अफजल का वध
राम गोपाल पारीक
अफजल का वध
बीजापुर सुल्तान कहो,
क्या आज्ञा मुझे तुम्हारी है।
शीश झुकाकर अफजल बोला,
बंदे की तैयारी है॥
वह शिवा अब बच ना पाए,
कैसे भी हथियारों से।
सैनिक, गोला, बारूदी,
और तलवारों के वारों से॥
इसकी चिंता मुझ पर छोड़ो,
ऐसा सबक सिखाऊंगा।
मरा नहीं तो इन हाथों से,
तो जिंदा लेकर आऊंगा॥
महा विनाश की आंधी बनकर,
अफजल जब लड़ने आया।
और शिवा जब मिला नहीं,
तब दूत वहां पर भिजवाया॥
प्रतापगढ़ के उस किले में,
जब अफजल मिलने आया।
धरे रह गए दाव शेर के,
जब वह शिवा से टकराया॥
ढेर हुआ अफजल बलशाली,
खंजर काम नहीं आया।
बाघनखे से सीना चीरा,
अपना पौरुष दिखलाया॥