स्वामी विवेकानंद ने भारत के आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन को दुनिया तक पहुंचाया- हनुमान सिंह

स्वामी विवेकानंद ने भारत के आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन को दुनिया तक पहुंचाया- हनुमान सिंह

स्वामी विवेकानंद ने भारत के आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन को दुनिया तक पहुंचाया- हनुमान सिंहस्वामी विवेकानंद ने भारत के आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन को दुनिया तक पहुंचाया- हनुमान सिंह

अजमेर, 13 सितम्बर। बुधवार को एनएमओ अजयमेरु इकाई द्वारा जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अजमेर में स्वामी विवेकानन्द के शिकागो में दिए भाषण की 131वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में ‘दिग्विजय दिनोत्सव’ मनाया गया। इस अवसर पर ‘स्वामी विवेकानन्द जी का भारत के नव-निर्माण में योगदान’ विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन हुआ। जिसमें हनुमान सिंह राठौड़ (संघ के राजस्थान क्षेत्र की क्षेत्रीय कार्यकारिणी सदस्य) ने अपने विचार रखते हुए कहा कि सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व स्वामी विवेकानंद ने किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और पूरे यूरोप में उनके प्रयासों एवं प्रस्तुति के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो आज भी भारतीय संस्कृति एवं आध्यात्मिक मूल्यों को सुदृढ़ कर रहा है। स्वामी विवेकानंद ने जब धर्म संसद में कहा, मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसी संस्कृति से हूं, जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते, बल्कि हम विश्व के सभी रिलिजंस को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं। मैं उस देश से हूं, जिसने सभी देशों के सताए गए लोगों को अपने यहां शरण दी, तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था। राठौड़ ने कहा, ‘धर्म’ शब्द ‘रिलिजन’ का पर्याय नहीं है, इसे किसी रिलिजन यथा पूजा पद्धति, मत, पंथ विशेष से नहीं जोड़ा जा सकता और न ही रिलिजन से परिभाषित किया जा सकता है। जिसे धारण किया जा सके वह धर्म है। धर्म व्यक्ति या समाज के कर्तव्य और उत्तरदायित्व तथा उसकी प्रकृति, स्वभाव के लिए प्रयुक्त होता है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में नागरिक शिष्टाचार या कर्त्तव्यों का पालन करना ही धर्म है। इनके विपरीत काम भी अधर्म है। भारत राष्ट्र के धर्म में सर्वे भवन्तु सुखिनः, आत्मवत् सर्वभूतेषु सहित एकम् सत विप्रा बहुधा वदन्ति की भावना अन्तर्निहित है।

कार्यक्रम का शुभारंभ भारतमाता, भगवान धन्वन्तरी एवं स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।

एनएमओ अजयमेरु इकाई के सचिव डॉ. लीलाधर पालीवाल द्वारा मंचासीन महानुभावों का परिचय कराया। डॉ. राजेश खत्री, संयोजक ने एनएमओ का दर्शन, व उद्देश्य सहित विस्तृत परिचय प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य एवं नियंत्रक डॉ. अनिल सामरिया ने की। अतिरिक्त प्रधानाचार्य डॉ. श्याम भूतड़ा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

डॉ. महादेव सोलंकी (सह-सचिव) ने सभी का आभार व्यक्त किया। मंच संचालन डॉ. हितेष गर्ग द्वारा किया गया। कल्याण मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में चिकित्सकों और विद्यार्थियों की सहभागिता रही।

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