असफलताएं जीवन का हिस्सा, लेकिन हिम्मत नहीं हारनी चाहिए – अक्षय कुमार
- फिल्मों के माध्यम से आगे बढ़ाएं भारत विमर्श – विवेक अग्निहोत्री
- सिनेमा मनोरंजन का माध्यम, लेकिन इसका उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन हो ऐसा भी नहीं है
भोपाल। सुप्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेता अक्षय कुमार ने कहा कि इस देश ने 70 साल एक ऐसे प्रधानमंत्री की प्रतीक्षा की जो यह बता सके कि हर घर में शौचालय हो। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान के कारण आज इस महत्वपूर्ण मुद्दे के बारे में जागरूकता आयी है। अक्षय कुमार चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल के चतुर्थ संस्करण के औपचारिक उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर फिल्म निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री, आयोजन समिति के अध्यक्ष दिलीप सूर्यवंशी, भारतीय चित्र साधना के अध्यक्ष प्रो. बीके कुठियाला, पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश भी उपस्थित रहे।
अक्षय कुमार ने कहा कि सिनेमा मनोरंजन का माध्यम है, लेकिन उसका उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन हो, ऐसा नहीं है। कुछ फिल्में सच भी बयान करती हैं और सामाजिक संदेश देती हैं। इस अवसर पर उन्होंने अपनी उन फिल्मों का उल्लेख किया, जो सामाजिक मुद्दों पर बनी हैं।
उन्होंने कहा कि विवेक अग्निहोत्री की फ़िल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने देश को झकझोर दिया है। फ़िल्म निर्माता अपनी फिल्मों के माध्यम से ऐसी कहानियां लेकर आएं जो देश निर्माण में सहयोगी बनें। चित्र भारती के माध्यम से यह विचार देश के कोने-कोने में पहुंचे। असफलताएं हमारे जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन असफलताओं के आगे हमें अपनी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। मैंने भी काफी समय असफलताओं का सामना किया है।
जम्मू-कश्मीर पर बनी फिल्मों ने आतंकियों को जस्टिफाई किया
फ़िल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि चित्र भारती सिनेमा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। राष्ट्रीय विचार को बढ़ाने के अभियान को सबको गति देनी चाहिए। जम्मू-कश्मीर को लेकर अब तक बहुत फिल्में बनाई गईं, लेकिन किसी ने वास्तविकता को नहीं दिखाया, बल्कि उन फिल्मों में आतंकवादियों को सही ठहराने का ही काम किया गया। फिल्मों के माध्यम से हमने डाकुओं, लुटेरों, नक्सलियों और आतंकियों का महिमामंडन करने का काम किया। यह भारतीयता विरोधी नैरेटिव था। अब समय आ गया है कि फिल्मों के माध्यम से भारत के विमर्श को आगे बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि चित्र भारती फ़िल्म फेस्टिवल में आने वाले युवा फ़िल्म निर्माता यह कर सकते हैं।
उन्होंने अगले 5 साल तक 51-51 हजार रुपये वार्षिक स्कॉलरशिप देने की घोषणा की। भारतीय साहित्य, सभ्यता, सिनेमा पर काम करने के लिए तीन छात्राओं को यह छात्रवृत्ति दी जाएगी। वे नरसंहार पर केंद्रित संग्रहालय बनाएंगे।
उन्होंने कहा कि मानवता की लौ जलाने का हमारा जो डीएनए था, उसी के अनुरूप हमारा युवा फ़िल्म बना रहा था। सिनेमा का एक दौर ऐसा भी आया, जब उससे भारत का आम आदमी और सामाजिक मुद्दे गायब हो गए। दरअसल, हमने 70 साल में अपने युवाओं को शॉर्टकट लेना सिखाया, उसे प्रोडक्टिव नहीं बनाया।
अपने घर में क्रांतिकारियों के चित्र रखें
संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ऊषा ठाकुर ने कहा कि हम अपने घर में मुख्य स्थान पर क्रांतिकारियों के चित्र लगाएं। प्रतिदिन उस चित्र को देखने से हमारा चित्त भी राष्ट्रप्रेम से भर उठेगा। हमारे चित्त की वृत्ति वैसी बनेगी। द कश्मीर फाइल्स जैसी फ़िल्म देखकर भूल नहीं जाना, बल्कि सजग सिपाही बनना और अपने आसपास ध्यान रखना कि कोई और फ़ाइल न बन जाए।
विजेताओं को अपनी ओर से नगद पुरस्कार देंगे अक्षय कुमार
इस अवसर पर भारतीय चित्र साधना के अध्यक्ष प्रो. बीके कुठियाला ने बताया कि अक्षय कुमार ने कहा है – चित्र भारती फ़िल्म फेस्टिवल के पांच श्रेणियों में प्रत्येक विजेताओं को पुरस्कार में एक-एक लाख रुपये अतिरिक्त उनकी ओर से दिए जाएंगे।
सिनेमा में भारतीय मूल्यों को प्राथमिकता मिले, ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास चित्र भारती फ़िल्म फेस्टिवल के माध्यम से किया जा रहा है। उन्होंने पूरे आयोजन की जानकारी भी दी। इससे पूर्व स्वागत भाषण पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने दिया।
इस अवसर पर फ़िल्म पर केंद्रित दो विशेषांकों एवं मध्यप्रदेश के फ़िल्म कलाकारों पर केंद्रित डायरेक्टरी का विमोचन भी किया गया।
समारोह का शुभारंभ संस्कृत बैंड ‘ध्रुवा’ और नर्मदाष्टकम पर नृत्य प्रस्तुति के साथ किया गया। कार्यक्रम का संचालन विनय उपाध्याय ने किया और आभार प्रदर्शन आयोजन समिति के सचिव अमिताभ सोनी ने किया।