अ. भा. कार्यकारी मंडल प्रस्ताव – श्रीराम जन्मस्थान पर मंदिर निर्माण ­– राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रतीक

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक – युगाब्द 5121,  बेंगलुरु – 14 मार्च 2020

प्रस्ताव – श्रीराम जन्मस्थान पर मंदिर निर्माण ­– राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रतीक

संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल का मानना है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के सर्वसम्मत निर्णय से सम्पूर्ण राष्ट्र की आकांक्षाओं के अनुरूप श्रीराम जन्मस्थान, अयोध्या, पर भव्य मंदिर के निर्माण की सब बाधाएँ दूर हो गई हैं। राम जन्मस्थान के संबंध में 9 नवंबर 2019 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने जो निर्णय दिया है, वह न्यायिक इतिहास के महानतम निर्णयों में से एक है।  माननीय न्यायाधीशों ने सुनवाई के दौरान उत्पन्न की गई अनेक प्रकार की बाधाओं के बावजूद अतुलनीय धैर्य एवं सूझ-बूझ का परिचय देते हुए एक अत्यंत संतुलित निर्णय दिया है। अ.भा.का.मं. इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए मा. सर्वोच्च न्यायालय का हार्दिक अभिनंदन करता है।

श्रीराम जन्मस्थान के पक्ष में प्रबुद्ध अधिवक्ताओं ने जिस समर्पण, निष्ठा व विद्वत्ता के साथ साक्ष्यों व तर्कों को रखा, उसके लिए वे सभी साधुवाद के पात्र हैं। आनंद का विषय है कि समाज के किसी भी वर्ग ने इस निर्णय को अपनी जय या पराजय के रूप में न लेते हुए इसे देश, न्याय व संविधान की विजय के रूप में स्वीकार किया।  अ.भा.का.मं. इस परिपक्वतापूर्ण व्यवहार के लिए संपूर्ण देश के नागरिकों का अभिनन्दन करता है।

‘श्रीराम जन्मस्थान मन्दिर का संघर्ष’ वैश्विक इतिहास के दीर्घकाल तक चलने वाले संघर्षों में अनोखा है। सन् 1528 से निरंतर चले इस संघर्ष में लाखों रामभक्तों ने बलिदान दिये। ये संघर्ष कभी किन्हीं महापुरुषों की प्रेरणा से हुए तो कभी स्वयंस्फूर्त भी रहे। सन् 1950 से प्रारंभ हुआ न्यायिक संघर्ष और 1983 से प्रारंभ हुआ जन-आंदोलन निर्णायक स्थिति प्राप्त करने तक सतत चलता रहा। विश्व इतिहास के इस महानतम आंदोलन को अनेक महापुरुषों ने अपने अनथक परिश्रम व समर्पण से सफलता के शिखर तक पहुँचाया है। अ.भा.कार्यकारी मंडल उन सभी ज्ञात-अज्ञात बलिदानियों का इस अवसर पर पुण्यस्मरण करना व श्रद्धांजलि देना अपना पावन कर्तव्य समझता है।

न्यायालय का निर्णय आने के उपरांत सभी वर्गों का विश्वास प्राप्त कर सद्भावपूर्ण ढंग से उसे स्वीकार करा लेना किसी भी सरकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। जिस धैर्य और साहस के साथ सरकार ने सबका विश्वास प्राप्त किया, उसके लिए कार्यकारी मंडल केंद्र सरकार एवं वर्तमान राजनैतिक नेतृत्व का हार्दिक अभिनंदन करता है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय तथा रामभक्तों की भावनाओं के अनुरूप ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ नामक एक नए न्यास का गठन, शासन-नियंत्रित न्यास के रूप में न करके इसे समाज द्वारा संचालित बनाना व प्रशासन को सहयोगी की भूमिका में लाना सरकार की दूरदर्शिता का परिचायक है। जिन पूज्य संतों के मार्गदर्शन में यह आन्दोलन चला, उन्हीं के नेतृत्व में ही मंदिर निर्माण के कार्य को आगे बढ़ाने का निर्णय लेना भी प्रशंसनीय है| अ.भा.का.मं. का यह भी विश्वास है कि यह न्यास श्रीराम जन्मस्थान पर भव्य मंदिर और परिसर क्षेत्र के निर्माण-कार्य को शीघ्रातिशीघ्र संपन्न करेगा। कार्यकारी मंडल का यह भी विश्वास है कि इस पुनीत कार्य में सभी भारतीय एवं सम्पूर्ण विश्व के रामभक्त सहभागी होंगे|

यह निश्चित है कि इस पावन मंदिर का निर्माण-कार्य संपन्न होने के साथ-साथ समाज में मर्यादा, समरसता, एकात्मभाव और मर्यादापुरुषोत्तम राम के जीवनादर्शों के अनुरूप जीवन जीने का भाव बढ़ेगा तथा भारत विश्व  में शांति, सद्भाव और समन्वय स्थापित करने के अपने दायित्व को पूर्ण कर सकेगा।

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