6 दिवसीय सत्वस्फोट शिविर सम्पन्न

6 दिवसीय सत्वस्फोट शिविर सम्पन्न

6 दिवसीय सत्वस्फोट शिविर सम्पन्न6 दिवसीय सत्वस्फोट शिविर सम्पन्न

माउंट आबू। जैनाचार्य जयानन्द सूरीश्वर जी महाराज एवं तपोरत्न सूरीश्वर जी महाराज के मङ्गलाचरण के साथ सत्वस्फोट शिविर, (देलवाड़ा, माउंट आबू) के उद्घाटन का कार्यक्रम रविवार 19 मई को प्रातः 10 बजे प्रारम्भ हुआ। शिविरार्थियों एवं अतिथियों द्वारा गुरुवंदन किया गया। आगंतुक सम्मानित अतिथि द्वय सुरेंद्र जैन, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष बजरंग दल, रोहतक एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जयपुर प्रान्त के सह-संघचालक हेमंत सेठिया, जयपुर ने परमात्मा के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर शिविर का शुभारम्भ किया। आयोजकों के द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। तत्पश्चात शिविर के बालकों ने जैन ध्वज फहराया।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए जैनधर्म व दर्शन के विद्वान ज्योति भाई कोठारी, जयपुर ने शिविर की रूपरेखा पर प्रकाश डाला. पुणे से आये प्रशिक्षकों के दल ने लाठीकाठी, तीरंदाजी, तलवारबाजी आदि युद्धकलाओं का प्रदर्शन किया।

उपस्थित साधु भगवंतों ने सत्व शब्द को शास्त्रोक्त रूप से परिभाषित किया एवं बताया कि सत्व का जागरण जीवन में कितना महत्वपूर्ण है। दोपहर के बौद्धिक सत्र में सुरेंद्र जैन, रोहतक ने जैन व अन्य सम्प्रदायों का तुलनात्मक अध्ययन विषय पर सारगर्भित उद्वोधन दिया एवं उस पर शिविरार्थियों से चर्चा की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं कुटुंब प्रबोधन के राष्ट्रीय संयोजक नन्दलाल ने परिवार व कुटुंब व्यवस्था एवं नारी सुरक्षा विषय को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। संध्या समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जयपुर प्रान्त के सह-संघचालक हेमंत सेठिया, जयपुर ने जैन धर्म व सामाजिक समरसता विषय पर शिविरार्थियों से वार्तालाप किया। पूज्य मुनि त्रिभुवन हित विजय जी ने पर्यावरण संरक्षण के सम्बन्ध में जैन दृष्टिकोण की विवेचना की।

सोमवार, 20 मई को प्रातः 4.30 बजे ध्वजवंदन के साथ कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। शिविरार्थियों को योगाभ्यास/ पद विन्यास/ के बाद युद्ध कला का अभ्यास प्रारम्भ कराया गया. प्रातःकालीन प्रवचन में पूज्य गुरुदेवों का सानिध्य प्राप्त हुआ। दोपहर के सत्र में सुरेंद्र जैन ने जैन धर्म का वर्तमान, अत़ीत व भविष्य की राह विषय को सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया। साथ ही पूज्य साधु भगवंतों द्वारा विभिन्न विषयों पर प्रबोधन दिया गया। रात्रि में विश्वविख्यात विमल वसही मंदिर में भक्ति संगीत एवं उपाश्रय में सामायिक सत्र का आयोजन हुआ। पूज्य मुनि त्रिभुवन हित विजय जी ने वर्तमान काल में बढ़ती हिंसा के सन्दर्भ में अहिंसा पालन की प्रक्रिया की विवेचना की।

शिविर के तीसरे दिन मंगलवार, 21 मई को ज्योति कोठारी, जयपुर ने जैन धर्म के सिद्धांत एवं आधुनिक विज्ञान से उसका सम्बन्ध विषय पर उद्वोधन दिया, जिसमें जैन दर्शन के षड द्रव्य के स्वरूप का आधुनिक विज्ञान की दृष्टि से विवेचन किया। उन्होंने छात्रों की सभी शंकाओं का समाधान करते हुए बताया कि भगवान महावीर का केवलज्ञान वर्तमान विज्ञान से भी बहुत आगे तक की दृष्टि रखता है। सुरेंद्र जैन ने जैन धर्म का अतीत व वर्तमान पर प्रकाश डालते हुए भविष्य की राह की परिकल्पना प्रस्तुत की।

शिविर के चौथे दिन बुधवार, 22 मई विश्व हिन्दू परिषद् के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुकुम चंद सावला ने जैन धर्म की गौरव गाथा (जैन सम्राटों, राजाओं, मंत्री-सेनापतियों, जैन संतों, प्रमुख श्रावकों एवं क्रांतिकारियों का इतिहास) विषय पर अत्यंत रोचक एवं सारगर्भित उद्वोधन दिया। अपने जोशीले उद्वोधन से उन्होंने शिविरार्थियों में जैन सम्प्रदाय के प्रति विशेष आस्था का संचार किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रौढ़ प्रान्त प्रमुख प्रवीण जैन, जोधपुर ने जैन युवाओं का धर्म और राष्ट्र के निर्माण में योगदान एवं कार्यकर्ता निर्माण व दायित्व विषय पर चर्चा करते हुए कार्यकर्ताओं के दायित्व, संगठन में भूमिका एवं धर्म प्रभावना और राष्ट्र के निर्माण में योगदान के सम्बन्ध में प्रभावशाली विवेचन किया।

शिविर के पांचवें दिन गुरुवार, 23 मई पूज्य गणी हेमचन्द्र विजय जी महाराज ने परमात्मा महावीर एवं अन्य तीर्थंकरों के प्रेरणास्पद जीवन चरित्र पर प्रवचन देते हुए उनके जीवन में सत्व की भूमिका को विशेष रूप से रेखांकित किया। हुकुम चंद सावला ने शिविरार्थियों से संगठन के महत्व पर चर्चा की। मांस निर्यात निरोध परिषद् एवं भारतीय प्राणी मित्र संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जसराज श्रीमाल, हैदराबाद ने जीव दया एवं शाकाहार पर चर्चा की एवं देश से मांस निर्यात को बंद करने की बात कही।

शिविर के छठे दिन शुक्रवार, 24 मई को पूज्य विश्वरत्न विजय जी का प्रेरक उद्वोधन हुआ। पूज्य मोहजीत विजय जी ने प्राचीन एवं मध्यकाल के प्रभावक आचार्यों की कथा सुन्दर शैली में बताई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य एवं पूर्व अखिल भारतीय शारीरिक एवं व्यवस्था प्रमुख रहे सांकल चंदजी बागरेचा, बेल्लारी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संगठन एवं कार्यकर्ताओं के सम्बन्ध में विस्तृत विवेचन करते हुए वर्तमान में जैन संघों एवं संगठनों का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया की पद एवं धन के प्रलोभन से दूर रहते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता किस प्रकार राष्ट्र निर्माण के कार्य में अग्रणी रहते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आज यह विश्व का सबसे बड़ा गैर राजनैतिक संगठन बन गया है।

शिविर के अंतिम दिन छात्रों ने युद्ध कला का अभ्यास किया एवं विश्व प्रसिद्ध लूणवसहि मंदिर में पूजा कर प्रभु भक्ति की। दोपहर को समापन समारोह में पूज्य गणी हेमचन्द्र विजय जी के मंगलाचरण से प्रारम्भ हुआ। मुख्य अतिथि, राजस्थान सरकार के सहकारिता मंत्री गौतम एवं सांकल चंद बागरेचा ने परमात्मा के आगे दीप प्रज्वलन किया। शिविरार्थियों द्वारा जैन ध्वज फहराया गया। इसके बाद छात्रों ने युद्ध कला का प्रदर्शन किया, जिसमें लाठीकाठी, तलवारबाजी, भाला, तीरंदाजी, आदि से युद्ध कला का प्रदर्शन किया। देलवाड़ा तीर्थ के व्यवस्थापक कल्याण परमानन्द पढ़ी के अध्यक्ष पंकज गाँधी, ट्रस्टी गण दिनेश काँगतानी, साकेत सिंघी एवं दिलीप डोसी ने माल्यार्पण एवं साफा पहना कर अतिथियों का स्वागत किया। मुख्य अतिथि गौतम दक ने श्री जिनशासन सेवक संघ की वेबसाइट का उद्घाटन किया।

सम्पूर्ण शिविर में छात्रों ने अनुशासन का पालन करते हुए पूज्य आचार्य/ साधु साध्वी भगवंतों की उपस्थिति में प्रातः 4.30 बजे से रात्रि 9.30 बजे तक कठोर परिश्रम कर शारीरिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक सत्रों में भाग लेकर जीवन में जिनशासन के पथ पर चलने का संकल्प किया।

सत्वस्फोट शिविर की परिकल्पना एवं आयोजन में मुख्य रूप से कपिल भाई राठौड़, पुणे एवं ज्योति भाई कोठारी, जयपुर का योगदान रहा।

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