जनजाति स्वाभिमान और मिट्टी की मर्यादा के लिए भगवान बिरसा मुंडा का योगदान अविस्मरणीय- उपराष्ट्रपति धनखड़

जनजाति स्वाभिमान और मिट्टी की मर्यादा के लिए भगवान बिरसा मुंडा का योगदान अविस्मरणीय- उपराष्ट्रपति धनखड़

जनजाति स्वाभिमान और मिट्टी की मर्यादा के लिए भगवान बिरसा मुंडा का योगदान अविस्मरणीय- उपराष्ट्रपति धनखड़जनजाति स्वाभिमान और मिट्टी की मर्यादा के लिए भगवान बिरसा मुंडा का योगदान अविस्मरणीय- उपराष्ट्रपति धनखड़

 भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर उदयपुर के कोटड़ा में जनजाति गौरव महोत्सव

उदयपुर, 16 नवम्बर। भगवान बिरसा मुण्डा भारत के गौरव हैं। 25 वर्ष की आयु भी नहीं हुई थी और देश की स्वतंत्रता, जनजाति समाज के स्वाभिमान व मिट्टी के लिए जीवन न्यौछावर कर दिया। उनका योगदान अकल्पनीय और अविस्मरणीय है। ये उद्गार भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर उदयपुर जिले के कोटड़ा कस्बे में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग तथा राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद के तत्वावधान में आयोजित जनजाति गौरव महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि बड़ा अच्छा लग रहा है, जो हमारे मन में हैं और सदैव प्रातः स्मरणीय हैं, उनका आज सम्मान हो रहा है। अगुआ राज, अगुआ राज अर्थात हमारा शासन हमारा शासन यह कहने वाले बिरसा मुण्डा के योगदान को सदैव याद रखा जाएगा। उनकी सोच दूरदर्शी थी। उनका संकल्प था कि हमारा राज आएगा और उनका राज जाएगा। सांस्कृतिक सोच को इस बालक योद्धा ने तीन शब्दों में समाहित कर दिया- जल, जंगल और जमीन।

उन्होंने बिरसा मुण्डा को इस धरती का पुजारी और पर्यावरण का हितैषी बताते हुए कहा कि उनके दृढ़ संकल्प को सच होता देखकर मेरा मन अति प्रसन्न है। अब अपना देश बदल रहा है। आज देश के सर्वोच्च पद पर जनजाति समाज की महिला श्रीमती द्रोपदी मूर्मु विराजमान हैं। यह हम सभी के लिए गौरव की बात है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि संसद में स्थापित भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा हमें हमेशा प्रेरित कर राष्ट्र भावना का संचार करेगी।

अमृतकाल स्वाधीनता के भूले बिसरे नायकों को याद करने का अवसर
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि स्वाधीनता की लड़ाई में हजारों, लाखों लोगों ने योगदान दिया। लेकिन इतिहासकारों ने बिरसा मुण्डा के योगदान व मानगढ़ धाम के बलिदान को भुला दिया। स्वाधीनता के अमृतकाल में स्वाधीनता की लड़ाई के भूले बिसरे नायकों को सम्मान दिया जा रहा है। हर वर्ष 15 नवंबर को बिरसा मुण्डा की जन्म जयंती को राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस के रूप मनाया जा रहा है।

बिरसा मुण्डा के पूरे जीवन में राष्ट्रवाद का संदेश
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भगवान बिरसा मुण्डा का पूरा जीवन राष्ट्रवाद का संदेश है। उन्होंने आमजन से आह्वान किया कि सभी इस महापुरुष को समझें और इनके कृत्य को आदर्श मानें। राष्ट्रवाद को सदैव सर्वोपरि रखें। भारतीयता हमारी पहचान, भारत हमारी माता, राष्ट्रवाद हमारा धर्म और राष्ट्रहित सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि बिरसा मुण्डा को स्वाभाविक रूप से भगवान कहा गया है क्योंकि उनका आचरण, उनकी नैतिकता, उनकी ताकत, उनकी दूरदृष्टि, उनका लक्ष्य जमीन से जुड़ा है और सिर्फ यहीं तक उनका काम सीमित नहीं रहा। वह ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने हमें जल, जंगल, जमीन का महत्व बताया। जनजाति समाज के लोगों के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व रहा है।

नीति निर्माण में महिलाओं की अब विशेष भूमिका
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में बढ़ते कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि माताओं बहनों के लिए बहुत बड़ा बदलाव कानून में किया गया है। अब हमारी माताएं बहनें लोकसभा में एक तिहाई या उससे अधिक हो सकती हैं, लेकिन कम नहीं। राजस्थान में कम से कम जनजाति समाज की 8 महिलाएं हर बार विधानसभा में जाएंगी। उनकी उपस्थित, सोच, नीति निर्माण का तरीका दूसरों के लिए प्रेरणादायक होगा।

भारत माता और बिरसा मुण्डा के जयकारों से गूंजा पांडाल
उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन की शुरुआत भारत माता और भगवान बिरसा मुण्डा अमर रहें, के जयघोष के साथ की। इस दौरान पांडाल में उपस्थित हजारों लोगों ने भी जयकारे लगाए। उपराष्ट्रपति ने अपने उद्बोधन के अंत में भगवान बिरसा मुण्डा, अमर रहें के साथ सभी का अभिवादन किया।

बिरसा मुण्डा जनजाति गौरव का प्रतीक- खराड़ी
समारोह को संबोधित करते हुए प्रदेश के जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा जनजाति गौरव के प्रतीक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार जनजाति संस्कृति और सम्मान को पुनर्जीवित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। कार्यक्रम के प्रारंभ में वनवासी कल्याण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह खारवा एवं राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री भगवान सहाय ने उपराष्ट्रपति का स्वागत किया। सह संगठन मंत्री भगवान सहाय ने वनवासी कल्याण परिषद के विभिन्न प्रकल्पों और गतिविधियों की जानकारी दी तथा युवा कौशल उन्नयन, महिला सशक्तिकरण और जनजाति अंचल के विकास के लिए चलाई जा रही परियोजनाओं के बारे में बताया। राष्ट्रीय अध्यक्ष खारवा ने परिषद की स्थापना के उद्देश्य और जनजाति उत्थान के लक्ष्य को रेखांकित किया।

उपराष्ट्रपति ने किया जनजाति प्रतिभाओं का सम्मान
कोटड़ा में आयोजित जनजाति गौरव महोत्सव में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जनजाति प्रतिभाओं का सम्मान किया। धनखड़ ने एमबीबीएस चिकित्सक डॉ. रामलाल मीणा, डॉ. कन्हैयालाल मीणा, डॉ. खुमाणसिंह मईडा, पीएचईडी के दिलीपसिंह भील, इंजीनियर मुकेश डामोर, अंतर्राष्ट्रीय तीरंदाज धनेश्वर मईड़ा तथा अंतर्राष्ट्रीय तीरंदाज नरेश डामोर को प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।

उपराष्ट्रपति ने किया पौधारोपण
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ निर्धारित समय पर सेना के हेलीकॉप्टर के माध्यम से कोटड़ा पहुंचे। राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद परिसर में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने एक पेड़ मां के नाम अभियान के अंतर्गत अपनी माताश्री स्व केशरीदेवी तथा धनखड़ ने अपनी माताश्री स्व. भगवतीदेवी की स्मृति में पौधारोपण किया। उप वन संरक्षक अजय चित्तौड़ा ने उपराष्ट्रपति को जिले में अभियान के अंतर्गत पौधारोपण की जानकारी दी।

जनजाति स्वाभिमान और मिट्टी की मर्यादा के लिए भगवान बिरसा मुंडा का योगदान अविस्मरणीय- उपराष्ट्रपति धनखड़

उपराष्ट्रपति ने बढ़ाया लोक कलाकारों का हौंसला
कोटड़ा स्थित राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद परिसर में उपराष्ट्रपति के स्वागत में लोककलाकारों ने परंपरागत गवरी नृत्य किया। कलाकारों की प्रस्तुति से उपराष्ट्रपति गदगद हो उठे। उन्होंने एक कलाकार से ढोल लेकर स्वयं ढोल पर थाप देकर कलाकारों का उत्साहवर्धन किया। उन्होंने कलाकारों से आत्मीय संवाद भी किया और फोटो भी खिंचवाए।

वनांचल उत्पाद और हस्तशिल्प कलाकृतियों की सराहना
उपराष्ट्रपति ने आयोजन स्थल पर कमली ट्राइब्स, वनवासी कल्याण परिषद एवं राजीविका वन धन विकास केंद्र फलासिया व कोटड़ा की स्टॉल्स का अवलोकन किया। यहां पर उन्होंने वनवासी कल्याण परिषद के कमली ट्राइब्स ब्रांड की जनजाति महिलाओं द्वारा तैयार हस्तशिल्प के सौंदर्य और वन उत्पादों की सराहना की।

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