पाठक संगम में पाठकों ने तीर्थंकर महावीर पुस्तक पर चर्चा की

पाठक संगम में पाठकों ने तीर्थंकर महावीर पुस्तक पर चर्चा की

पाठक संगम में पाठकों ने तीर्थंकर महावीर पुस्तक पर चर्चा कीपाठक संगम में पाठकों ने तीर्थंकर महावीर पुस्तक पर चर्चा की

जयपुर। रविवार को पुस्तक पाठक संगम (बुक रीडर्स क्लब) की ओर से भगवान महावीर के 2650वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में जयपुर के दुर्गापुरा स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर में शाम 3 बजे पाठक संगम कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में डॉ. धर्मचन्द्र जैन द्वारा लिखित पुस्तक तीर्थंकर महावीर पर चर्चा हुई। उपस्थित पाठकों ने भगवान महावीर के जन्म से लेकर निर्वाण तक की यात्रा पर अपने अपने विचार साझा किए। 

डॉ. महावीर ने भगवान महावीर के कल्याणकारी संदेशों – जो सुना नहीं उसे सुनो, जो सुना उसे स्मरण रखो, नए दोष कर्मों को रोको, पुराने पाप कर्मों को नष्ट करो, सम्यक् ज्ञान की शिक्षा प्रदान करो, जिसका कोई नहीं, उसके बनो, ग्लानि रहित सेवा भाव अपनाओ, निष्पक्ष रहो – पर प्रकाश डाला। 

मनोज कुमार ने महावीर के सिद्धान्तों को वर्तमान जीवन शैली में सरलता से अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने भेदों से ऊपर उठकर संघ बनाया, जिसमें समानता थी। डॉ. सतेन्द्र जैन ने भगवान महावीर के द्वारा बताए गए चार दानों- अभयदान, आहारदान, औषधिदान और ज्ञानदान की महिमा बताई। 

पुस्तक पाठक संगम (बुक रीडर्स क्लब) की संचालिका डॉ. दर्शना ने कहा रीडर्स क्लब का उद्देश्य समाज और विशेषकर युवाओं में स्वाध्याय को बढ़ावा देना है, ताकि अपने अपने क्षेत्र में सामाजिक मूल्यों को जीवित रखते हुए वे कार्य कर सकें।

कार्यक्रम का संचालन कुणाल ने किया। डॉ. दर्शना ने मंदिर कमेटी और पाठकों का आभार व्यक्त किया।

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