उच्च न्यायालय द्वारा क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम निर्दोष साबित
जयपुर, 20 मार्च। आज राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपने एक निर्णय में क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम को निर्दोष बताया है। उन पर षड्यंत्र पूर्वक आर्थिक भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए बिना किसी आधार, बिना परिवादी या बिना किसी पीड़ित की शिकायत के 10 जून 2021 को एक एफआईआर दर्ज कराई गई थी। न्यायाधिपति फरजंद अली ने इसी मामले में सुनवाई करते हुए यह निर्णय दिया।
निम्बाराम के वकील गिल ने इसे सत्य की जीत बताया है। उन्होंने कहा कि मा. न्यायाधिपति ने हमारे सब्मिशंस से संतुष्ट होकर यह निर्णय दिया है। हमें न्याय पद्धति और न्याय व्यवस्था पर पूर्ण विश्वास है। इसीलिए हमने याचिका दायर की थी। यह एफआईआर एक षड्यंत्र थी, जो बिना किसी आधार, बिना परिवादी या बिना किसी पीड़ित की शिकायत के दर्ज कर ली गई थी। पूरा षड्यंत्र राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिये सहयोग करने के नाम से संपर्क कर अंजाम दिया गया। उन लोगों ने सम्पर्क किया, तब तक राम मंदिर निर्माण का धन संग्रह अभियान समाप्त हो चुका था। इस पर उन्हें प्रताप गौरव केंद्र के प्रकल्प को विजिट करके उसके लिये सहयोग करने का सुझाव दिया गया था। परन्तु षड्यंत्र के अंतर्गत ही षड्यंत्रकारियों ने, स्वयं फोन करके टुकड़ों में भुगतान करने की बात कही और उसको रिकॉर्ड किया। षड्यंत्र अनुसार ही ऑडियो वीडियो बनाकर उन्हें वायरल किया गया। हमने तो न्यायालय के आदेश अनुसार तुरंत अनुसंधान ज्वाइन कर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया था। माननीय न्यायालय ने पिछले वर्ष फरवरी 2022 (22.02.2022) में सरकार से इस प्रकरण में किये जा रहे अनुसंधान के संबंध में प्रश्न खड़े कर सरकार से उनके उत्तर मांगे थे और न्यायालय को संतुष्ट करने का आदेश देते हुए, हमारे पक्ष में अंतरिम आदेश दिया था। पिछले वर्ष फरवरी से लेकर लगभग वर्ष भर तक सरकार ने जवाब के लिए कई बार समय मांगा, परंतु आखिरी सुनवाई तक 1 वर्ष बीतने के बाद भी हमारी याचिका का कोई जवाब नहीं दिया। बस लगातार समय मांगते रहे। माननीय न्यायालय ने उनको हर बार अवसर दिए। अंतिम सुनवाई से पूर्व भी सरकार ने जवाब के लिए समय मांगा था। सरकार ने पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं को भी बार बार बदला लेकिन न्यायालय के समक्ष न तो जवाब प्रस्तुत किया और न ही माननीय न्यायालय को संतुष्ट कर पाए। समाज तो पहले ही मान रहा था कि यह संपूर्ण घटनाक्रम किसी स्वार्थ पूर्ति हेतु षड्यंत्र का हिस्सा है, अब माननीय न्यायालय ने भी इस पर मुहर लगा दी है। सरकार के पास अनुसंधान के नाम पर झूठी कहानी के अतिरिक्त कोई सबूत या तथ्य नहीं थे और जो कहानी रची गई वह भी विधिक प्रावधानों के अनुसार मान्य नहीं थी। अतः माननीय न्यायालय ने न्याय कर समाज व सरकार को स्पष्ट संदेश दिया है।