बांग्लादेश में नहीं थम रहे हिन्दुओं पर हमले

बांग्लादेश में नहीं थम रहे हिन्दुओं पर हमले

बांग्लादेश में नहीं थम रहे हिन्दुओं पर हमले

बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा षड्यंत्र के अंतर्गत प्रारंभ की गई हिंसा का दौर अब तक जारी है। इस हिंसा में अब तक सात लोगों के मारे जाने की पुष्टि की जा चुकी है। ये सारे लोग हिंदू समुदाय से हैं।

हिंसा के दौरान अब तक बड़े पैमाने पर हिन्दू घरों और दुकानों को भी निशाना बनाया गया है। फेसबुक पर वायरल कुछ  तस्वीरों को आपत्तिजनक बताते हुए कमिला जिले से शुरू हुई यह हिंसा अब तक कई जिलों को अपनी चपेट में ले चुकी है, जिसमें बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय के लोगों को मारा पीटा जा रहा है। मुसलमानों की भीड़ ने कई दुर्गा पंडालों में तोड़फोड़ करते हुए लगभग 150 परिवारों पर हमला किया है। इस्लामिक चरमपंथियों ने कमिला के अलावा चांदपुर के हाजीगंज, चट्टोग्राम के बंशखली, चपैनवाबगंज के शिबगंज और कॉक्स बाजार के पेकुआ में मंदिरों को निशाना बनाया है। इन घटनाओं के विरोध में फेनी जिले में हिन्दू समुदाय के द्वारा प्रदर्शन भी किया गया। लेकिन इसके बाद मुस्लिम भीड़ ने लगभग छह घंटे तक सड़कों और गलियों में हिन्दुओं और उनकी सम्पत्ति को निशाना बनाते हुए भयंकर उत्पात मचाया।

स्थानीय पुलिस इंस्पेक्टर निजामुद्दीन के अनुसार इस हिंसा में अभी तक हिन्दू समुदाय के 40 लोग घायल हुए हैं जिन्हें इलाज के लिए फेनी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।हिंसा के दौरान बांग्लादेश हिन्दू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के अध्यक्ष, शुकदेब नाथ तपन पर भी जोयकली मंदिर के पास इस्लामी भीड़ द्वारा हमला किया गया है। यह हमला तब हुआ जब हिन्दू समुदाय उक्त मंदिर से पुराने ढाका-चटोग्राम हाईवे के ट्रंक रोड तक मार्च निकालने की तैयारी कर रहा था।

उल्लेखनीय है कि अभी बीते गुरुवार को ही कट्टरपंथी मुसलमानों की एक उन्मादी भीड़ ने बांग्लादेश के चटगांव डिवीजन के नोआखली जिले में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) मंदिर पर हमला किया था।

बांग्लादेश में नहीं थम रहे हिन्दुओं पर हमले

इस्कॉन की बांग्लादेश इकाई ने बताया कि मंदिर में आगजनी के दौरान इसके संस्थापक एसी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद की मूर्ति को भी जला दिया गया। इसके साथ ही इसी दौरान चांदपुरा में फैली हिंसा में हिन्दू समुदाय के 2 लोग मारे गए।

इस पूरे घटनाक्रम पर अपना पक्ष रखते हुए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने गुरुवार को अपने सरकारी आवास से ढाका स्थित ढाकेश्वरी मंदिर में महानगर सार्वजनिन पूजा कमेटी द्वारा आयोजित महानवमी दुर्गा पूजा में वर्चुअली सम्मिलित होकर हिन्दू समुदाय से कहा कि “आपको इस देश का नागरिक माना जाता है। आप समान अधिकारों के साथ रहते हैं। आपको समान अधिकार हासिल रहेंगे। आप समान अधिकार के साथ अपने धर्म का पालन करेंगे और त्योहार मनाएंगे। हम यही चाहते हैं। यही हमारे बांग्लादेश की वास्तविक नीति और हमारा आदर्श है।” उन्होंने आगे कहा कि मैं आपसे फिर आग्रह करती हूं कि आप कभी भी खुद को अल्पसंख्यक न समझें। उन्होंने वादा किया कि कमीला और अन्य स्थानों पर मंदिरों और दुर्गा पूजा पंडालों में हिंसा और तोड़फोड़ में शामिल लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

हालांकि प्रधानमंत्री शेख हसीना के आश्वासन के बाद भी वास्तविकता यही है कि बांग्लादेश का अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय वहॉं सुरक्षित नहीं है। बांग्लादेश बनने के समय वहां हिन्दू जनसंख्या लगभग 22 प्रतिशत थी जो आज घटकर 8 प्रतिशत रह गई है। पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश के भीतर कट्टरपंथी इस्लामिक विचारधारा ने तेजी से पैर पसारे हैं। जिसका निशाना अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय रहा है। हाल में हो रही हिंसा के पीछे 2013 से प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी की छात्र इकाई “बांग्लादेशी इस्लामिक छात्र शिविर” का हाथ बताया जा रहा है।

जमात ए इस्लामी पर 2013 में तब प्रतिबंध लगा दिया गया था, जब अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय के विरुद्ध बड़े पैमाने पर हुई हिंसा में इसका हाथ सामने आया था। इस हिंसा में 87 लोगों की मौत हो गई थी।

दरअसल भारत के जिस क्षेत्र को मिलाकर 1947 में पूर्वी पाकिस्तान का गठन किया गया था, वहाँ पूर्व से ही कट्टरपंथी इस्लामिक विचारधारा के पैरोकार बड़ी संख्या में मौजूद रहे हैं। यहां तक कि भारत के विभाजन के लिए प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार मुस्लिम लीग की स्थापना भी बांग्लादेश की राजधानी ढाका में ही की गई थी। यही कारण है कि समय-समय पर इस कट्टरपंथी सोच ने इस क्षेत्र में अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय की धार्मिक मान्यताओं पर कुठाराघात करना जारी रखा, परिणामस्वरूप धीरे-धीरे तब से लेकर आज तक बांग्लादेश के भीतर हिन्दू जनसंख्या सिकुड़ती जा रही है।कट्टरपंथी इस्लामिक सोच रखने वाले इन संगठनों का लक्ष्य बांग्लादेश को पूर्णतः इस्लामिक राष्ट्र घोषित कर यहां शरिया कानून लागू करना है। जमात इन संगठनों में अग्रणी रहा है। इस विषय को लेकर कितने ही निजी प्रतिष्ठानों और तस्लीमा नसरीन जैसे लेखकों ने भी अपने अध्ययन में बांग्लादेश के भविष्य में पूर्णतः इस्लामिक राष्ट्र बनने की आशंका जताई है।

बांग्लादेश सरकार द्वारा जारी किए गए जनसंख्या के आंकड़े भी इसी बात की पुष्टि करते हैं। वर्ष 1951 की जनसंख्या के आंकड़ों के अनुसार उस समय के पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा रहे इस क्षेत्र में हिन्दू समुदाय की जनसंख्या 4.05% थी जो कि पूर्वी पाकिस्तान की कुल जनसंख्या की लगभग 22% थी।

1974 में बांग्लादेश के निर्माण के बाद कराए गए जनगणना में हिन्दू समुदाय बांग्लादेश की कुल जनसंख्या का 13% रह गया था।

हिन्दू जनसंख्या के प्रतिशत में गिरावट का क्रम अब तक उसी अनुपात में जारी है। बांग्लादेश सरकार द्वारा कराई गई 2011 की जनगणना में हिन्दू जनसंख्या बांग्लादेश की कुल  जनसंख्या का महज 8% रह गई है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि योजनाबद्ध तरीके से बांग्लादेश के भीतर अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय की धार्मिक मान्यताओं पर कुठाराघात करके उनकी जनसंख्या को समेटने का क्रम जारी है।

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