हाजी रफअत अली के जनाजे में भीड़ का मामला, हाइकोर्ट ने मामले में दर्ज FIR को रिकॉर्ड पर लेने के आदेश दिए
जयपुर में मुस्लिम धर्मगुरु हाजी रफअत अली खान की 1 जून 2021 को मृत्यु हो गई थी। उस दौरान राज्य में कोविड गाइडलाइंस के अंतर्गत लॉकडाउन लगा हुआ था। लेकिन नियमों की अवहेलना करते हुए हाजी रफअत के जनाजे में कांग्रेस विधायक रफीक खान समेत हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए थे। इस मामले में अधिवक्ता अमितोष पारीक व अंगद हक्सर ने प्रकाश ठाकुरिया व जितेश जेठानंदानी की ओर से हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी और न्यायालय को मामले से अवगत कराया था। जिस पर आज हाईकोर्ट में सीजे महान्ति की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए पूर्व में दर्ज FIR को रिकॉर्ड में लेने के आदेश दिए।
याचिकाकर्ता प्रकाश ठाकुरिया के अधिवक्ता अमितोष पारीक ने बताया कि 1 जून 2021 जब राजस्थान में लॉक डाउन लगा हुआ था और सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर सख्त नियम लागू किए गए थे तथा पूरे प्रदेश में राजस्थान महामारी एक्ट लागू था, ऐसे में राजस्थान सरकार के विधायक रफीक खान की मौजूदगी में मरहूम हाजी के जनाजे में भारी संख्या में भीड़ का होना पूरी तरह से सरकारी आदेशों का उल्लंघन था, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जनप्रतिनिधि, राजस्थान पुलिस के अधिकारियों व पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में भीड़ का इकट्ठा होना भारतीय दंड संहिता की धारा 188 का मामला प्रतीत होता है, जिसमें दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। इस मामले को लेकर हमने माननीय न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत की थी, जिस पर आज सुनवायी हुई।
इस मामले में याचिका में पक्षकार पत्रकार जितेश जेठानंदानी के वकील अंगद हक्सर ने कहा कि जनाज़े में भीड़ की घटना के अगले दिन एक व्यक्ति द्वारा थाने में FIR दर्ज कराई गई थी, जिस पर उक्त घटना के समय मौजूद राज्य सरकार के विधायक व पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध आगे कोई कार्यवाही नहीं की गई। इसी मामले को लेकर न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत की गई। उक्त मामला राजस्थान सरकार के धार्मिक भेदभाव को दर्शाता है। क्योंकि सरकार ने 29 अप्रैल को धौलपुर विधायक द्वारा सामूहिक भोज का आयोजन करने पर उनके विरुद्ध कार्यवाही करते हुए उन्हें तो नोटिस जारी किया था, किंतु हाजी के जनाजे वाले मामले में राज्य सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई।