मातृ वंदन
राजेंद्र सिंह
मातृ वंदन
मातृ मंदिर की अर्चना में
दीप बन सौभाग्य हर्षित
वत्सला स्वर्णिम विभा से
प्रेरणा उदित दिव्य दर्शन।
मातृ भू रज कण से निर्मित
प्रतिध्वनित पावन ऋचाएं
शालीन पौरुष मान मर्यादित
कुशल कूटनीति की कथाएं।
शौर्य शौणित शतत प्रवाह
विजय घोषित उच्च पताका
ज्ञान पोषित,संस्कार रक्षित
रज कण व्याप्त पुलकन।
मातृ मंदिर का अकिंचित
द्वार दीप, जल तिल तिल
तिमिर से संग्राम प्रति पल
ध्येय सबल, विश्वास अमिट।
देह पावन माटी निर्मित
स्नेह स्निग्ध तरल व्यापक
बाती बन जीवन समर्पण
एक ही स्वप्न, लक्ष्य उज्ज्वल।