उदयपुर: संस्कृति महोत्सव 2024, बच्चों ने बिखेरे प्रतिभा के रंग

मंचासीन अतिथि

उदयपुर: संस्कृति महोत्सव 2024, बच्चों ने बिखेरे प्रतिभा के रंगउदयपुर: संस्कृति महोत्सव 2024, बच्चों ने बिखेरे प्रतिभा के रंग

उदयपुर, 15 अक्टूबर। विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान कुरुक्षेत्र की ओर से संस्कृति बोध परियोजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्तर पर संस्कृति ज्ञान परीक्षा का आयोजन किया जाता है, जिसमें देशभर में लगभग साढ़े 22 लाख छात्र सम्मिलित होते हैं। उदयपुर में भी संस्थान द्वारा 13 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक क्षेत्रीय संस्कृति महोत्सव 2024 स्थानीय विद्या निकेतन उच्च माध्यमिक विद्यालय सेक्टर 4 में आयोजित हो रहा है, जिसमें चित्तौड़, जयपुर, जोधपुर प्रांत यानी संपूर्ण राजस्थान के 250 से अधिक विजेता प्रतिभागी छात्र अपने-अपने प्रांत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यहाँ से विजेता प्रतिभागी राजस्थान क्षेत्र का प्रतिनिधित्व 16 नवम्बर से उज्जैन में शुरू होने वाली राष्ट्रीय स्तर (अखिल भारतीय स्तर) की प्रतियोगिता में करेंगे।

इस क्षेत्रीय संस्कृति महोत्सव में अलग-अलग वर्गों में प्रश्न मंच (Quiz Competition), मूर्तिकला, आशु-भाषण एवं कथा कथन तथा आचार्य पत्र वाचन प्रतियोगिताएं आयोजित हुईं तथा विशेष प्रस्तुति के रूप में कल दोपहर 2 से 7 बजे तक कक्षा 6 से 10 तक के प्रतिभागियों ने मिट्टी की मूर्तियां बनायीं और सायं 8:30 बजे राज्य स्तर पर चयनित प्रतियोगियों ने चुनिंदा लोक नृत्य की प्रस्तुतियां दीं, जो सभी के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं। लोकनृत्यों के संवर्धन के लिए लोक नृत्य और विद्यार्थियों में शिल्प कला के प्रति रुचि जाग्रत करने व निपुणता, सृजनात्मकता लाने हेतु मूर्तिकला की विधा जोड़ी गई है।

14 अक्टूबर को प्रातः 9:00 बजे मुख्य अतिथि उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत, मुख्य वक्ता गोविंद, कार्यक्रम के अध्यक्ष रमेश चंद्र शुक्ला, विशिष्ट अतिथि नवीन झा तथा प्रकाश फुलानी के सानिध्य में कार्यक्रम का उद्घाटन हुआ। अतिथियों का परिचय विद्या भारती उदयपुर जिला सचिव कालू चौबिसा द्वारा कराया गया तथा कार्यक्रम की रूपरेखा रमेश शुक्ला ने रखी। भावगीत “लक्ष्य तक पहुंचे बिना पथिक विश्राम कैसा” ने सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया।

मुख्य वक्ता ने अपने उद्बोधन में कहा कि अपनी संस्कृति और जीवन मूल्यों को हमें अपने जीवन में आत्मसात करना है। अपनी संस्कृति को जानना है, मानना है, समझना है तथा जीना है। अपने पूर्वजों से मिले संस्कारों को हमें अपनी आने वाली पीढ़ी में आगे बढ़ाना है। संस्कृति ज्ञान परीक्षा, संस्कृति महोत्सव इन बातों को हमारे अंदर समाहित करने का काम कर रहा है।

मुख्य अतिथि मन्ना लाल रावत ने कहा कि वर्तमान ऐसा कालखंड है, जब भारतीय संस्कृति को बड़ा महत्व मिल रहा है। 2047 में हमारा भारत विकसित हो चुका होगा, परम वैभव को प्राप्त कर चुका होगा, भारतीय संस्कृति का विचार इसमें प्रमुख भूमिका निभाएगा। आभार प्रदर्शन विद्या भारती उदयपुर के अध्यक्ष प्रकाश फुलानी ने किया। कार्यक्रम का संचालन पूनम चंद राठौर के द्वारा किया गया।

मंचासीन अतिथि

 

संस्कृति ज्ञान परीक्षा में उपस्थित विद्यार्थी

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