हमारी संस्कृति में विश्व बाजार नहीं, अपना परिवार है- डॉ. शैलेंद्र
जयपुर, 14 अगस्त। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जयपुर प्रांत के प्रांत प्रचारक डॉ. शैलेंद्र ने कहा कि पूरी दुनिया के लोग भारत को व्यापार का क्षेत्र मानते हैं, वे विश्व को बाजार मानते हैं, लेकिन हम अपनी संस्कृति में विश्व को अपना परिवार मानते हैं।
डॉ. शैलेन्द्र रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, ऋषि गालव भाग द्वारा आयोजित प्रबुद्धजन गोष्ठी में “स्वाधीनता से स्वंतत्रता की ओर” विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारा सतत संघर्ष का इतिहास रहा है। बाहर से आए लोगों ने हमारे ऊपर आक्रमण करके राज किया। वे ऐसा करने में कैसे और क्यों सफल हो सके, अपनी क्या कमियां थीं, आज इस पर विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश स्वाधीन हो गया। स्वाधीनता को 75 वर्ष हो गए, हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं। जब तक समाज समरस नहीं होगा, तब तक जिस समर्थ समाज की हम कल्पना करते हैं, वह संभव नहीं है।
डॉ. शैलेन्द्र ने कहा कि आज देश बदल रहा है। देश में अच्छी बातें हो रही हैं, फिर चाहे वह भगवान श्रीराम के मंदिर का निर्माण हो या काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण, धारा 370 का विषय हो या 100 से अधिक उपग्रह छोड़ने का विश्व कीर्तिमान। आज अनेक विकसित देश भारत से अपने उपग्रह प्रक्षेपित करवाते हैं। भारत हर क्षेत्र में उन्नति कर रहा है। भारत इस क्षेत्र में दुनिया में तीसरे स्थान पर है। भारत के लोगों की धाक पूरे विश्व में बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग प्रश्न उठाते हैं कि देश को स्वतंत्र कराने में संघ का क्या योगदान था? उन्हें जान लेना चाहिए कि 1930 में डॉक्टर हेडगेवार अपना सरसंघचालक का दायित्व परांजपे जी को देकर स्वयं जेल गए थे और नौ माह तक सश्रम कारावास की सजा पूरी की थी। ऐसे अनगिनत स्वयंसेवकों का देश की स्वतंत्रता और देश निर्माण में योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के आंदोलन में संघ के कई स्वयंसेवकों ने अपना बलिदान दिया है। 1947 में भारत छोड़ो आंदोलन में अनेक स्वयंसेवकों ने सहभाग किया। दादरा नगर हवेली को स्वतंत्र कराने के लिए 15 से अधिक स्वयंसेवक बलिदान हुए, सौ से अधिक स्वयंसेवकों को जेल में डाल दिया गया। अनेक स्वयंसेवकों पर अमानवीय अत्याचार किए गए।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी विपिन चंद्र शर्मा ने कहा कि आज कोई भी भारत को आंख उठाकर नहीं देख सकता। देश में सामाजिक उथल पुथल चल रही है। देश में कई आंतरिक चुनौतियां है, इनका सामना करने के लिए हिन्दू समाज को एकजुट होना होगा।