जाए, नहीं तो उनके लिए भरपेट भोजन करना कठिन है। जिसे हमने आईएसआई एजेंट और न जाने क्या-क्या घोषित किया उसके सामने इस समय खाने के लाले हैं।

इसके समानांतर अंजू की स्थिति देखिए। वह पाकिस्तान में दुनिया की दृष्टि में खतरनाक क्षेत्र माने जाने वाले खैबर पख्तूनख्वा में है। नसरुल्लाह नाम के एक पाकिस्तानी मुस्लिम के प्यार में पड़कर वह अपने पति और परिवार से झूठ बोलकर निकली। पहले बताया जयपुर में हूं, फिर उसका पाकिस्तान से भी फोन आता रहा कि मैं यहां घूमने आ गई हूं जल्द वापस आऊंगी। उसने टेलीविजन इंटरव्यू में भी बता दिया कि निकाह की बात गलत है वह शीघ्र वहां से लौट कर आने वाली है। खैबर पख्तूनख्वा के पहाड़ों से उसकी नसरुल्लाह के साथ रोमांस करती तस्वीरें और वीडियो आती रहीं। अचानक एक वीडियो आया, जिसमें वह बुर्का पहने हुए कई लोगों के साथ निकाह के लिए जा रही है। उसके बाद उसके निकाह के समाचार आ गए। पाकिस्तान की मीडिया ने इस बात की पुष्टि कर दी कि अंजू इस्लाम अपना चुकी है, उसका नया नाम फातिमा है और अब वह नसरुल्लाह की निकाहशुदा बीवी है।

अभी तक उसके विरुद्ध भारत में सीमा हैदर की तरह किसी तरह की पुलिस जांच की सूचना नहीं है। इसके उलट उसके स्वागत करते लोगों द्वारा उसे गिफ्ट देती वीडियो और तस्वीरें आ रही हैं। समाचार यह भी है कि वहां के एक बड़े व्यापारी ने अंजू को न केवल बड़ा फ्लैट मुफ्त में दे दिया है, जिसकी कीमत 40 लाख है बल्कि बिना कोई नौकरी या काम किए मुफ्त में ही शानदार जिंदगी जीने की भी व्यवस्था हो रही है। खैबर पख्तूनख्वा के एक रियल एस्टेट कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहसिन खान अब्बासी ने अंजू और नसरुल्ला से उसके आवास पर मुलाकात की थी। अब्बासी ने अंजू को एक चेक दिया था, जिस पर कितनी धनराशि लिखी थी इसका खुलासा नहीं हुआ है। अंजू को 2722 वर्ग फुट जमीन के कागजात दिए गए ताकि वह पाकिस्तान में आराम से रह सके। नसरुल्लाह की चारों तरफ वाहवाही हो रही है मानो उसने ऐसा काम किया हो जिससे पाकिस्तान का सीना गर्व से फूल रहा हो।

यहां दोनों देश के लोगों के व्यवहार और राष्ट्रीय चरित्र के बीच मूलभूत अंतर स्पष्ट दिख रहा है। पाकिस्तान के लिए नसरुल्ला इसलिए हीरो है क्योंकि उसने वहां के एक बड़े वर्ग की दृष्टि में अपने जानी दुश्मन भारत की एक हिन्दू लड़की और वह भी शादीशुदा को मुसलमान बनाकर निकाह कर लिया। वहां सोशल मीडिया की कुछ प्रतिक्रियाओं को देखें तो ऐसा लगता है जैसे नसरुल्लाह ने अकेले भारत की इज्जत का अपहरण कर लिया है। पाकिस्तान की मुख्य मीडिया सीमा हैदर मामले पर पूरी तरह चुप थी, जबकि अंजू की पूरी चर्चा हो रही है। इसके उलट भारत की मीडिया सीमा हैदर के मामले में अवश्य अतिवाद की सीमा तक गया, लेकिन अंजू के विषय पर भी हमारे यहां समाचार और चर्चा हुई है। ऐसा नहीं है कि अंजू के विषय पर भारतीय मीडिया ने चुप्पी साध ली। वहां की मीडिया की चुप्पी बता रही थी कि एक मुस्लिम महिला का पाकिस्तान छोड़कर भारत आना, हिन्दू धर्म ग्रहण करना और एक हिन्दू लड़के से शादी कर लेना उनके लिए शर्म का विषय हो गया। इस्लामी कट्टरपंथ और भारत के संदर्भ में इसी सोच ने पाकिस्तान को एक राष्ट्र के रूप में रसातल पर पहुंचा दिया। हालांकि वहां भी ऐसे लोग खड़े हो गए हैं जो उस मानसिकता का विरोध करते हैं। किंतु कट्टरपंथ वहां की ऐसी सशक्त धारा है जो गैर मुस्लिमों का पाकिस्तान की भूमि पर होने को ही इस्लाम विरुद्ध मानती है। यही कारण है कि वहां गैर मुस्लिमों विशेषकर हिन्दुओं और सिखों की लड़कियों को जबरन उठा लेना, उन्हें इस्लाम कबूल कराना और फिर निकाह कर लेना एक आम बात हो गई है। धीरे-धीरे हिन्दुओं की संख्या वहां समाप्त हो रही है और ऐसा लगता है जैसे एक दिन पाकिस्तान में कोई हिन्दू नहीं रहेगा।

भारत का सामूहिक मानस ऐसे न सोचता है, न व्यवहार करता है। सीमा हैदर पर मीडिया और लोगों का अतिवाद था। ऐसे प्रस्तुत किया गया जैसे कोई मानव परमाणु बम हमारे देश में आ गई हो। किंतु एक मुस्लिम महिला ने 4 बच्चों को लेकर हिन्दू धर्म स्वीकार कर एक हिन्दू से शादी कर ली, इसे लेकर हमारे यहां उत्साह नहीं हुआ। हमने इस रूप में सोचा ही नहीं कि भारत के एक लड़के ने पाकिस्तान की इज्जत उठा ली। हमारे यहां कोई हिन्दू मुसलमान या मुसलमान हिन्दू से सामान्य रूप से शादी या निकाह करे उसका विरोध नहीं होता। हां, जानबूझकर मजहबी कट्टरवादी विचारधारा से हिन्दू लड़कियों को फंसाना, उन्हें इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए विवश करना और फिर निकाह करने का अवश्य विरोध हुआ और होना भी चाहिए।

अंजू की पूरी कथा अनेक प्रकार के संदेह पैदा करती है। ध्यान रखिए, सीमा हैदर को भारत का वीजा नहीं मिला लेकिन अंजू को पाकिस्तान का वीजा आसानी से मिल गया। उसका पासपोर्ट कब और कैसे बना यह अभी उसके परिवार को पता नहीं है। ऐसा तो संभव नहीं हो सकता कि घर पर पासपोर्ट बनाने के पहले पुलिस जांच करने नहीं आए। तो यह सब हुआ कैसे? निश्चित रूप से इसके पीछे कुछ न कुछ है जो सामने नहीं आ रहा है। ऐसा लगता है जैसे अपनी मूर्खता से अंजू पाकिस्तान में जाकर फंस गई है। जब वह बुर्का पहनकर निकाह के लिए जा रही थी, उस समय के वीडियो में वह चारों तरफ से घिरी हुई चलती दिख रही है। उसकी इस तरह घेराबंदी कर दी गई, जिससे उसके पास बाहर निकलने का चारा ही नहीं रहा। उनको पता है कि एक बार इस्लाम ग्रहण कर फातिमा बनने, निकाह करने, परिवार में रह जाने के बाद उसका निकलना कठिन हो जाएगा।

आप सामान्य तौर पर पाकिस्तान का वीजा मांगें तो लाहौर से आगे तक का मिलना मुश्किल होता है। इस्लामाबाद तक जाने के लिए भी किसी –किसी को वीजा मिलता है। खैबर पख्तूनख्वा तक का वीजा तो असंभव है। फिर उस लड़की को वहां तक का वीजा कैसे मिला? अब तो ऐसे लगता है जैसे अंजू को स्थाई रूप से वहां बसने की ही व्यवस्था कर दी गई है। पाकिस्तानी उच्चायोग से इसका विवरण मिल सकता है कि क्या उसे स्थाई वीजा दे दिया गया है या उसे वहां का नागरिक बना दिया गया है। निश्चित रूप से यह सब गहरे जांच की मांग करता है। वैसे तो मध्यप्रदेश पुलिस ने जांच का बयान दिया है, किंतु मानकर चलना चाहिए कि भारत की सुरक्षा एजेंसियां पूरे मामले की गहराई से छानबीन करने में लगी होंगी।

यह भारत के प्रत्येक परिवार के लिए सतर्क होने की घटना है। पता नहीं कौन कहां किस परिवार की लड़की को सोशल मीडिया या गेम के माध्यम से अपने जाल में फंसा रहा हो। अंजू के बाद जयपुर हवाई अड्डे पर एक नाबालिग लड़की कराची का हवाई टिकट मांगते हुए पकड़ी गई। पता चला कि सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के एक लड़के के साथ उसका प्यार था और उस परिवार ने भी उसे कहा था कि आप वहां से पाकिस्तान आ जाओ। ये दो घटनाएं हमारे सामने हैं। हो सकता है ऐसी और भी वारदातें चल रही हों। भारत का कोई युवा या कोई भारतीय पाकिस्तान की किसी लड़की या महिला के साथ ऐसा कर रहा होगा, इसकी संभावना न के बराबर है। बहरहाल, सीमा हैदर भारत में आ गई है, उसने शादी कर ली है तो उसका सम्मान करते हुए कानूनी दृष्टि से जो कुछ भी संभव है किया जाना चाहिए। किंतु इसमें यह मानसिकता नहीं हो सकती कि हमने पाकिस्तान की इज्जत उठा ली है या उसे नीचा दिखा दिया है। महिलाओं को लक्ष्य बनाना गिरी हुई सोच का प्रमाण है और भारत में ऐसा संभव नहीं। ऐसा होगा भी नहीं।

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