संभल : हरिहर मंदिर के सत्य को दबाने के लिए असत्य की राजनीति का सहारा 

संभल : हरिहर मंदिर के सत्य को दबाने के लिए असत्य की राजनीति का सहारा 

मृत्युंजय दीक्षित 

संभल : हरिहर मंदिर के सत्य को दबाने के लिए असत्य की राजनीति का सहारा संभल : हरिहर मंदिर के सत्य को दबाने के लिए असत्य की राजनीति का सहारा 

उत्तर प्रदेश का संभल जिला आजकल चर्चा में है। यहाँ की शाही जामा मस्जिद के पूर्व में प्रसिद्ध हरिहर मंदिर होने के प्रमाण हैं, जिसके कारण यह पुरातात्विक महत्व का स्थल है। हिंदू पक्षकार ने इस स्थल को भगवान श्री हरिहर का मंदिर मानते हुए प्रमाणों के साथ स्थानीय अदालत में इसके सर्वेक्षण की याचिका लगाई थी, जिसे स्वीकार करते हुए स्थानीय न्यायलय ने सर्वे कराने का आदेश जारी किया था। प्रथम चरण का सर्वे हो जाने के बाद कोर्ट कमिश्नर ने न्यायालय से दोबारा सर्वे कराने की अनुमति मांगी थी और वह सहमति भी न्यायलय ने दी, किंतु सर्वे टीम के वहां पहुँचने पर अराजक तत्वों की उग्र भीड़ ने उस पर हमला कर दिया। इस हमले के साथ बाद भड़की हिंसा में 5 लोगों की मौत हो गई तथा कई लोग घायल हुए। उपद्रवियों ने पुलिस बलों पर भीषण पत्थरबाजी तथा आगजनी की। इसके बाद संभल शहर में तनाव व्याप्त हो गया। 

संभल की प्रथम दृष्टया पूर्व नियोजित लगने वाली हिंसा के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्परता दिखाते हुए घटना की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया है, जो अपना कार्य कर रहा है। अब तक सामने आई जानकारी के अनुसार संभल हिंसा एक गहरी व सुनियोजित षड्यंत्र था। घटना स्थल से पाकिस्तान व अमेरिका में बने हथियार मिलने से यह बात और भी पुख्ता हो गई है।

संभल की घटना पर योगी प्रशासन कड़े तेवर अपना रहा है और उसने राजनीतिक दलों के नेताओं के संभल पर्यटन पर 10 दिसंबर 2024 तक रोक लगा रखी है, किंतु सपा और कांग्रेस सहित इंडी गठबंधन के सभी नेता संविधान की किताब को हाथ में लेकर “संभल- संभल“ का हल्ला बोल रहे हैं और संभल जाने की रट लगा रहे हैं। संभल प्रशासन का स्पष्ट रूप से कहना है कि अभी जांच चल रही है। नेताओं के दौरे से हालात बिगड़ सकते हैं फिर भी समाजवादी और कांग्रेसी नेता अपने मुस्लिम वोटबैंक का तुष्टिकरण करने के लिए संभल जाना चाहते हैं। 

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने संभल हिंसा के लिए पुलिस प्रशासन को दोषी बताते हुए पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करवाने की मांग की है तथा मारे गए मुस्लिम युवकों के परिवारों को पार्टी फण्ड से पांच पांच लाख रुपए देने की बात भी कही है। लोकसभा में अखिलेश यादव ने पत्थरबाजों को मासूम युवक तक बता डाला और वह भी तब जबकि जांच चल रही है। 

लगभग 76 प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या वाले शहर संभल में मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए सपा मुखिया अखिलेश यादव को आगे निकलते देखकर भला कांग्रेस कैसे शांत रह सकती थी। उसे भी लगा कि मुस्लिम वोटबैंक की बहती गंगा में हाथ धोने का उपयुक्त समय यही है। कांग्रेस ने संसद में संभल मुद्दे पर सदन में सपा का साथ नहीं दिया, किंतु मुद्दे को भुनाने के लिए राहुल गांधी व बहिन प्रियंका गांधी वाड्रा संविधान की किताब को हाथ में लहराते हुए संभल चल पड़े, प्रशासन के रोकने पर भी वह अपनी जिद पर अड़े रहे। उन्होंने मीडिया को बताया कि वह प्रशासन से संभल अकेले और पुलिसबल के साथ जाना चाह रहे थे, किंतु प्रशासन ने उन्हें अनुमति नहीं दी।  

राहुल गांधी आखिकर संभल क्यों जाना चाहते थे? क्या वह उन पत्थरबाजों का समर्थन करने के लिए संभल जाना चाह रहे थे, जिन्होंने सुनियोजित तरीके से पुलिसबल पर पत्थरबाजी की थी, या वह उन उपद्रवियों का पक्ष लेने जा रह थे, जिन्होंने आगजनी की थी, या फिर ये लोग मुस्लिम लीग का कर्ज उतारने के लिए संभल जाना चाहते थे क्योंकि ये दोनों ही भाई बहिन केरल के वायनाड से मुस्लिम लीग के समर्थन के बल पर ही जीतकर आए हैं। कांग्रेस पार्टी मुस्लिम तुष्टिकरण का कोई अवसर अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती है। जब प्रशासन ने गांधी परिवार को संभल जाने से रोक दिया तब राहुल गांधी ने कहा कि वह नेता प्रतिपक्ष हैं अतः उनका संभल जाना संवैधानिक अधिकार है। मुस्लिम तुष्टिकरण गाँधी परिवार की परंपरा है, जो नेहरु के समय से चली आ रही है। 

संभल पर्यटन करने के लिए अड़े गाँधी वाड्रा परिवार ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा की बहुत ही मामूली ढंग से निंदा करके इतिश्री कर ली क्योंकि वह उनके वोट बैंक नही हैं। यह वही प्रियंका हैं, जिन्होंने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए इजराइल को एक बर्बर देश तक बता डाला था और गाजा के समर्थन में बड़े – बड़े पोस्ट करके मुसलमानों को रिझाया था। ये लोग बहराइच में निर्दोष युवक रामगोपाल मिश्रा की हत्या के समय मुंह में दही जमा कर बैठे थे और संभल के मृतक पत्थरबाजों और उपद्रवियों को पैसे बाँट रहे हैं तथा सरकार से हर उपद्रवी को एक करोड़ देने की मांग कर रहे हैं। 

अच्छी बात है कि योगी सरकार बिना विपक्ष के दबाव में आए पूरी तत्परता और निष्पक्षता से काम कर रही है। प्राथमिक जांच तथा प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के आधार पर इस घटना में सपा सांसद जियाउर्ररहमान बर्क को पहला आरोपी बनाया है। इसी बीच उन पर एक और मामला भी खुल गया है, जिसमें उनकी कार से रोहन नामक युवक की सड़क हादसे में मौत हो गई थी, कार खुद बर्क ही चला रहे थे और साथ में उनकी पत्नी भी बैठी हुई थीं। 

भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि राहुल गांधी अगर नेता प्रतिपक्ष हैं तो उन्हें निष्पक्ष राजनीति करनी चाहिए किंतु वह फिलहाल ऐसा करते हुए नहीं दिख रहे। तमिलनाडु के जहरीली शराब कांड में कई निर्दोष मौतें हो गई थीं तब राहुल ने उनके प्रति संवेदना का एक शब्द तक न ही लिखा और न ही बोला, इसी तरह तमिलनाडु में ही बसपा के प्रदेश अध्यक्ष की हत्या पर भी ये मौन साध गए। हिंदू पर्वों पर मुसलमानों द्वारा किये जा रहे एक के बाद एक हमलों में राहुल पत्थरबाजों व उपद्रवियों के साथ ही खड़े दिखाई दे रहे थे। और तो और वायनाड में भूस्खलन में सैकड़ों लोगों की जान जाने के कई दिनो बाद राहुल वहां पर पहुंच सके थे और सहायता के लिए केंद्र सरकार का मुंह ताक रहे थे।

गांधी परिवार का मुस्लिम वोटबैंक के प्रति प्रेम इतना गहरा है कि बंगाल में संदेशखाली की जिन महिलाओं के साथ पूरा भारत खड़ा था उन महिलाओं के प्रति भी राहुल प्रियंका ने कोई संवेदना नहीं दिखाई।आज जो कांग्रेसी नेता संभल- संभल चिल्ला रहे हैं वह बाबा सिद्दीकी और अतीक अहमद जैसे माफिया की मौत पर खूब आंसू बहाते हैं, किंतु पालघर में संतों की हत्या पर वह कुछ नही बोलते हैं। कांग्रेस व इंडी गठबंधन के सभी नेताओं का यही मुस्लिम प्रेम उनका एकतरफा संविधान है।  

शायद संभल संभल करके गांधी परिवार अपना वो पाप छिपाना चाहता है, जो 1975 में केंद्र व प्रदेश दोनों जगह उसकी सरकारें थीं, तब हुआ था । उस समय संभल में हुए एक बड़े दंगे में 25 हिंदुओं को जिंदा जलाकर मार डाला गया था। इस वीभत्स घटना को मुस्लिम तुष्टिकरण की विकृत राजनीति में डूबे लोग भले ही भूल गये हों, किंतु मृत आत्मायें वह नहीं भूली हैं। संभल जाने से पहले गांधी परिवार को अपना यह पाप तो अवश्य ही याद कर लेना चाहिए। यह दंगा राहुल प्रियंका की जीत की कुंजी मुस्लिम लीग की ओर से फैलाई गई दो अफवाहों के कारण से ही हुआ था। फिर प्रदेश में मुलायम सिह यादव का दौर आया और वर्तमान सांसद जियाउर्ररहमान बर्क के पिता शफीकुर्रहमान संभल के सांसद बने। उनके दौर में ही प्रभाव का इस्तेमाल करके संभल के हरिहर मंदिर को पूरी तरह शाही जामा मस्जिद का रूप देने का खेल खुल कर खेला गया। वर्ष 2012 तक हिन्दू, मंदिर के परिसर में स्थित एक कुएं पर पूजा करने के लिए जाते थे, किंतु एक दिन सांसद जियाउर्ररहमान के कहने पर सपा नेता अखिलेश यादव ने वहां पर पूजा पूरी तरह से बंद करवा दी ओैर बर्क के गुंडों ने वहां से हिंदुओं को भगा दिया। इस बीच शहर की डेमोग्राफी में भी बड़ा परिवर्तन हुआ। 

विरोधी जिस प्रकार छटपटा रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि हरिहर मंदिर अधिक दिनों तक छुपा के नहीं रखा जा सकता। हिन्दू पक्ष का दावा नैतिक व ऐतिहासिक तथ्यों के सुदृढ़ आधार पर खड़ा है।

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