मस्जिद-मदरसों में बढ़ता यौनाचार बिगाड़ रहा समाज का ताना-बाना
मस्जिद-मदरसों में बढ़ता यौनाचार बिगाड़ रहा समाज का ताना-बाना
“घर से मस्जिद है बहुत दूर, चलो यूं कर लें किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए।”
लेकिन मस्जिदों, मदरसों का आज जो हाल है, उसे देखते हुए लगता है जैसे शायर निदा फाजली का यह शेर आज बेमानी हो गया है। इन इबादतगाहों और तालीम के केंद्रों से आए दिन किसी न किसी बच्चे-बच्ची के साथ मुल्ला-मौलवियों द्वारा कुकर्म और दुष्कर्म के समाचार सुनने को मिलते रहते हैं। इन पवित्र स्थानों पर अपने बच्चों को भेजने वाले माता-पिता सपने में भी नहीं सोचते होंगे कि वहां उनकी संतानें सुरक्षित नहीं हैं।
मासूम बच्चे-बच्चियों को मौलाना या मौलवी कभी फुसला कर तो कभी किसी और तरह का लालच देकर ऐसे घिनौने आपराधिक कृत्य करते हैं कि मानवता शरमा जाए और फिर पीड़ित या पीड़िता को धमकी देकर चुप रहने के लिए बाध्य भी करते हैं।
हाल ही में राजस्थान के अजमेर जिले का एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां मौलाना मस्जिद के अंदर नाबालिगों को मोबाइल फोन पर अश्लील वीडियो दिखा कर उनके साथ पिछले चार वर्षों से कुकर्म कर रहा था। मामले का खुलासा तब हुआ, जब पीड़ितों ने मौलाना के इन घिनौने कृत्यों से परेशान हो कर लगभग 15 दिन पहले उसकी हत्या कर दी। हत्या की जांच कर रही पुलिस ने पूरे मामले का खुलासा करते हुए बताया कि मौलाना माहिर उत्तर प्रदेश से यहां आकर रहने लगा था। मस्जिद में उसके साथ 15 नाबालिग बच्चे रहते थे। इनमें से छह ने मौलाना की हैवानियत से तंग आकर ऐसा कदम उठाया।
जब अत्याचारों की अति हो जाए तो अपराधी को सबक सिखाने के लिए कभी-कभी पीड़ित भी अपराध का रास्ता अपनाने को विवश हो जाते हैं। अपराधों का यह क्रम समाज को कहां ले जा रहा है? इस पर विचार करने की आवश्यकता है।
मस्जिदों-मदरसों में मुल्ला-मौलवियों द्वारा दुष्कर्म / कुकर्म की ऐसी और भी अनेक घटनाएं हैं। जैसे-
11 मई को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में पुलिस ने 32 वर्ष के एक मौलवी को एक युवती के साथ दुष्कर्म करने और उसका आपत्तिजनक वीडियो बनाने के अपराध में गिरफ्तार किया है।
एक माह पूर्व सितम्बर में ऐसी ही घटना पूर्वी चम्पारण से सामने आई। वहां मौलवी ने मस्जिद में पढ़ने आने वाली एक लड़की का अश्लील फोटो खींच लिया। बाद में इसी फोटो का भय दिखा कर यौन शोषण करता रहा। लड़की गर्भवती हो गई, उसका बच्चा पेट में ही मर गया। डॉक्टरों ने बड़ी मुश्किल से ऑपरेशन कर लड़की की जान बचाई।
22 अक्टूबर 2023 को कोटा में कक्षा 5 में पढ़ने वाले 10 साल के मासूम बच्चे के साथ मौलवी नसीम खान ने मस्जिद में कुकर्म किया। बच्चा वहॉं दीनी तालीम लेने जाता था।
मई 2023 में कानपुर के थाना बिठूर क्षेत्र के अंतर्गत एक छात्रा को नशीला पदार्थ खिलाकर उसके साथ एक मदरसे के मौलवी ने दुष्कर्म किया। मौलवी यहीं नहीं रुका दुष्कर्म का वीडियो बनाकर छात्रा को ब्लैकमेल कर लगातार दुष्कर्म करता रहा।
अक्टूबर 2023 में सहरसा सदर थाना क्षेत्र की एक मस्जिद में पढ़ने वाली एक नाबालिग को मौलाना ने अपनी हवस का शिकार बनाया।
मुजफ्फर नगर में 9 वर्ष की छात्रा के साथ मस्जिद में दुष्कर्म का मामला सामने आया है।
दुख की बात यह है कि ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं। एक ओर भारत चांद पर पहुंच गया, दूसरी ओर देश के मदरसे आज भी मध्यकालीन तालीम में अटके हुए हैं। सरकारें उन्हें आधुनिक शिक्षा से नहीं जोड़ पा रही हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश और असम में कुछ प्रयास हुए हैं, लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं।
आज अमर हो या असलम, सभी को समान शिक्षा मिले, इसके लिए पॉलिसी बनाना सरकार का काम है। दूसरी ओर मुसलमानों का भी दायित्व है कि जब भी किसी मस्जिद में ऐसी शर्मसार करने वाली कोई घटना हो, तो वे उस स्थल को इबादतगाह मानने से इनकार कर दें। वरना मस्जिद क्या है—
कांकर-पाथर जोड़ के मस्जिद लई बनाय। ता चढ़ि मुल्ला बांग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय॥ (संत कबीर)