पंचांग 22 जुलाई 2021
सुविचार
सर्वथा ध्वंसरहितं सत्यपि ध्वंसकारणे। यद् भावबंधनं यूनोः स प्रेमा परिकीर्तितः।।
भावार्थ
जो बहुत प्रयासों के बाद भी नष्ट नहीं होता है। जो कभी रुकता, घटता और मिटता नहीं है। बल्कि प्रतिक्षण बढ़ता रहता है, उसे ही प्रेम कहा जाता है।
।।आप सभी का दिन मंगलमय हो।।