पाली के बालाजी मंदिर में सर्व समाज ने ग्रहण की महाप्रसादी, डूंगरपुर में सामाजिक समरसता विषय पर होगा संत सम्मेलन

पाली के बालाजी मंदिर में सर्व समाज ने ग्रहण की महाप्रसादी, डूंगरपुर में सामाजिक समरसता विषय पर होगा संत सम्मेलन

पाली के बालाजी मंदिर में सर्व समाज ने ग्रहण की महाप्रसादी, डूंगरपुर में सामाजिक समरसता विषय पर होगा संत सम्मेलनपाली के बालाजी मंदिर में सर्व समाज ने ग्रहण की महाप्रसादी, डूंगरपुर में सामाजिक समरसता विषय पर होगा संत सम्मेलन

पाली। राजस्थान के पाली जिले में स्थित बुसी गांव के बालाजी मंदिर में 12 वां ध्वजारोहण समारोह 4 जुलाई को संपन्न हुआ। इसमें सर्वसमाज के लोगों ने अति उत्साह से भाग लिया। आयोजकों की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार बुसी गांव के बालाजी भगवान की अमर ध्वजा के लाभार्थी इस वर्ष शिवराज मीठालाल गौतम, सहलोत जैन रहे। समारोह के पहले दिन विशाल भजन संध्या का आयोजन किया गया। इसमें भजन कलाकार छोटू सिंह रावणा ने भक्तिपूर्ण प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

समारोह के दूसरे दिन त्यागी जी के आश्रम में भव्य वरघोड़े का आयोजन किया। इसमें तीन हजार से अधिक भक्तों ने भाग लिया। गाते-बजाते, नृत्य करते लोग वरघोड़े को बालाजी के मंदिर तक ले गए। इस अवसर पर आयोजित महाप्रसादी के समय सामाजिक समरसता का अनुपम उदाहरण देखने को मिला। 15 से 20 गांवों के सर्वजातीय समाज ने एकजुटता से महाप्रसादी का आनंद लिया।

 

सामाजिक समरसता के लिए बाल योगी उमेशनाथ का राजस्थान के 20 जिलों में प्रवास

देश में सामाजिक समरसता को सुदृढ़ करने के लिए मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद एवं वाल्मीकि पीठाधीश्वर बालयोगी उमेशनाथ हाल ही 9 जुलाई को चितौड़गढ़ पहुंचे। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि वे सामाजिक समरसता के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से राजस्थान के 20 जिलों में प्रवास करेंगे। राहुल गांधी के हिन्दू विरोधी बयान पर उन्होंने कहा, जब भी कोई व्यक्ति ऐसी बात बोले तो सनातनधर्मियों को उसका प्रतिकार करना चाहिए। मैं यह संकल्प लेकर राजस्थान के प्रवास पर आया हूं कि “जाति, पंथ, सम्प्रदाय तोड़ें, राष्ट्र को जोड़ें।” जब हम अन्तर्मन से जाति, पंथ, सम्प्रदाय पर विराम लगाएंगे, तभी देश में सामाजिक समरसता कायम हो पाएगी।

डूंगरपुर में संत समागम

सामाजिक समरसता पर डूंगरपुर जिले के खडगदा ग्राम में अप्रैल माह में सामाजिक समरसता विषय पर संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर व प्रतापगढ़ के संतों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान संतों ने कहा कि भगवान को काल्पनिक कहने वाले लोगों की निंदा की जानी चाहिए। हम किसी भी जाति, कुल में जन्मे हों, हम सब सनातनी हैं।

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