गेहूं के उन्नत बीजों का सफल परीक्षण, फसल को तीन महीने तक नहीं चाहिए पानी और खाद

गेहूं के उन्नत बीज का सफल परीक्षण, फसल को तीन महीने तक नहीं चाहिए पानी और खाद

गेहूं के उन्नत बीज का सफल परीक्षण, फसल को तीन महीने तक नहीं चाहिए पानी और खाद

यह बात आपको आश्चर्यजनक लगेगी लेकिन सत्य है। किसानों के पास बहुत जल्द गेहूं का ऐसा बीज होगा जिसे 3 महीने तक खाद और पानी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। पौधों के पास उनकी आवश्यकतानुसार खाद और पानी सुपर एब्जॉर्वर पॉलीमर के रूप में पहले से होगा। सुपर एब्जॉर्वर पॉलीमर कोटेड ये बीज तैयार कर रहे हैं कुशीनगर के अक्षय श्रीवास्तव। इन बीजों के परीक्षण के सफल परिणाम देखने के बाद, भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इससे सम्बंधित एक प्रोजेक्ट के लिए 10 लाख रुपए तक का अनुदान स्वीकृत किया है।

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने वाले अक्षय श्रीवास्तव ने अपनी स्टार्टअप कंपनी बनाई है। यह कंपनी जैविक खाद और उन्नतशील बीज पर कार्य करती है। किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प से प्रभावित अक्षय भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के सिडबी स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इन्नोवेशन सेंटर के हेड प्रोफेसर अमिताभ बंधोपाध्याय के निर्देशन में इस प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं। बीज तैयार करने का काम अंतिम चरण में है जो जुलाई में पूरा हो जाएगा। जिसका खेत परीक्षण आईआईटी कानपुर में किया जाएगा।

यह बीज 4 चरणों में तैयार हो रहा है, जिसके तीन चरण पूरे हो चुके हैं। पहले चरण में विभिन्न जीवाणुओं का वर्गीकरण कर, फसल और मिट्टी की जरूरत के अनुसार उनका समूह बनाया गया। दूसरे चरण में जीवाणुओं के समान आच्छादन के लिए 20.98 नैनोमीटर के पार्टिकल बनाए गए, तीसरे चरण में धान के डंठल से मिलने वाले लिग्निन से सुपर एब्जॉर्वेंट पॉलीमर बनाया गया। चौथे चरण में पॉलीमर कोटिंग की जा रही है। यह जुलाई में पूरी हो जाएगी। प्रोफेसर अमिताभ बंधोपाध्याय के निर्देशन में नैनो टेक्नोलॉजी, बायो टेक्नोलॉजी और केमिकल इंजीनियरिंग से जुड़े कार्य किए जा रहे हैं।

किसानों की बढ़ेगी आय
अक्षय श्रीवास्तव के अनुसार कोटेड बीज लगभग 10 प्रतिशत महंगा होगा। एक हेक्टेयर खेत में बीज की समान मात्रा लगेगी। किसानों को अब इसने सिंचाई और खाद बीज नहीं डालने पड़ेंगे जिसके कारण किसानों को तीन सिंचाई और तीन बार के खाद बीज का खर्च बचेगा राम खाद बीज और पानी का खर्चा प्रति हेक्टेयर लगभग 12 से 13000 होता है।

संयुक्त परीक्षा रहा सफल
अक्षय बताते हैं कि पॉलीमर, जीवाणु युक्त नैनोपार्टिकल और गेहूं के बीज को गोबर व गुड़ में मिलाकर खेत में डाला गया तो जीवाणु का समूह मिट्टी में जाते ही नाइट्रोजन फास्फोरस, पोटाश, जिंक, सल्फर और कार्बन जैसे 9 जरूरी तत्व बनाने लगा। पानी कम होने पर भी पौधे तीन गुना तेजी से बड़े हुए। जीवाणुओं के इस प्रभाव का प्रमाणीकरण नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्री ने किया है। जैविक तकनीक से बने नैनो पार्टिकल का स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कॉपी और x-ray डिफ्रेक्शन प्रयोग सफल रहा। यह बीज पर समान रूप से फैला। सुपर एब्जॉर्वर पॉलीमर ने अपने वजन का 300 गुना पानी सोखकर पहले बीज और उसके बाद जड़ों तक पहुंचाया। परीक्षण में उत्पादन 15 से 35 प्रतिशत तक बढ़ा है। बीज तैयार होने में भी डेढ़ सौ की जगह 110 से 125 दिन ही लगे ।

कई फसलों के बनेंगे पॉलीमर कोटेड बीज
अक्षय श्रीवास्तव ने बताया कि काला गेहूं, केला, मक्का, सरसों, पालक पर भी संयुक्त प्रयोग सफल रहा। गेहूं के बाद इन फसलों के पॉलीमर कोटेड बीज बनाए जाएंगे। साथ काम कर रहे मनोज तिवारी व मुकेश चौहान अलग-अलग जलवायु और मिट्टी में परीक्षण कर रहे हैं। आईआईटी बीएचयू की डॉक्टर नेहा श्रीवास्तव फसल के अनुसार जीवाणुओं का समूह तैयार कर रही हैं।

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