राजस्थान : मंत्री को लगता है रेप मर्दानगी की निशानी है
राजस्थान : मंत्री को लगता है रेप मर्दानगी की निशानी है
एक कहावत है – जाके पॉंव न फटी बिंबाई, वह क्या जाने पीर पराई। यह कहावत राजस्थान के संसदीय कार्यमंत्री शांतिलाल धारीवाल पर खरी उतरती है। उन्हें रेप जैसे घिनौने अपराध के पीछे भी मर्दानगी दिखती है। बुधवार रात को विधानसभा सदन में बजट पर पुलिस और जेल की अनुदान मांगों पर बहस का उत्तर देते हुए उन्होंने बहुत ही शर्मनाक टिप्पणी की। वे बोले – ‘रेप के मामले में हम नंबर एक पर है, अब ये रेप के मामले क्यों हैं? कहीं न कहीं गलती है…।” फिर हंसते हुए आगे कहा- “वैसे भी यह राजस्थान तो मर्दों का प्रदेश रहा है, उसका क्या करें”? यह कहकर धारीवाल फिर हंसे, तो कई मंत्री और कांग्रेस विधायक भी हंसने लगे। किसी ने धारीवाल को टोका तक नहीं। सरकार में तीन-तीन महिला मंत्री भी हैं, उनमें से भी कोई कुछ नहीं बोला।
अब इन निर्लज्ज माननीयों से कोई पूछे कि यदि इनके घर में भगवान न करे किसी बहू-बेटी के साथ कोई अनहोनी हो जाए क्या तब भी वे ऐसे ही हंसेंगे? दुष्कर्मी को मर्द बताकर उसे ऐसे ही हंसकर पुरस्कृत करेंगे? या इनकी दृष्टि में आम इंसान का कोई आत्मसम्मान, इज्जत है ही नहीं? उनकी बेटियों के साथ ऐसा होता है तो होता रहे, सदन तक में उनका मुद्दा गम्भीरता से लेने जैसा नहीं? क्या ये जिम्मेदार जो सरकार में बैठे हैं, शासन-प्रशासन जिनकी मुट्ठी में है, जिन पर बहू-बेटियों के साथ ही पूरे समाज की सुरक्षा का दायित्व है, अपराधियों को सजा दिलाकर उनका आत्मबल तोड़ने के बजाय ऐसे बयान देकर पीड़िताओं की आत्मा को ही छलनी नहीं कर रहे? ये लोग शायद सत्तामद में इतने डूब चुके हैं कि आम जनता इस गलतबयानी को कैसे लेगी, इन्हें इसकी भी चिंता नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि धारीवाल जिस समय रेप को मर्दानगी से जोड़ने का बयान दे रहे थे, उस समय विधानसभा की कार्यवाही का यू-ट्यूब पर सीधा प्रसारण चल रहा था। बड़ी संख्या में आमजन भी इस बयान को सुन रहे थे।
बहस के दौरान धारीवाल ने एक और बात कही। उन्होंने कहा “अपराध में आजकल बेरोजगार युवक शामिल होते हैं।” क्या यह उन बेरोजगारों के मुंह पर चांटा नहीं, जो अपने करियर के लिए दिन रात मेहनत करते हैं और पढ़ाई के साथ ही मजदूरी, ट्यूशन या अन्य पार्ट टाइम जॉब कर अपना खर्चा तो निकालते ही हैं, मॉं बाप का भी आर्थिक सहारा बनते हैं। उन्होंने कहा “अपराधों की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण बेरोजगारी है।” जबकि समाज में झांककर देखें तो पता चलता है अपराधों का कारण कुसंस्कार हैं। रोजगार का अर्थ सरकारी नौकरी ही नहीं होता। हो सकता है किसी व्यक्ति को सरकारी नौकरी की चाह हो, लेकिन उसे वह न मिले तो यदि वह संस्कारी है तो अपराधों में लिप्त नहीं हो जाता, रेप नहीं करता। लेकिन हॉं, जिम्मेदारों के ऐसे बयानों से अपराधियों का मनोबल जरूर बढ़ता है। समाज को अपराध मुक्त बनाने में शासन-प्रशासन का बड़ा हाथ होता है। ऐसे में प्रतिदिन 18 रेप वाले राजस्थान में गरिमामय पद पर बैठे मंत्री का विधानसभा में ऐसी गलतबयानी करना और अन्य सदस्यों का हंसना चिंताजनक है। यह न तो सुसंस्कारों की श्रेणी में आता है और न ही जिन पदों पर ये माननीय बैठे हैं उसकी गरिमा के अनुरूप है। संसदीय कार्यमंत्री का रेप जैसे अपराध पर बयान और वहॉं उपस्थित बाकी सदस्यों का जेस्चर बहुत कुछ कहता है। शायद इसीलिए राजस्थान में रेप के मामलों का ग्राफ निरंतर बढ़ रहा है।