कन्यादान कन्यामान ही है

कन्यादान कन्यामान ही है

कन्यादान कन्यामान ही हैकन्यादान कन्यामान ही है

हिन्दुओं में विवाह एक संस्कार है, जिसे पूरा करने में अनेक रस्मों का पालन किया जाता है, कन्यादान उनमें से एक है। आजकल कन्यादान पर अनेक प्रश्न उठाए जा रहे हैं। जैसे कन्या कोई चीज है क्या, जो दान कर दी जाए? या कन्या कोई धन है, जो दान में दे दी जाए? आलिया भट्ट के एक विज्ञापन के बाद तो इन प्रश्नों को खूब हवा मिली। आज विवाह समारोहों में यह चर्चा आम हो गई है। आइए आज जानते हैं कन्यादान का अर्थ क्या है?

पहला प्रश्न है, कन्या कोई चीज है क्या जो दान कर दी जाए?
इसके लिए सबसे पहले हमें समझना होगा कि दान सिर्फ भौतिक वस्तुओं का ही नहीं होता। दान तो बड़े से बड़े तत्व का भी होता है। जैसे-

विद्यादान, विद्या तो सरस्वती हैं, जब हम किसी को पढ़ाते हैं तो कहते हैं, विद्यादान किया।

बलिदान, एक सैनिक देश के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर देता है।

रक्तदान, जब हम किसी का जीवन बचाने हेतु अपना रक्त देते हैं।

पुत्रदान, कोई जब अपना पुत्रदान करता है तभी कोई उसे गोद लेता है दत्तक पुत्र के रूप में।
इससे हम यह अर्थ निकाल सकते हैं कि दान सिर्फ भौतिक वस्तुओं / चीजों का ही नहीं होता, दान विद्या, अभय, जीवन, प्राण, देह आदि का भी होता है, इसी अर्थ में कन्यादान है।

इसी प्रकार दूसरा प्रश्न है कि क्या कन्या कोई धन है?
तो यहॉं हमें समझना होगा कि धन का अर्थ सिर्फ पैसा / दौलत / सम्पत्ति / सोना-चांदी ही नहीं होता। संस्कृत-हिन्दी कोश में धन का एक और अर्थ दिया गया है- “जो बहुत प्रिय और स्निग्ध हो।” जैसे- पुत्रधन, पुत्रीधन, कन्याधन, गोधन, मानधन, विद्याधन (विद्याधन: सर्व धनं प्रधानं), संतोषधन (जब आवे संतोषधन सब धन धूरि समान), भगवान का नाम भी धन है (पायो जी मैंने राम रतनधन पायो)। इसलिए कन्या को धन कहने का तात्पर्य है, वह बहुत प्रिय है।

दान का अर्थ क्या है?
अब हमें दान का अर्थ समझना होगा। दान कोई गिफ्ट, डोनेशन या चैरिटी नहीं है। दान का अर्थ देना या भीख भी नहीं है। दान संस्कृत का शब्द है, इसका अनुवाद नहीं किया जाना चाहिए। संस्कृत में कहा गया है-
स्व स्वत्व निवृत्त पूर्वकम् परस्वोत्पादनम् दानम्। अर्थात् अपना अपनापन छोड़ते हुए किसी दूसरे में अपनापन बनाना, यह दान है। उदाहरण के लिए हम धोबी को कपड़े देते हैं उसके पहनने के लिए, जो वापस नहीं लेते, यह वस्त्रदान है। दूसरी ओर हम उसे कपड़े देते हैं इस्तरी के लिए। इस्तरी के बाद वापस ले लेते हैं, यह वस्त्र देना है, वस्त्रदान नहीं। यानि दान अपनापन छोड़ने की भावना है।

अब आते हैं कन्यादान पर, यह रस्म क्या है?
कन्यादान के समय मंत्र पढ़ा जाता है-
दाताहं वरुणोराजा, द्रव्यमादित्य दैवतम्, वरोसौविष्णु रूपेण प्रतिग्रहणात्वम् विधि:॥
यहॉं पर कन्या के माता-पिता को वरुण देव, कन्या को सूर्य देवता और वर को विष्णु कहा गया है। यानि जिस प्रकार समुद्र से सूर्य आकाश की ओर जा रहा है यानि सूर्योदय हो रहा है, जो नए दिन का प्रतीक है। इसी प्रकार माता-पिता अपनी कन्या को विष्णु रूप वर को समर्पित कर रहे हैं। यानि उसका नया जीवन आरम्भ हो रहा है।
इसी समय माता-पिता वर से वचन लेते हैं कि धर्म, अर्थ और काम में वह इस कन्या के साथ अन्याय नहीं करेगा। इस प्रकार यह एक पूरी विधि है, जिसमें माता-पिता यथायोग्य वर को अपनी बेटी सौंपते हैं और वर-वधू के सुखद जीवन की कामना करते हैं।

हिन्दू संस्कार बहुत पवित्र हैं। इनका सम्मान किया जाना चाहिए। कन्यादान कन्या का अपमान नहीं, उसका मान ही है। बिना मूल बात जाने कोई स्टेटमेंट देना या व्याख्या करना उचित नहीं।

कन्यादान के बारे में यह भी कहा जाता है कि कन्यादान मध्यकाल में प्रारम्भ हुआ / विजयनगर साम्राज्य के समय शुरू हुआ। वह भी ठीक नहीं है। कन्यादान वैदिक गृहसूत्रों के समय से है, जो बहुत पुराने हैं। तथ्य जानने के लिए पाण्डुरंग वामन काणे की पुस्तक धर्मशास्त्र का इतिहास पढ़नी चाहिए।

Print Friendly, PDF & Email
Share on

3 thoughts on “कन्यादान कन्यामान ही है

  1. सरल शब्दों में कन्यादान को समझाने के लिए आपका आभार। वामपंथी एजेंडा को समझकर ठीक व्याख्या समझना समझाना आज के समय में बहुत बड़ी सेवा है।

  2. जिनको सनातन का कोई ज्ञान नहीं है वही सनातन पर ये बकवास ज्ञान पेलते हैं। आलिया भट्ट की सोच भी उसी अज्ञानता की देन है। इनसे बचने के लिए जरूरी है कि हम अपनी संतानों को अपनी सनातन संस्कृति का तर्कसंगत ज्ञान दें। इसी तरह इन हिन्दू द्रोही वामपंथियों को करारा जवाब मिलेगा।

  3. जिनको सनातन का कोई ज्ञान नहीं है वही सनातन पर ये बकवास ज्ञान पेलते हैं। आलिया भट्ट की सोच भी उसी अज्ञानता की देन है। इनसे बचने के लिए जरूरी है कि हम अपनी संतानों को अपनी सनातन संस्कृति का तर्कसंगत ज्ञान दें। इसी तरह इन हिन्दू द्रोही वामपंथियों को करारा जवाब मिलेगा।

    Reply
    Leave a Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *