तेजस : नए भारत की उड़ान
डॉ. अरुण सिंह
तेजस : नए भारत की उड़ान (Tejas movie review)
आतंकवाद पर बहुत सी फिल्में और वेब सीरीज इन दिनों बन रही हैं। अक्टूबर में तेजस आई। इस फिल्म में कहानी भले ही अधिक प्रभावी न हो, पर यह भारत की आतंकवाद के विरुद्ध शक्ति और प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है। इसके साथ ही इस्लामिक आतंकवाद के आतंकी हमले वाले घिनौने पहलू के संदर्भ में भारतीय शासन व्यवस्था को चेताती भी है।
तेजस के भूत और वर्तमान दोनों ही आतंकवाद के उस भयावह और धूर्त चेहरे का सामना करते हैं। वह अपना पूरा परिवार 26/11 की त्रासदी में खो देती है, परंतु वह पस्त नहीं होती। यह लड़ाई उसकी भी है और हर भारतीय को होनी चाहिए। वह नए भारत की सुरक्षा प्रतिनिधि है; आतंक की सीमा में घुसकर उसे परास्त करती है। वह तकनीक के माध्यम से भ्रमजाल भी बुनती है, जिसमें पाकिस्तानी भेड़िया खो जाता है और अपने मुंह की खाता है। तेजस अपनी साथी पायलट अरफा के साथ खुफिया एजेंट प्रशांत का जीवन भी बचाती है और अपने देश पर आतंकी हमले को भी असफल करवाती है। इस अभियान में यह तेजस की सच्ची उपलब्धि है और यह देश को समर्पित है। यही तेजस की हठ है।
भारत की आतंकरोधी क्षमता सही मायनों में यहां प्रदर्शित होती है। भारत में रामजन्मभूमि का पुनर्स्थापन ऐतिहासिक घटना है। अयोध्या में मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर हमले का कुत्सित प्रयास इस फिल्म में एक काल्पनिक घटना है, परन्तु यही फिल्म का रोमांच है। राष्ट्र को भविष्य के प्रति सचेत करना कला का दायित्व बनता है।
तकनीक के फिल्मांकन में कई स्थान पर फिल्म दुरूह प्रतीत होती है। कंगना का अभिनय औसत है। निर्देशन भी थोड़ा जटिल है।