स्वदेशी दीपक से दोहरी होगी दीपावली की खुशी
स्वदेशी दीपावली श्रृंखला -1
1 नवम्बर, जयपुर। चीन की नीति दूसरे देशों के बाजार को हड़पने की है। अनुमान आप इसी से लगा सकते हैं कि चीन जिन त्योहारों को मनाता ही नहीं है वह उसे मनाने के लिए सामान बनाता है। होली की पिचकारी हो या दीपावली के दीपक सभी पर चीन का एकाधिकार है।
त्योहार और पर्व खुशियां लाते हैं लेकिन कई बार उनको मनाने का तरीका पर्यावरण के लिए हानिकारक सिद्ध होता है। दीपावली बड़ा पर्व है। दीपावली में चायनीज सामानों की भरमार है। जिससे ना केवल देश की अर्थव्यवस्था कमजोर होती है बल्कि पर्यावरण को भी हानि पहुंचती है। अब देश में चायनीज सामन के स्थान पर स्वदेशी विकल्प उपलब्ध करवाने का कई समूहों ने बीड़ा उठाया है।
हर घर रोशन हो इसी को ध्यान में रखते हुए जयपुर में पर्यावरण संरक्षण और आत्मनिर्भर भारत का एक बड़ा उदाहरण देखने को मिल रहा है। दीपावली पर गौ माता के गोबर से बनाए दीपकों से दिवाली रोशन होगी। इसी कड़ी में जयपुर के केशवपुरा आदर्श गाँव में महिलाएं स्वयं खुशी के दीपक बना रही हैं। एक ओर जहां गाय के गोबर से बने दीपक पर्यावरण की वायु को शुद्ध करेंगे वहीं महिलाएं भी आत्मनिर्भर भारत का एक बेहतरीन उदाहरण पेश कर रही हैं।