वोट बैंक की राजनीति पर योगी की नकेल

वोट बैंक की राजनीति पर योगी की नकेल

अजय सेतिया

वोट बैंक की राजनीति पर योगी की नकेलवोट बैंक की राजनीति पर योगी की नकेल

लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद उत्तर प्रदेश में वातावरण ही बदल गया था। जिन समाज विरोधी तत्वों पर पिछले सात वर्षों में नकेल डाली गई थी, वे फिर से उछलकूद करने लगे थे। जहरीली शराब की तस्करी का एक बड़ा मामला सामने आया, जिसे पीने से सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। कानपुर में सांप्रदायिक दंगों का वातावरण बन गया था। चुनाव परिणामों से समाजवादी पार्टी के समर्थक यादव और मुस्लिम अति उत्साह में आ गए थे। प्रशासन में यह संदेश चला गया था कि योगी युग समाप्ति की ओर है, 2027 में अखिलेश यादव की वापसी होने वाली है। इसलिए प्रशासन में समाजवादी पार्टी के नेताओं के प्रति सद्भावना लौटनी शुरू हो गई थी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव परिणामों से पहले ही यह हवा बनानी शुरू कर दी थी कि चुनाव बाद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाएगा। भाजपा के भीतर से भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ के विरुद्ध सुगबुगाहट सुनने को मिल रही थी। एक सर्वेक्षण एजेंसी ने सर्वे किया तो 42 प्रतिशत लोगों ने कहा कि भाजपा में योगी को हटाने की तैयारी चल रही है। इन अटकलों के बीच प्रशासन में ढीलापन आ गया और कुछ दिन के भीतर ही दिखने लगा कि उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था बिगड़नी शुरू हो गई। समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में राज्य की बिगड़ रही कानून व्यवस्था का प्रश्न उठाया तो योगी आदित्यनाथ ने प्रशासन को यह कह कर कड़े शब्दों में संदेश दे दिया कि वह नौकरी करने नहीं आए हैं। उन्होंने जहरीली शराब की तस्करी के मामले में आजमगढ़ के एक सपा विधायक की भूमिका और कानपुर में सांप्रदायिक दंगा करवाने के प्रयास में सपा विधायक का नाम लेकर अति उत्साह में आई सपा को बचाव मुद्रा में लाकर खड़ा कर दिया। उन्होंने प्रशासन को संदेश दे दिया कि जब तक वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर हैं, अपराधों के प्रति जीरो टोलरेंस की नीति में कोई बदलाव नहीं हो सकता। उनका यह संदेश समाजवादी पार्टी के हवा खराब करने का प्रयास करने वाले नेताओं और प्रशासन में बैठे उनके समर्थकों, दोनों के लिए था कि जो लोग बातों से नहीं मानते उनका वह दूसरा इलाज करेंगे।

योगी आदित्यानाथ ने पिछले एक सप्ताह में दो बड़े एक्शन लेकर अपनी धमकी को क्रियान्वित करके अपनी धमक को फिर से स्थापित कर दिया है।

पहली घटना लखनऊ में बारिश के दौरान एक दम्पत्ति के साथ हुई छेड़छाड़ थी, जिस पर योगी आदित्यानाथ ने संबंधित थाने में तैनात सारे स्टाफ को निलंबित कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने विधानसभा में समाजवादी पार्टी को बेनकाब करते हुए बताया कि उन अपराधियों में से उनके पास अभी दो नाम आए हैं, पहला नाम है पर्वत यादव और दूसरा अपराधी है मोहम्मद अरबाज। योगी आदित्यानाथ यह अच्छी तरह जानते हैं कि यादवों और मुसलमानों ने अन्य पिछड़े और अनुसूचित जाति समाज को भरमा कर भाजपा को हराने में प्रमुख भूमिका निभाई है। चुनाव में भाजपा से ज्यादा सीटें जीतने के बाद समाजवादी पार्टी के इन्हीं दो वर्गों ने प्रदेश का वातावरण खराब करना शुरू कर दिया है। इसलिए योगी आदित्यानाथ ने बिना किसी हिचकिचाहट के इन दोनों वर्गों को विधानसभा में बेनकाब किया। साथ में उन्होंने यह भी कहा कि ये सद्भावना वाले लोग हैं, जिनके लिए वह जल्द ही बुलेट ट्रेन का इंतजाम करेंगे। चुनाव परिणामों के बाद उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की जहां जहां भी समस्या खड़ी हुई है, उसमें इन दोनों वर्गों की भूमिका पाई जा रही है। उन्हें बेनकाब करने का योगी का लहजा ही बता रहा था कि वह बड़ी कार्रवाई करने जा रहे हैं।

दूसरी घटना अयोध्या की सामने आई, जहां समाजवादी पार्टी के एक मुस्लिम नेता मुईद खान ने उनकी बेकरी में काम करने आई बारह वर्ष की बच्ची के साथ बलात्कार किया। इतना ही नहीं उसके नौकर राजू खान ने भी बलात्कार किया। बल्कि इन दोनों ने कई बार उससे बलात्कार किया। खुलासा तब हुआ जब बच्ची गर्भवती हो गई। बच्ची के माता पिता कई दिनों तक पुलिस के चक्कर लगाते रहे, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। आरोपी फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद के निकट था। यह वही समाजवादी सांसद है, जिसे राहुल गांधी और अखिलेश यादव पहले झूठ बोल कर अयोध्या का सांसद बता रहे थे, फिर अयोध्या का राजा बताना शुरू कर दिया था। सैंतीस सीटें जीतने के कारण समाजवादी पार्टी को पहली बेंच पर दो सीटें मिली हैं, और अखिलेश यादव ने उन्हें अपने साथ पहली बेंच पर सीट अलॉट करवाई है। जब बवाल मचा तो मोईद खान ने अपने नौकर राजू खान को फंसाने का प्रयास किया। लेकिन विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और निषाद पार्टी ने जब धरने प्रदर्शन शुरू किए, तो मोईद खान के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई। बलात्कार का शिकार हुई बच्ची निषाद जाति की है, जो अति पिछड़ों में आती है। यहां प्रश्न जाति का नहीं, प्रश्न नैतिकता और मानवता का है। मोईद खान समाजवादी पार्टी का नेता और नगर अध्यक्ष है। अखिलेश यादव को चाहिए था कि वह मोईद खान को तुरंत पार्टी से निकाल बाहर करते, लेकिन जब उसकी गिरफ्तारी हो गई, तो अखिलेश यादव ने उसके पक्ष में एक लंबा ट्विट करके कहा कि आरोपी का डीएनए टेस्ट करवाने के बाद कोई कार्रवाई की जानी चाहिए। ऐसा उन्होंने इसलिए कहा क्योंकि वह मुस्लिम अपराधी के विरुद्ध बयान देकर मुस्लिम वोट बैंक को नाराज नहीं करना चाहते थे। उनके लिए नैतिकता और मानवता की कोई अहमियत नहीं। उनके पिता मुलायम सिंह भी धर्म और जाति देख कर ही अपराधी का अपराध तय करते थे। वह घटना कई लोगों के जेहन में अब भी होगी जब मुलायम सिंह ने मुरादाबाद की एक चुनावी सभा में कहा था कि बच्चे हैं, गलती हो जाती है। तब भी बलात्कारी मुस्लिम थे और बलात्कार की शिकार हिन्दू बच्ची थी। मुलायम सिंह भाषण देकर मंच से वोट बैंक की राजनीति पर योगी की नकेलबलात्कारियों के पिता उन्हें लगभग घसीट कर दोबारा मंच पर लाए थे, और उनसे यह बात बुलवाई थी।

अपराधी मुस्लिम और यादव हों, तो जैसे मुलायम सिंह की भाषा बदल जाती थी, वैसे ही अखिलेश यादव की भाषा भी बदल जाती है। इतना ही नहीं सब समाजवादियों की भाषा बदल जाती है।

फैजाबाद के बेशर्म समाजवादी सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि योगी अदित्यनाथ की मुसलमानों और यादवों के साथ पता नहीं क्या दुश्मनी है। वह अवधेश प्रसाद ही था, जिसके दबाव में अयोध्या की पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर रही थी। इतना ही नहीं, बल्कि जब गिरफ्तारी हो गई तो अयोध्या मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष समाजवादी पार्टी के दो नेताओं के साथ पहले उस बच्ची के घर और बाद में उस अस्पताल में जा धमके, जहां बच्ची का इलाज चल रहा था और परिवार पर दबाव डाला गया कि वे समझौता कर लें, नहीं तो बुरा होगा। मोईद खान की गिरफ्तारी तो हो गई थी, बुलडोजर की कार्रवाई शायद कुछ दिन टल जाती, लेकिन जब मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने अस्पताल में मौत से जूझ रही बच्ची के माता-पिता पर समझौते का दबाव बनाया और बच्ची के माता-पिता ने दो अगस्त को स्वयं मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात करके उन्हें सारा घटनाक्रम बताया तो योगी का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। योगी ने न सिर्फ मोईद के घर और बेकरी पर बुलडोजर चलवा दिया, बल्कि थाना प्रभारी रत्त शर्मा और चौकी इंचार्ज अखिलेश गुप्ता समेत पूरे थाने को हो सस्पेंड कर दिया। योगी के आदेश से धमकाने वालों के विरुद्ध भी एफआईआर दर्ज हो गई है। कई लोग गिरफ्तार भी कर लिए गए हैं। योगी ने अपने एक्शन से साबित कर दिया कि समाजवादी पार्टी के समाज विरोधी तत्वों के निपटने के लिए उत्तर प्रदेश में योगी ही उपयुक्त हैं, भारतीय जनता पार्टी के पास उनका राजनीतिक विकल्प तो हो सकता है, प्रशासनिक विकल्प नहीं हो सकता। योगी आदित्यनाथ ने इन दो घटनाओं में कड़ी कार्रवाई करके उत्तर प्रदेश में अपनी उपयोगिता साबित कर दी है। उन्होंने यह भी साबित कर दिया है कि अखिलेश यादव ने पीडीए का सफल प्रयोग किया है, उसकी सच्चाई भी वही जनता के सामने ला सकते हैं। अयोध्या की घटना से अखिलेश यादव के पीडीए की भी पोल खुल गई। पहले मायावती यह आरोप लगाती थीं कि समाजवादी पार्टी के शासन में अनुसूचित जाति समाज का जम कर उत्पीड़न होता है। उसके बाद मुस्लिम आरोप लगाते रहे कि मुलायम सिंह और अखिलेश यादव उन्हें सिर्फ वोट बैंक के लिए इस्तेमाल करते हैं, बाद में शासन सिर्फ यादवों का चलता है।

अयोध्या की घटना ने साबित कर दिया कि अखिलेश यादव ने पीडीए का नारा सिर्फ गैर यादव अति पिछड़ी जातियों और अनुसूचित जाति समाज का वोट लेने के लिए प्रयोग किया था। अयोध्या में बलात्कार का शिकार हुई बालिका अति पिछड़ी निषाद जाति की है, और अखिलेश यादव बड़ी बेशर्मी से बलात्कारी मुस्लिम का बचाव कर रहे हैं। अपनी हरकत से उन्होंने साबित कर दिया कि उनका असली कॉम्बीनेशन मुस्लिम यादव ही है, अति पिछड़ों और अनुसूचित जाति समाज को तो उन्होंने धोखे में रखा हुआ है। यह बात मायावती ने भी कही है।

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