एक मुट्ठी चावल योजना चलाकर मिशनरियां कमा रहीं सौ करोड़ रुपए वार्षिक, इस पैसे से चल रहा कन्वर्जन का खेल
एक मुट्ठी चावल योजना चलाकर मिशनरियां कमा रहीं सौ करोड़ रुपए वार्षिक, इस पैसे से चल रहा कन्वर्जन का खेल
छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) और राज्य सरकार की अन्नपूर्णा योजना के अंतर्गत गरीबों को दिए जा रहे राशन के दुरुपयोग का गम्भीर मामला सामने आया है। मिशनरी संगठनों पर आरोप है कि वे “एक मुट्ठी चावल योजना” चलाकर दान के नाम पर गरीब परिवारों से बड़ी मात्रा में चावल इकट्ठा कर, उसे बाजार में बेच कर पैसा उगाह रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत परिवार के प्रत्येक सदस्य से प्रतिदिन एक मुट्ठी चावल दान में लिया जाता है। फिर उसे इकट्ठा करके बाजार में 25-30 रुपये प्रति किलो की दर से बेच दिया जाता है। एक अनुमान के अनुसार, इस प्रक्रिया से मिशनरियों को प्रतिवर्ष 100 करोड़ रुपये से अधिक की आय हो रही है। मिशनरी संगठन गरीब का हक मारकर इकट्ठे किए गए इस धन का उपयोग कन्वर्जन जैसी गतिविधियों में कर रहे हैं। मिशनरी संगठनों ने 2019 में विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए या फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट, 2019) लागू होने के बाद, जब उन्हें विदेशों से धन प्राप्त करने में मुश्किल होने लगी, तब यह उपाय अपनाया। वर्तमान नियमों के अनुसार, ये संगठन अब केवल स्कूल और अस्पतालों के लिए ही विदेशी फंड प्राप्त कर सकते हैं।
मामले का खुलासा जनवरी 2024 में छत्तीसगढ़ के जशपुर के जुरगुम गाँव के कुछ लोगों ने किया था, लेकिन तब इसे मीडिया में जगह नहीं मिली। अब इसे जागरण और नई दुनिया जैसे समाचार पत्रों ने उठाया तो मामला चर्चा में आया है। खुलासे के बाद राजनीतिक और सामाजिक संगठनों में आक्रोश है और उच्च स्तरीय जाँच की माँग की जा रही है।
छत्तीसगढ़ का जशपुर जिला कन्वर्जन गतिविधियों का मुख्य केंद्र बन गया है। 2011 की जनगणना के समय वहां ईसाई जनसंख्या 1.89 लाख (22.5%) थी। वर्ष 2024 में यह 3 लाख के पार पहुँच गई है। एक आरटीआई में हुए खुलासे के अनुसार, यहॉं कानूनी रूप से तो केवल 210 लोग ही ईसाई बने हैं। लेकिन मौके पर दिख रहे हालात अवैध कन्वर्जन की गवाही दे रहे हैं।
क्या है प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY)?
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) भारत सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू की गई एक प्रमुख कल्याणकारी योजना है। इसका उद्देश्य देश के गरीब और कमजोर वर्गों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करना है। इस योजना का लाभ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के अंतर्गत आने वाले 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को मिलता है। योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में चार सदस्यों वाले परिवार को भुखमरी से बचाने के लिए प्रति माह 35 किलो चावल दिए जाते हैं। लेकिन सरकारी योजना के अंतर्गत मिलने वाले चावलों का दुरुपयोग समाज में नई चुनौतियाँ खड़ी कर रहा है।