पंचांग 16 जून 2022
सुविचार
अबन्धुर्बन्धुतामेति नैकट्याभ्यासयोगतः।
यात्यनभ्यासतो दूरात्स्नेहो बन्धुषु तानवम्॥
भावार्थ
बार बार मिलने से अपरिचित भी मित्र बन जाते हैं। दूरी के कारण न मिल पाने से कई बार बन्धुओं में भी स्नेह कम हो जाता है।
॥आप सभी का दिन मंगलमय हो॥