उत्तम पत्रकारिता का उद्देश्य भारत की संस्कृति एवं मौलिकता को बनाए रखना है- डॉ. वैद्य

उत्तम पत्रकारिता का उद्देश्य भारत की संस्कृति एवं मौलिकता को बनाए रखना है- डॉ. वैद्य

उत्तम पत्रकारिता का उद्देश्य भारत की संस्कृति एवं मौलिकता को बनाए रखना है- डॉ. वैद्यउत्तम पत्रकारिता का उद्देश्य भारत की संस्कृति एवं मौलिकता को बनाए रखना है- डॉ. वैद्य

काशी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि उत्तम पत्रकारिता का उद्देश्य भारत की संस्कृति एवं मौलिकता को बनाए रखना है। समाज के ताने बाने को बनाए रखना तथा समाज को सही दिशा देना वास्तविक पत्रकारिता है। पत्रकार धर्म का पालन करते हुए सारा समाज हमारा है, इस भावना के प्रति प्रमाणिकता रखना सच्ची पत्रकारिता है।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शताब्दी कृषि प्रेक्षागृह में विश्व संवाद केन्द्र, काशी द्वारा आयोजित आद्य पत्रकार देवर्षि नारद जयन्ती एवं पत्रकार सम्मान समारोह में “संवेदनशील पत्रकारिता की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका” विषयक संगोष्ठी में सह सरकार्यवाह ने कहा कि नारद जी का त्रिलोक में संचार एवं संवाद था। उनकी पत्रकारिता पर देव-दानव एवं मानव सभी को इतना विश्वास था कि रनिवास तक में उनके आने-जाने पर कोई रोक नहीं थी। भारत की जीवन दृष्टि अध्यात्म पर आधारित है। जीवन में जितनी कलाएं हैं, उतने ही देवता हैं। परन्तु स्वामी विवेकानन्द की नारद भक्ति स्तोत्र पुस्तक में देवर्षि नारद को श्रेष्ठ कहा गया है।

डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि गंगा जमुनी तहजीब यह भारत की परम्परा नहीं है, क्योंकि यमुना भी गंगा में मिल जाती है और अन्त में केवल गंगा ही सागर में मिलती है। अतः भारत की संस्कृति गंगा है। पत्रकारों के उत्तम गुणों पर उन्होंने कहा कि सही सूचना जनमानस में पहुंचाना तथा हर सूचना की प्रमाणिकता तय करना उत्तम संवाददाता का कार्य है। भारतीय जनमानस के सेवा भाव पर कहा कि भूकम्प अथवा बाढ़ के समय सारा विश्व सेवा कार्य में बढ़ चढ़कर भाग लेता है। परन्तु कोविड काल में भारत वर्ष ही एकमात्र ऐसा देश रहा, जहां सेवा कार्य हेतु कोरोना योद्धा सड़कों पर उतरे। इस काल में पत्रकारिता की सकारात्मक भूमिका प्रशंसनीय रही।

उन्होंने कहा कि भगवद्भक्ति की स्थापना तथा प्रचार के लिए नारद जी का आविर्भाव हुआ है। उन्होंने कठिन तपस्या से ब्रह्मर्षि पद प्राप्त किया है। देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोक कल्याण हेतु सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। इसी कारण सभी युगों में, सब लोकों में, समस्त विद्याओं में, समाज के सभी वर्गों में नारद जी का सदा से प्रवेश रहा है। मात्र देवताओं ने ही नहीं वरन् दानवों ने भी उन्हें सदैव आदर दिया है। समय-समय पर सभी ने उनसे परामर्श लिया है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कृषि वैज्ञानिक प्रो. दिनेश चन्द्र राय ने कहा कि देवर्षि नारद ने महर्षि बाल्मीकि को रामायण की रचना के लिए प्रेरित किया।

विश्व संवाद केन्द्र की भूमिका पर कहा कि वर्तमान युग में समाज जागरण का अद्भुत कार्य इस संस्था के माध्यम से हो रहा है। देवर्षि नारद जयन्ती के आयोजन द्वारा श्रेष्ठ पत्रकारिता को सम्मानित कर समाज कार्यों में पत्रकारिता के महत्व को बढ़ाने का कार्य हो रहा है। विश्व संवाद केन्द्र काशी न्यास के अध्यक्ष प्रो. बिशन किशोर ने कहा कि देवर्षि नारद सृष्टि में सौहार्द बनाए रखने की भूमिका का निर्वहन करते थे। देवर्षि नारद की छवि परिहास की नहीं, अपितु ज्ञान के प्रतीक की है। कार्यक्रम प्रस्थापना डॉ. वीरेन्द्र जायसवाल ने रखी।

सम्मान समारोह में पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाले चयनित सात पत्रकारों एवं एक कर्मयोगी सहित आठ लोगों को स्मृति चिह्न, सम्मान पत्र एवं अंगवस्त्रम भेंट कर सम्मानित किया गया। जिनमें अशोक कुमार सिंह (वरिष्ठ संवाददाता, दैनिक जागरण), आलोक कुमार त्रिपाठी (सीनियर सब एडिटर, अमर उजाला), कुमुद सिंह चतुर्वेदी (ब्यूरो चीफ, नेशनल व्हील्स), आशुतोष सिंह (मुख्य संवाददाता, टाइम्स नाउ भारत), नवीन पाण्डे (संवाददाता, एबीपी गंगा न्यूज), नरेन्द्र नाथ मिश्र (सम्पादक, सोच विचार), विजय शंकर गुप्ता (छायाकार, हिन्दुस्थान समाचार एजेन्सी), अवधेश मिश्र (कर्मयोगी) सम्मिलित हैं।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. कुमकुम पाठक एवं धन्यवाद ज्ञापन संयोजक सुरेश बहादुर सिंह ने किया।

नारद जयंती पत्रकार सम्मान समारोह काशी

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