सेवा भारती ने हाथ बढ़ाया, तो संवरा जीवन

सेवा भारती ने हाथ बढ़ाया, तो संवरा जीवन

उमेश शर्मा

सेवा भारती ने हाथ बढ़ाया, तो संवरा जीवनसेवा भारती ने हाथ बढ़ाया, तो संवरा जीवन

सीकर में दो पिछड़ी बस्तियां हैं, नट और स्वामी बस्ती। यहाँ के लोगों का जीविकोपार्जन अधिकांशतः भिक्षावृत्ति से ही होता था। गत 40 वर्षों से संघ तथा सेवा भारती द्वारा यहाँ निरन्तर इन लोगों के सामाजिक, शैक्षिक, स्वास्थ्य एवं आर्थिक उत्थान आदि के लिए कार्य किया जा रहा है।

नट जाति के लोग पारम्परिक रूप से नाचने एवं गायन में तज्ञ होने के साथ ही मन से बहुत सरल होते हैं। कुछ मुसलमानों ने इनकी इसी सरलता, जागरूकता एवं व्यावसायिक गुणों के अभाव का लाभ उठाना आरम्भ कर दिया। वे इन्हें अपने चंगुल में फंसा लेते और इनसे अपने मन अनुसार काम करवाते तथा मेहनताना भी नहीं देते थे।

ऐसे ही एक व्यक्ति श्यामलाल नट को इन्होंने शुरुआत में कुछ रुपये दिये और अपने अनुसार निकाह, जन्मदिन आदि कार्यक्रमों में गाने का काम करवा कर धीरे-धीरे उसे अपने जाल में फंसाते गये। जब कभी श्यामलाल नट को पैसे की आवश्यकता होती, तो उसे ये मोटी ब्याज दर पर पैसे दे देते थे। बाद में ब्याज इतना बढ़ गया कि उसकी मासिक आय से भी अधिक ब्याज उसे चुकाना भारी पड़ने लगा और जब यह ब्याज दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगा, तब ये लोग उससे मारपीट करने लगे तथा धमकाने भी लगे। एक दिन यह बात सेवा भारती के कार्यकर्ताओं तक पहुंची, तब उन्होंने पीड़ितों से सम्पर्क किया व उनको समझाया। उन्हें हर सम्भव सहायता देने का वादा भी किया। कार्यकर्ताओं ने उन्हें स्वयं का बैण्ड तैयार करने के लिए वित्त निगम से 1,80,000 रुपये का लोन मात्र पच्चीस पैसे प्रति सैकड़ा की दर से दिलवाने में पूरी सहायता की। यह चैक तत्कालीन जिला कलक्टर मंजू राजपाल ने एक कार्यक्रम के दौरान उन्हें स्वयं  प्रदान किया। पहली बार किसी नट जाति के व्यक्ति को इस प्रकार का लोन मिला था।

इस राशि से श्याम लाल ने स्वयं का एक बैण्ड तैयार किया। एक बैण्ड में लगभग 50 लोगों को रोजगार मिलता है। श्यामलाल नट ने अपने भाई को जनरेटर खरीद कर दिया, जिसमें दो लोग कार्य करते हैं। एक बैण्ड में 15-25 लोग लाइट उठाने का कार्य करते हैं। इसके अलावा बैण्ड बजाने वाले 11-31 लोग, एक गायक कलाकार तथा एक बैण्ड मास्टर होता है। बैण्ड मास्टर का कार्य स्वयं श्यामलाल करते हैं। इनके तीन बेटे हैं, जिन्हें विद्या मंदिर में पढ़ने के लिए प्रवेश दिलवाया गया, जिसके फलस्वरूप ये बच्चे स्नातक में प्रथम वर्ष तथा द्वितीय वर्ष तक पढ़े हैं। बैण्ड से होने वाली अच्छी आय के चलते अब श्यामलाल सीकर में अपना पक्का मकान भी बनवा रहे हैं।

बस्ती में चलने वाले मातृ संस्कार केन्द्र से निकले कुछ बच्चों ने विद्या भारती से पढ़ लिख कर बीए, बी टेक एवं नर्सिंग आदि की पढाई की है। कुछ बच्चे कम्पाउण्डर का कार्य कर रहे हैं। एक बैण्ड पार्टी में आवश्यकतानुसार 21 से लेकर 51 व्यक्ति तक सम्मिलित होते हैं। एक बैण्ड पार्टी को तीन घण्टे के एक कार्यक्रम से 51,000 से 1,00,000 रुपये तक की आय होती है। एक वर्ष में औसतन 40 शादी समारोह तथा 40 अन्य कार्यक्रमों से एक छोटे से बड़े

कलाकार को 15,000 से 50,000 प्रतिमाह की आय होती है। बस्ती के लोगों में भिक्षावृत्ति भी लगभग शून्य हो गयी है। आज बस्ती में कुल तीन बैण्ड पार्टी हैं। जिनके माध्यम से बस्ती के अनेक लोगों को नियमित रूप से स्थायी रोजगार मिल रहा है। इसी नियमित आय के कारण इनका सामाजिक-आर्थिक स्तर बढ़ा है तथा वे सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं।

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