किसान आंदोलन में शाहीन बाग की यादें ताजा हो गईं…
सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन का एक फोटो देखने को मिला, जिसमें मुसलमान नमाज पढ़ रहे हैं और सिख उन्हें सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं। इसे सिख मुस्लिम भाईचारे की मिसाल बताते हुए वायरल किया जा रहा है। ऐसा ही एक फोटो CAA के विरोध के दौरान शाहीनबाग में देखने को मिला था। तब भी मुसलमानों को सड़क घेरकर नमाज पढ़ते समय कुछ लोग घेरा बनाकर सुरक्षा दे रहे थे। ऐसे प्रोपेगेंडा आए दिन देखने को मिलते हैं। कभी मानव शृंखला बनाकर तो कभी मुसलमानों के साथ किसी दूसरे मजहब की एकता दिखाकर कुछ लोग अपना एजेंडा सेट करने में लगे रहते हैं। शाहीन बाग बंधक बनाने के समय तो यह तक प्रचारित किया गया था कि एक सिख ने शाहीन बाग में आंदोलन कर रहे मुस्लिमों के भोजन आदि की व्यवस्था के लिए अपना फ्लैट तक बेच दिया। असलियत तो बाद में पता चली। ऐसे प्रचारों से मुस्लिमों को मासूम और सताया हुआ दिखाए जाने का प्रयास किया जाता है। शायद ऐसी स्क्रिप्ट लिखने वाले यह जताना चाहते हैं कि मुस्लिम कौम इतनी मासूम है कि बिना सुरक्षा घेरे के नमाज भी नहीं पढ़ सकती। ऐसे समय में शायद उन्हें बस, ट्रेन, प्लेटफॉर्म, ट्रेन की पटरी, एयरपोर्ट, सड़क के बीचोंबीच या कहीं भी जगह घेर कर पूरी दादागीरी के साथ नमाज पढ़ने के दृश्य याद नहीं रहते। वे ऐसा करने से बाज नहीं आते भले ही किसी यात्री या राहगीर को कितनी ही परेशानी क्यों न हो रही हो।
अब जैसा कि सिद्ध हो चुका है, किसान आंदोलन जिहादियों और खालिस्तान समर्थकों द्वारा हाईजैक हो चुका है, जिसमें वास्तव में मासूम किसान और उसकी समस्याएं तो कहीं गौण हो गयी हैं। कुछ मास्टरमाइंड इस आंदोलन में भी अपने चिरपरिचित गेम खेल रहे हैं। अपने सेट एजेंडा के अंतर्गत वे जिहादियों और खालिस्तान समर्थकों के गठजोड़ को मुस्लिम सिख एकता के तौर पर प्रचारित कर रहे हैं। वे सिख हिंदुओं से अलग हैं ऐसा स्थापित करने के प्रयास कर रहे हैं। यही खेल वे अनुसूचित वर्ग के साथ खेलते आए हैं। हिंदू समाज को तोड़ना, उनमें वर्ग संघर्ष पैदा करना इनका मुख्य उद्देश्य है। एक खालिस्तानी का यह कहते हुए वीडियो भी वायरल हुआ था कि वह न तो जय हिंद बोलेगा और न ही भारत माता की जय, वह तो बस अस्सलाम वालेकुम और जो बोले सो निहाल बोलेगा। अब सोचने वाली बात है कि किसान आंदोलन में इन बातों का क्या औचित्य है? किसान आंदोलन में कोई खेती किसानी से जुड़ी समस्याओं पर बात करेगा या ऐसी समाज व देश विरोधी बातें करेगा व वीडियो बनाएगा? लेकिन अच्छी बात यह है कि आम जनता इन बहुरूपियों और इनके एजेंडे को भलीभांति समझने लगी है। यही कारण है कि इनके आज के भारत बंद को लोगों का समर्थन नहीं मिला। बाजार खुले रहे। कहीं कहीं दुकानें बंद भी रहीं। वह भी लोगों ने अप्रत्याशित स्थिति से बचने के लिए किया। वैसे भी जिन गुरु गोविंद सिंह ने इस्लामी आक्रांताओं की क्रूरता से लड़ते हुए अपने चारों बेटों को बलिदान कर दिया, उनके अनुयायियों को घृणा का पाठ पढ़ाना आसान नहीं। भले ही देश विरोधी तत्व आंदोलन को सुर्खियों में लाने के लिए कुछ भी कहें या करें।