जोश में खोया होश, क्या जाएगी ओवैसी की संसद सदस्यता, क्या कहता है संविधान?
जोश में खोया होश, क्या जाएगी ओवैसी की संसद सदस्यता, क्या कहता है संविधान?
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार (26 जून, 2024) को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ ली। भारत माता की जय बोलने में असहज हो जाने वाले ओवैसी ने इस दौरान …जय फिलिस्तीन का उद्घोष किया। पत्रकारों ने जब ओवैसी से इस पर प्रश्न पूछा तो चोरी और सीनाजोरी के अंदाज में वे बोले- “जो बोल दिया सो बोल दिया।” उस पर तर्क यह कि बताइए संविधान के किस प्रावधान के अंतर्गत यह गलत है? अब कहने को तो ओवैसी जी वकील हैं, परंतु शायद उन्होंने संविधान का अनुच्छेद 102 और 103 पढ़ा नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 102 में वे स्थितियाँ बताई गई हैं, जिनके अंतर्गत किसी संसद सदस्य को अयोग्य घोषित किया जा सकता है। अनुच्छेद 102 के भाग ‘घ’ में लिखा है कि ऐसे संसद सदस्य को अयोग्य घोषित किया जा सकता है जो भारत का नागरिक नहीं है या उसने किसी दूसरे राष्ट्र की नागरिकता ले ली है या वह दूसरे राष्ट्र के प्रति श्रद्धा रखता है।
वहीं संविधान का अनुच्छेद 103, अनुच्छेद 102 के अंतर्गत किसी संसद सदस्य को अयोग्य ठहराए जाने को लेकर निर्णय सम्बन्धी शक्तियाँ देश के राष्ट्रपति को देता है। इसमें कहा गया है कि यदि अनुच्छेद 102 के अंतर्गत अयोग्यता का मामला उठता है तो इसे राष्ट्रपति को भेजा जाना चाहिए और उनका निर्णय ही अंतिम होगा। इसी अनुच्छेद में कहा गया है कि अयोग्य घोषित करने के लिए राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सलाह लेगा और उसी के अनुसार निर्णय लेगा।
घटना के बाद राजनीति गरमा गई। वकील हरि शंकर जैन ने इसकी शिकायत राष्ट्रपति से, तो एक अन्य वकील विभोर आनंद ने लोकसभा सचिवालय में कर दी। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने मंगलवार देर रात एक सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि उनके पिता और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने अपनी शिकायत में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से दूसरे राष्ट्र के प्रति आस्था दिखाने के कारण ओवैसी की संसद सदस्यता रद्द करने की माँग की है।
पत्रकार रश्मि शर्मा कहती हैं, संसद कोई घर के पास वाला पार्क नहीं है, जहॉं बैठकर आप कुछ भी बोल सकते हो। इसके दोनों सदनों में एथिक्स कमेटी भी होती है, जो नेताओं के नैतिक आचरण पर नजर रखती है। कमेटी अगर सिफारिश करे कि किसी सदस्य की किसी विशेष हरकत के कारण सदन की गरिमा भंग हुई है, तो भी उसकी सदस्यता जा सकती है।
फिलहाल ओवैसी के जय फिलिस्तीन वाले नारे को रिकॉर्ड से हटा दिया गया है, लेकिन वरिष्ठ वकील ओवैसी की सदस्यता निरस्त किए जाने की लगातार मांग कर रहे हैं। वहीं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर नेटीजंस भी अपना रोष प्रकट कर रहे हैं। तन्मय श्रीवास्तव लिखते हैं, “असदुद्दीन ओवैसी को जय फिलिस्तीन नारा लगाने पर संसद से बर्खास्त करना चाहिए। इस बात का स्पष्टीकरण संविधान में है। आप शपथ लेते समय दूसरे देश का जयकारा नहीं लगा सकते।कांग्रेस को Jai Bharat हिन्दू राष्ट्र से विरोध है तो Jai Palestine से प्रेम क्यों?”
जैकी यादव लिखते हैं, “हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी साहब ने कल जब लोकसभा में शपथ ली तो उन्होंने “जय फिलिस्तीन” बोला। यह नारा सामान्य नहीं था क्योंकि लोकसभा में कुछ कहना और बाहर कुछ कहना दोनों में बहुत बड़ा फर्क होता है। संविधान के आर्टिकल 102(D) में कहा गया है कि किसी भी सांसद की सदस्यता ख़त्म हो सकती है यदि वह acknowledgement of allegiance or adherence to a foreign State यानि किसी भी विदेशी राज्य के लिए अपनी लॉयल्टी प्रकट करता है। असदुद्दीन ओवैसी साहब थोड़ा कूल बनने के चक्कर में संविधान के नियमों के विरुद्ध चले गए।
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