कानपुर के जबरन मतांतरण प्रकरण में सामने आया राजस्थान का नाम

कानपुर के जबरन मतांतरण प्रकरण में सामने आया राजस्थान का नाम

कानपुर के जबरन मतांतरण प्रकरण में सामने आया राजस्थान का नाम

  • राज्य में चोरी-छिपे चल रहे मतांतरण रैकेट पर उठे सवाल

19 जनवरी, जयपुर। उत्तरप्रदेश के एक युवक द्वारा अपनी पत्नी व बच्चे को जबरन मतांतरित करने के प्रयास वाले प्रकरण में अब मतांतरण के तार राजस्थान से जुड़ते दिखाई दे रहे हैं। कानपुर निवासी धर्मेंद्र श्रीवास्तव नामक युवक की पत्नी का आरोप है कि दो वर्ष पूर्व अजमेर शरीफ दरगाह घूमने गए युवक का व्यवहार अचानक हिंसक हो गया। अब वह परिवार के जबरन मतांतरण का प्रयास कर रहा है तथा न मानने पर हत्या की धमकी दे रहा है।

इस प्रकरण में एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तार करने गई पुलिस से भी युवक द्वारा गाली-गलौज और मारपीट का वीडियो सामने आया है।

पीड़ित महिला का कहना है कि 2015 में उसका धर्मेंद्र से विवाह हुआ था तथा उनका पाँच वर्ष का एक बेटा भी है। कुछ समय तक सब कुछ अच्छा चल रहा था किंतु दो वर्ष पूर्व वे अजमेर दरगाह गए और तबसे धर्मेंद्र का व्यवहार, क्रियाकलाप व रहन-सहन अचानक बदल गया। यहाँ तक कि दरगाह से निकलने के बाद से ही उसका व्यवहार बदला हुआ दिखने लगा। जब पत्नी ने पुष्कर तीर्थ व ब्रह्मा मंदिर के दर्शन करने की जिद की तो वह रास्ते में ही उससे लड़ पड़ा और हाथापाई करने लगा। कानपुर लौटने के बाद धर्मेंद्र अजमेर में ही दरगाह के निकट जाकर रहने की बातें करने लगा। एक दिन वह घर में ही हरे कपड़े में लिपटी हुई किताब लेकर आया और अलमारी में रखते हुए पत्नी से बोला इसे छूना नहीं, मैं मुस्लिम बनना चाहता हूँ। इसके बाद वह परिवार पर भी मतांतरण का दबाव बनाने लगा। इस बीच परिवार ने उसे समझाने के प्रयास भी किए किंतु वह उनसे भी दुर्व्यवहार करने लगा। हाल ही में उसने फिर से पत्नी और बच्चे पर इस्लाम कबूल करने का दबाव बनाया। नहीं मानने पर उनकी पिटाई कर दी।

यह प्रकरण वर्तमान में राजस्थान में पांव पसार रहे मतांतरण के गहरे जाल की ओर इशारा कर रहा है। मेवात तथा पश्चिमी राजस्थान में तबलीगी जमात द्वारा जिहाद, कट्टरता व मतांतरण के प्रचार की घटनाएँ यदा-कदा सामने आती ही रहती हैं, किंतु अब अजमेर का नाम भी इस प्रकरण में सामने आना चिंताजनक है। वर्तमान सरकार की तुष्टिकरण वृत्ति के चलते न केवल मुस्लिम संगठन बल्कि ईसाई मिशनरी भी गाँव-कस्बों में खुलकर मतांतरण करवा रहे हैं। इस मतांतरण का आधार लालच, छल-कपट और हिंदू धर्म के प्रति झूठी वैमनस्यपूर्ण बातों को आधार बनाकर किया जा रहा प्रचार है। भारत का संविधान सभी मत-पंथों को समान मानता है । ऐसे में मतांतरण पर राज्य सरकार द्वारा आंखें मूंदकर बैठे रहना न केवल निंदनीय है अपितु इसे हिंदुओं के अधिकारों पर कुठाराघात कहा जाना अनुचित नहीं होगा। राज्य सरकार को चाहिए कि मामले का संज्ञान लेकर मतांतरण के फैलते जाल को नष्ट करे।

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