भारत को सीरिया बनाने का प्रयास
भारत को सीरिया बनाने का प्रयास
यह भयंकर है। खतरनाक है। ये लोग अपने भारत को सीरिया और बांग्लादेश बनाने पर तुले हैं। जरा स्मरण कीजिए, बांग्लादेश की घटना का। सोमवार, 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में पांच लाख लोगों का जुनूनी मार्च, टिड्डी दल के हमले जैसा, ढाका के शाहबाग चौक में आ धमका और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ढाका छोडकर भाग गईं। उनके पीछे छूटा बांग्लादेश, पूर्णतः अराजकता की लहर में डूबा हुआ था। किसी का, किसी पर नियंत्रण नहीं, केवल अराजकता, हिंसा, अनार्की, छूट, गुंडागर्दी, हिन्दुओं की दर्दनाक हत्याएं..!
पूरे विश्व को हिलाकर रख देने वाली इस घटना के तुरंत बाद, दूसरे दिन मंगलवार 6 अगस्त को, काँग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद आलम, ‘शिकवा-ए-हिंद : द पॉलिटिकल फ्यूचर ऑफ इंडियन मुस्लिम्स’ पुस्तक का लोकार्पण करते हैं। इस कार्यक्रम में वे, ढाका के शाहबाग आंदोलन की तुलना, वर्ष 2020 के शाहीनबाग आंदोलन से करते हैं। वे कहते हैं, “बांग्लादेश जैसा हिंसा से भरपूर आंदोलन, भारत में भी हो सकता है। वैसी परिस्थितियां तैयार हो रही हैं।”
एक भी माई का लाल काँग्रेस में नही है, जो खुर्शीद आलम के इस वक्तव्य का विरोध करता हो।
दूसरे दिन, 7 अगस्त को, खुर्शीद आलम पुनः दोहराते हैं, “बांग्लादेश जैसी घटनाएं भारत में भी हो सकती हैं।”
इसका अर्थ स्पष्ट है। नीयत साफ है। इरादा भी साफ है। वे भारत को बांग्लादेश जैसी अराजक परिस्थिति में ढकेलना चाहते हैं।
बस, इसी शृंखला को आगे बढ़ा रहे हैं, उबाठा (उद्धव ठाकरे) शिवसेना के विश्व प्रवक्ता संजय राऊत।’द वायर’ को दिये गए साक्षात्कार में उन्होंने बड़े साफ शब्दों में कहा, कि “भारत में भी सीरिया जैसी परिस्थिति निर्मित होगी। सीरिया के प्रधानमंत्री मोहम्मद-अल-बशर तो भाग गए…।”
ये लोग क्या चाहते हैं..?
स्पष्ट है, ये भारत में अराजकता फैलाना चाहते हैं। इन्हें कोई मतलब नहीं, देश ठीक चले या नहीं। इनका इरादा साफ है। सामान्य प्रक्रिया से तो इनको सत्ता मिलने से रही। जनता ने बुरी तरह से लताड़ा है। इसलिये ये इंडी गठबंधन के नेता, भारत में अराजकता / अनार्की का निर्माण कर, उस रास्ते सत्ता हथियाना चाहते हैं।
इनके इरादे खतरनाक हैं। बहुत खतरनाक ..!