गोधरा का सच दिखाती फिल्म The Sabarmati Report
चेतना शर्मा
गोधरा का सच दिखाती फिल्म The Sabarmati Report
The Sabarmati Report, एक प्रभावशाली फिल्म है। इसकी कहानी 27 फरवरी 2002 को गोधरा, गुजरात में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की बोगी नंबर S6, जो अयोध्या से लौट रहे कारसेवकों से भरी थी, को मुस्लिम दंगाइयों द्वारा आग लगा दिए जाने की घटना पर आधारित है। इस आग में 59 कारसेवक जिन्दा जलकर राख हो गए थे। इस घटना के बाद दंगे हुए थे। इन दंगों पर तो अब तक कई फिल्में बनी हैं या जिन फिल्मों के विषय का गुजरात दंगों से कोई लेना देना नहीं था, उन तक की पृष्ठभूमि में उन्हें दिखाया गया, जैसे ‘देव‘ और ‘काई पो चे‘। परन्तु कारसेवकों की हत्या की घटना को पहली बार प्रमुखता से पर्दे पर उतारा है। बालाजी मोशन पिक्चर्स ने इस विषय को उठाया है और ना केवल उठाया है, बल्कि सभी परतों को खोल कर रख दिया है। एक राजनैतिक षड्यंत्र के रूप में किस प्रकार कुछ मुद्दों को छुपाया गया व कुछ को उछाला गया, यह इस फिल्म में बहुत अच्छे से दिखाया गया है। विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने किस प्रकार तुष्टिकरण की नीति को अपनाया व उस समय की मीडिया ने किस प्रकार कांग्रेस का साथ दिया, यह सच निडरता से सामने रखा है। अलग-अलग कमीशन बनाकर उनकी अलग-अलग रिपोर्ट से जनता को भ्रमित किया गया। फिल्म में ऐसे अनेक नाम व प्रतीक मिल जाते हैं, जो उस समय के लोगों या संस्थानों से संबंधित पाए जाते हैं। मीडिया चैनल का लोगो भी वर्तमान के एक चैनल जैसा लगता है। मुख्य भूमिका में विक्रांत मेसी ने बेहतरीन अभिनय किया है। एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल के कैमरामैन समर कुमार के किरदार को अच्छे से दिखाया गया है। समर कुमार जब देखता है कि कैसे उसका चैनल सच को छुपा कर इस नरसंहार को एक दुर्घटना बता रहा है, तो वह सच को उजागर करता है। सच को उजागर करने की कहानी बहुत रुचिकर माध्यम से रखी गई है। गोधरा कांड व उसके बाद दंगों पर जितने कमीशन बनाए गए, उनकी जो भी रिपोर्ट्स आईं, उन्हें भी दिखाया गया है। अरुंधती रॉय व तीस्ता जावेद सीतलवाड़ की उस सोच को भी दर्शाया गया है, जो बनर्जी कमीशन में दिखाई दी थी, जिसमें ट्रेन के अंदर से आग लगने की पुष्टि की गई थी।
फिल्म में हल्का फुल्का हास्य विनोद भी है, जो इसे रुचिकर बनाए रखता है।
फिल्म के कुछ संवाद सदैव याद रखे जाएंगे, उनमें से एक संवाद है ‘ट्रेन गोधरा में जली थी, क्योंकि वह अयोध्या से चली थी।‘ रिद्धि डोगरा ने पत्रकार मानिका राजपुरोहित का किरदार निभाया है, जो कुछ कुछ बरखा दत्त से मिलता जुलता है। न्यूज चैनल EBT का लोगो भी NDTV के लोगो जैसा लगता है। मानिका के किरदार में रिद्धि डोगरा ने जान डाल दी है। एक खड़ूस अंग्रेजी न्यूज रिपोर्टर के रूप में इस किरदार को बहुत सुन्दरता से पर्दे पर उतारा गया है।
फिल्म में गीत संगीत की कोई गुंजाइश नहीं थी, अतः कोई गाना नहीं है। बैकग्राउंड म्यूजिक विषय से संबंधित है, जो विषय के साथ न्याय करता प्रतीत होता है। अमलेन्दु चौधरी की सिनेमेटोग्राफी कमाल की है। पूरी फिल्म में कसावट बनी रहती है। कहीं कहीं सेक्युलरिज्म का तड़का लगाया गया है। फिल्म में किसी भी समुदाय से घृणा का आह्वान नहीं किया गया है, केवल हिन्दू कारसेवकों के साथ हुए अन्याय को उजागर किया गया है।
फिल्म के अंतिम पलों में उस वीभत्स घटना को विस्तार से दिखाया गया है, जिसमें 59 कारसेवक जिन्दा जला दिए गए। बहुत ही वीभत्स और दर्दनाक दृश्य था, जिसमें बताया गया कि कैसे मुस्लिम समुदाय द्वारा जानबूझ कर अपने ही लोगों को भड़का कर इस घटना को अंजाम दिया गया। एक-एक षड्यंत्र को बड़ी बारीकी से दिखाया गया है, कि किस प्रकार पेट्रोल एकत्रित किया गया, किस प्रकार झूठी अफवाह से अपने लोगों को भड़काया गया, किस प्रकार ट्रेन पर पत्थरबाजी कर आग के हवाले किया गया व दरवाजों को बन्द कर कारसेवकों के बच निकलने के सभी रास्तों को रोक दिया गया। ये दृश्य विचलित कर सकते है। फिल्म के अंत में सभी बलिदानियों की पहचान को उजागर किया गया है और भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के दृश्य दिखाए गए हैं। कम बजट में तैयार यह फिल्म सभी को एक बार अवश्य देखनी चाहिए।