सुप्रीम कोर्ट में तीन अहम मामलों की सुनवाई, कहा- राफेल विमान सौदे की नहीं होगी जांच

. कोर्ट ने खारिज की पुनर्विचार याचिका

. ‘चौकीदार चोर है’ पर राहुल गांधी की माफी मंजूर

. सबरीमाला पर फैसला अटका, 2 जजों की असहमति के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बेंच को भेजा मामला

पाथेय डेस्क

नई दिल्ली, 14 नवम्बर । सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को तीन अहम् मामलों की याचिकाओं पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने राफेल सौदे की जांच की मांग करने वाली पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया। आज मामले पर हुई सुनवाई में 5 जजों की पीठ में 3 जजों की साझा राय के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना यह फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे को बरकरार रखने के 14 दिसंबर 2018 को फैसला सुनाया था। इसके बाद इसके खिलाफ रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई थी। सुप्रीम कोर्ट राफेल मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा कार्यकर्ता-वकील प्रशांत भूषण समेत कुछ अन्य की याचिकाओं पर फैसला सुनाया। इन याचिकाओं में पिछले साल के 14 दिसंबर के उस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई है। इसमें फ्रांस की कंपनी ‘दसॉल्ट’ से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के केंद्र के राफेल सौदे को क्लीन चिट दी गई थी।

‘चौकीदार चोर है’ पर राहुल गांधी की माफी मंजूर
मानहानि मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की माफी को मंजूर कर लिया। इसके साथ ही कोर्ट ने साफ कह दिया कि अब राहुल के खिलाफ कोई अवमानना का केस नहीं चलेगा। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को सावधानी से बयान देना चाहिए। कोर्ट को राजनीतिक विवाद में घसीटना गलत है। राहुल गांधी ने माफी मांग ली थी। हमने माफी को मंजूर कर लिया है। राहुल गांधी ने अपने बयान ‘चौकीदार चोर है’ में कोर्ट का भी जिक्र किया था. उनके इस बयान पर बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी ने बयान जानबूझ कर बार-बार दिया था. अपने बयान के लिए राहुल गांधी ने माफी मांग ली थी. राहुल गांधी की माफी को मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भविष्य में ऐसे मामलों में लोग ज्यादा सतर्क रहें।

क्या है पूरा मामला
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ दायर आपराधिक अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया. ये याचिका बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी ने दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के लिए राफेल डील मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को तोड़मरोड़ कर पेश किया और इससे कोर्ट की अवमानना हुई है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की माफी को मंजूर करते हुए अवमानना केस न चलाने का आदेश दिया।

 

सबरीमाला पर फैसला अटका, 2 जजों की असहमति के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बेंच को भेजा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला बड़ी बेंच को सौंप दिया है. कोर्ट इस बारे में गुरुवार को फैसला सुनाने वाला था लेकिन 5 जजों की बेंच ने कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वमान्य नियमों के मुताबिक हों और आगे 7 जजों की बेंच इस बारे में अपना फैसला सुनाएगी. साफ है कि फिलहाल मंदिर में कोर्ट के पुराने फैसले के मुताबिक महिलाओं की एंट्री जारी रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर 2018 के फैसले को कायम रखे हुए सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री को जारी रखा है और इस पर स्टे देने से साफ इनकार कर दिया है. कोर्ट में इस मुद्दे पर राय बंटी नजर आई 5 जजों की बेंच के 2 जज पुनर्विचार याचिका को खारिज करने के पक्ष में थे लेकिन बाकी जजों ने इस मुद्दे को बड़ी बेंच के पास भेजने का फैसला बहुमत के आधार पर लिया है।

अन्य समुदायों पर भी असर
इस मुद्दे पर जस्टिस आर.एफ. नरीमन और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की राय अलग थी. उनका मानना था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानने के लिए सभी बाध्य हैं और इसका कोई विकल्प नहीं है. दो जजों की राय थी कि संवैधानिक मूल्यों के आधार पर फैसला दिया गया है और सरकार को इसके लिए उचित कदम उठाने चाहिए।
सबरीमाला मसले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस का असर सिर्फ इस मंदिर नहीं बल्कि मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, अग्यारी में पारसी महिलाओं के प्रवेश पर भी पड़ेगा. अपने फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वोच्च सर्वमान्य नियमों के मुताबिक होनी चाहिए. अब बड़ी बेंच में जाने के बाद मुस्लिम महिलाओं के दरगाह-मस्जिदों में प्रवेश पर भी सुनवाई की जाएगी और ऐसी सभी तरह की पाबंदियों को दायरे में रखकर समग्र रूप से फैसला लिया जाएगा।

फैसले को पलटने की याचिकाएं
केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर सर्वोच्च अदालत ने 2018 में ही फैसला सुना दिया था. अदालत ने 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दे दी थी, अदालत के इसी फैसले पर कई पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई थीं. इनमें से सुप्रीम कोर्ट ने कुल 65 याचिकाओं पर अपना फैसला दिया है, जिनमें 56 पुनर्विचार याचिका, 4 नई याचिका और 5 ट्रांसफर याचिकाएं शामिल हैं। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस आर.एफ. नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा कर रहे थे. पीठ ने 6 फरवरी को अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था।

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