अंग्रेजों और वामपंथियों ने भारत के विरुद्ध गढ़े झूठे नैरेटिव

अंग्रेजों और वामपंथियों ने भारत के विरुद्ध गढ़े झूठे नैरेटिव

अंग्रेजों और वामपंथियों ने भारत के विरुद्ध गढ़े झूठे नैरेटिवअंग्रेजों और वामपंथियों ने भारत के विरुद्ध गढ़े झूठे नैरेटिव

सीकर, 30 सितम्बर। गांधी जी की हत्या की आड़ में तत्कालीन सरकार ने अपने हिन्दुत्व विरोधी विमर्श के एजेंडे का भरपूर उपयोग किया। इस घटना का सहारा लेकर न केवल हिन्दुओं की बात करने वाले संगठनों को ही समूल नष्ट करने का प्रयास किया, अपितु अपने विरोधियों को भी हतोत्साहित करने का कार्य किया। शेखावाटी साहित्य संगम के दूसरे दिन के पहले सत्र साहित्य में मिथ्या विमर्श के निहितार्थ विषय पर वार्ता में लेखक एवं पत्रकार प्रखर श्रीवास्तव ने अपनी पुस्तक ’हे रामः गांधी हत्याकांड की प्रामाणिक पड़ताल’ जो गांधीजी के हत्याकांड से जुड़े अनेक अनकहे पहलुओं व मिथ्या तर्कों को उजागर करती है, का उल्लेख करते हुए कही। इस सत्र में वार्ताकार संगीता प्रणवेन्द्र के द्वारा पूछे गए प्रश्न पर उन्होंने कहा कि इस देश में जितनी राजनीति गांधी जी की हत्या को लेकर की गई, उतनी देश में कभी किसी विषय पर नहीं हुई। उन्होंने अपनी पुस्तक के बारे में बताते हुए कहा, गांधी जी की हत्या पर अनेक झूठे विमर्श खड़े किए गए। अनेक अनशन करने वाले गांधी जी ने देश विभाजन पर एक भी अनशन नहीं किया। पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए देने के लिए उन्होंने स्वाधीनता के बाद भी अनशन शुरू कर दिया।

उन्होंने बताया कि गोडसे की टीम जिन्ना की हत्या करना चाहती थी, लेकिन वो इसमें सफल नहीं हो सके। प्रखर श्रीवास्तव ने तथ्यों के साथ ही यह भी बताया कि अंतिम दिनों में गांधी की लोकप्रियता में काफी गिरावट आ गई थी। प्रखर श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें इस विषय पर पुस्तक लिखने की प्रेरणा पिताजी द्वारा विभाजन की विभीषिका पर लिखी गई कविता से मिली, जो उन्होंने कक्षा सात में याद की थी। प्रखर ने बताया कि गोडसे चितपावन ब्राह्मण थे। गांधी हत्या के बाद चितपावन ब्राह्मणों का ऐसा नरसंहार हुआ था कि उसके घाव आज भी हरे हैं।

रविवार का दूसरा सत्र ’वर्तमान जनसंख्याकीय संरचना के भावी संकेत’ विषय पर हुआ। इसमें अतिथि वक्ता पत्रकार अमरदीप शर्मा, प्रखर श्रीवास्तव व वार्ताकार अर्चना रहीं। इस सत्र में बीते दशकों में भारत में हुए जनसांख्यिकीय परिवर्तन, इसमें मीडिया की भूमिका व इसको लेकर सभी के लिए समान नीति पर चर्चा हुई। वक्ताओं ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में हुए डेमोग्राफिक परिवर्तनों से देश की एकता और अखंडता को हुए नुकसान पर प्रकाश डाला।

तीसरा सत्र ’आधी जनसंख्या पूरा सच’ महिला केंद्रित रहा। इसमें एडवोकेट मूमल राजीव, एवं पत्रकार द्वय संगीता प्रणवेंद्र व अर्चना ने विषय रखा, रुचि श्रीमाली ने वार्ता का संचालन किया। इस सत्र में भारत में महिलाओं की वर्तमान स्थिति, महिलाओं पर होने वाले अपराध, कानून को लेकर हो रहे नवीन परिवर्तन व कानून में सुधार की आवश्यकता, महिला सुरक्षा एवं लव जिहाद पर बात हुई। एडवोकेट मूमल ने कहा कि यदि हर परिवार अपने परिवार के लिए 20 मिनट निकाले और इसमें पारिवारिक संस्कारों की बात की जाए तो बच्चों को गुमराह होने से रोका जा सकता है। 

इसी क्रम में चतुर्थ व अंतिम सत्र सामाजिक विभाजन, कारण एवं परिणाम पर हुआ, जिसमें डॉ. शुचि चौहान और दिवस गौड़ द्वारा विषय रखा गया। डॉ. शुचि चौहान ने समाज को तोड़ने वाली शक्तियों और वामपंथियों के झूठे नैरेटिव को उजागर किया, वहीं दिवस गौड़ ने कहा कि हम सब ने भारत में अनेकता में एकता की बात तो हमेशा की है, लेकिन हमें एकता में अनेकता की बात करनी होगी। तभी हम एकजुट होकर समाज में परिवर्तन ला पाएंगे। इस सत्र के वार्ताकार डॉ. सुनील खटीक रहे।

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