मूक बधिर बालिका दुष्कर्म प्रकरण : विहिप ने दी जनआंदोलन की चेतावनी
17 जनवरी, जयपुर। विश्व हिंदू परिषद ने नाबालिग मूक बधिर बालिका के साथ हुई दरिंदगी की जांच के मामले में राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए जनआंदोलन की चेतावनी दी है। विहिप के क्षेत्र मंत्री सुरेश उपाध्याय ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने को लेकर प्रश्न उठाया है कि क्या राज्य सरकार ने घटना के मात्र 6 दिन में ही यह मान लिया है कि राजस्थान का पुलिस प्रशासन दोषियों को पकड़ने में असमर्थ है या कहीं ऐसा तो नहीं है कि राज्य सरकार इस अपराध में लिप्त व्यक्तियों को अपने राजनीतिक लाभ के लिये बचाने का प्रयास कर रही है?
उन्होंने कहा कि यह शंका ना तो निर्मूल है और ना ही दुर्भावनापूर्ण है। इसका आधार वर्तमान सरकार एवं इसी नेतृत्व में पूर्व की कांग्रेस सरकार द्वारा की गई कार्यवाही है।अलवर में नाबालिग मूक-बधिर के साथ हुई दरिंदगी की प्राथमिक रिपोर्ट में स्वयं पुलिस ने बलात्कार की धारा 375-376 की परिभाषा के अनुसार बलात्कार का प्रकरण दर्ज किया गया था। फिर अचानक ही एसएफएल की रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए मंत्रियों और अधिकारियों ने समाचार पत्रों में बयान दिया कि पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं हुआ है। तो क्या धारा 375-376 बलात् बनाये गये शारीरिक सम्बन्धों को ही दुष्कर्म मानती है, प्राइवेट पार्ट को नुकीली चीजों से क्षतिग्रस्त करने को दुष्कर्म नहीं मानती? जबकि पीड़िता की मां कह रही है कि मैं अपनी मूक बधिर लड़की को बचपन से पाल रही हूं और उसकी आंखें बता रही है कि उसके साथ बहुत बुरा हुआ है।
अभी तक पीड़िता के बयान भी नहीं हुए हैं। पांच दिन की जांच में यह रहस्य बन गया है कि पीड़िता के साथ क्या हुआ है?
विहिप का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए पहले भी कई मामलों को दबाया गया है। उन्होंने ऐसी कुछ घटनाएँ भी गिनाईं-
घटना 1: इसी सरकार द्वारा वर्ष 2019 में ग्राम झिवाणा भिवाड़ी के हरीश जाटव की हत्या में मुस्लिम समुदाय के नामजद व्यक्तियों के दर्ज रिपोर्ट के बावजूद हरीश जाटव की हत्या को एक्सीडेंट में हुई मौत बताकर माननीय न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया गया।
घटना 2: सितम्बर 2021 में बड़ौदामेव थाने के भटपुरा निवासी योगेश जाटव के साथ मुस्लिम समुदाय के व्यक्तियों द्वारा की गई मारपीट और उसके बाद उसकी हुई मौत में परिवार द्वारा हत्या का प्रकरण दर्ज कराने के बाद भी योगेश जाटव की मौत को एक्सीडेंट बताकर माननीय न्यायालय में चालान पेश कर दिये।
घटना 3: बालोत नगर रामगढ़ निवासी बालिका के साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा किये गये सामूहिक दुष्कर्म के विरुद्ध दर्ज रिपोर्ट को वापस लेने के लिये पीड़ित परिवार पर धन, बल आदि का दबाव बनाया गया। असफल होने पर पीड़िता के पिता सरवन की पेड़ से लटकाकर हत्या कर दी गई। हत्या का मुकदमा दर्ज कराने के बाद भी इस प्रकरण में मृतक सरवन की मौत आत्महत्या बताकर माननीय न्यायालय में चालान पेश कर दिए गये।
घटना 4: सितम्बर 2011 को मेवात क्षेत्र गांव गोपालगढ़ थाना गोपालगढ़ में मुसलमानों की उपद्रवी भीड़ पर राज्य सरकार द्वारा मौके पर उपस्थित अधिकारियों को बल प्रयोग नहीं करने दिया गया। बाद में उपद्रवी भीड़ द्वारा गांव पर हमला करने पर की गई पुलिस फायरिंग में मुस्लिम समुदाय के 10 व्यक्ति मारे गये। सभी मारे गये व्यक्ति स्थानीय गोपालगढ़ के नहीं थे बल्कि अन्य गांवों से आए थे। इस प्रकरण को भी मुसलमानों के गुस्से से बचने के लिये कुछ दिनों के अन्दर ही सीबीआई को सौंप दिया गया और राजनीतिक चतुराई का उपयोग कर तथ्यों को तोड़ मरोड़कर हत्याकाण्ड को दो समुदायों के संघर्ष में बदल दिया।
कहीं ऐसा तो नहीं कि अलवर में मूक बधिर बालिका के साथ हुई दरिंदगी में राज्य सरकार ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने के लिये जांच सीबीआई को सौंपी है। ऐसा भी लगता है कि मेवात क्षेत्र में राज्य सरकार के संरक्षण में जघन्य अपराध हो रहे हैं या सरकार अपराधियों को बचाती है। इस प्रकरण में भी राज्य सरकार जांच सीबीआई को सौंपकर स्वयं को जनता के आक्रोश से बचा रही है।
इन दिनों सम्पूर्ण मेवात क्षेत्र मुसलमानों के आतंक से पीड़ित है। क्षेत्र में गौ तस्करी, अवैध वसूली, महिलाओं के साथ बलात्कार, भूमि पर अनाधिकृत कब्जे की घटनायें आम बात हो गई हैं। इससे सम्पूर्ण मेवात से बहुसंख्यक हिन्दू पलायन कर रहा है। लगभग 150 से अधिक गांवों से शत प्रतिशत पलायन हो गया है।
विश्व हिन्दू परिषद् ने राजस्थान सरकार एवं केंद्र सरकार से आग्रह किया है इस सम्पूर्ण क्षेत्र में हो रही इस घटना को रोकने के लिये कठोर कदम उठाये। ऐसा नहीं होने पर विश्व हिन्दू परिषद् सम्पूर्ण मेवात में बड़ा जन आन्दोलन खड़ा करेगी।