जयपुर में मीट विक्रेताओं को दुकान के बाहर लिखना होगा मीट हलाल है या झटका

जयपुर में मीट विक्रेताओं को दुकान के बाहर लिखना होगा मीट हलाल है या झटका

जयपुर में मीट विक्रेताओं को दुकान के बाहर लिखना होगा मीट हलाल है या झटकाजयपुर में मीट विक्रेताओं को दुकान के बाहर लिखना होगा मीट हलाल है या झटका

जयपुर। जयपुर नगर निगम ग्रेटर की चौथी कार्यकारिणी समिति की बैठक लंबे समय बाद हुई। बैठक में मीट की अवैध दुकानों पर कार्रवाई करने और कामर्शियल पट्टा होने पर ही लाइसेंस दिए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि अब दुकानदारों को मीट की दुकानों के बाहर यह लिखना अनिवार्य होगा कि वे झटका मीट बेचते हैं या हलाल मीट। बैठक में मेयर सौम्या गुर्जर समेत ग्रेटर निगम के कई पार्षद मौजूद रहे।

निगम के इस निर्णय का उद्देश्य ग्राहकों को सही जानकारी प्रदान करना तथा उनकी धार्मिक व व्यक्तिगत प्राथमिकताओं का सम्मान करना है। मीट झटका है या हलाल, स्पष्ट जानकारी होने पर ग्राहक अपनी मान्यताओं के अनुसार मीट खरीद सकेंगे। झटका मीट हिन्दू और सिख समाजों में अधिक लोकप्रिय है, जबकि मुस्लिम हलाल मीट खाते हैं।

नगर निगम का कहना है कि वह इस निर्णय के पालना की निगरानी करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि सभी मीट विक्रेता इस निर्देश का पालन करें। जयपुर नगर निगम के इस निर्णय का हिन्दू व सिख समाज ने स्वागत किया है। एक ढाबे के मालिक अमन कोचर इसे प्रशंसनीय कदम बताते हैं।

कामां में प्रदर्शन, मीट की अवैध दुकानें बंद हों
दूसरी ओर कामां में लोग बिना लाइसेंस
अनाधिकृत रूप से यहॉं वहां चल रही मांस की दुकानों से परेशान हैं। ऐसी दुकानों पर प्रतिबंध लगाने हेतु कस्बावासियों ने मंगलवार को एसडीएम व थाना प्रभारी को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि नगर पालिका क्षेत्र के कोसी रोड, केपी ड्रैन, बरसाना रोड, भोजन थाली रोड, बालिका माध्यमिक विद्यालय, पहाड़ी रोड नंद पैट्रोल पम्प, चरणपहाड़ी सहित अन्य स्थानों पर अनाधिकृत रूप से जगह जगह मीट की दुकानें चल रही हैं। जिससे देश विदेश से आने वाले बृज यात्रियों के साथ साथ स्थानीय लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं। पुलिस प्रशासन इनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। दो वर्ष पूर्व नगर पालिका द्वारा इन्हें सील किया गया था। लेकिन प्रभावशाली मीट विक्रेताओं ने नगर पालिका प्रशासन को चुनौती देते हुए दुकानें फिर से संचालित कर लीं। अवैध रूप से मांस बेचने वाले विक्रेताओं व इन्हें संरक्षण देने वाले अफसरों, दोनों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

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