मोहम्मद यूनुस और डीप स्टेट का षड्यंत्र है बांग्लादेश में हिंदुओं के विरुद्ध हिंसा
पंकज जगन्नाथ जयस्वाल
मोहम्मद यूनुस और डीप स्टेट का षड्यंत्र है बांग्लादेश में हिंदुओं के विरुद्ध हिंसा
यदि आप हिंदू हैं और बांग्लादेश में रहते हैं, तो यह धरती पर नर्क की ताजा परिभाषा है। 1946 के नोआखली दंगों ने बांग्लादेश में हिंदुओं के विरुद्ध इस्लामिक हिंसा की शुरुआत की, जो आज भी जारी है। बांग्लादेश में हिंदुओं के विरुद्ध किए गए जघन्य अपराध दुनिया भर के सभी हिंदुओं के लिए एक चेतावनी हैं। मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँ? तथाकथित मानवतावादी समूह या विभिन्न क्षेत्रों की प्रसिद्ध हस्तियाँ, विशेष रूप से कई बॉलीवुड सितारे, गाजा, सीरिया, लेबनान में जो कुछ हो रहा है उसका विरोध करने के लिए समय निकालते हैं, लेकिन पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अब बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के विरुद्ध कभी विरोध करते नहीं दिखते। हिंदुओं के विरुद्ध पाकिस्तान का अत्याचार कम होने का नाम नहीं ले रहा। भले ही हमने 1921 का मोपला नरसंहार या 1990 का कश्मीर हिंदू नरसंहार नहीं देखा है। लेकिन हम अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रतिदिन हिंदुओं के प्रति अपराधों को देख रहे हैं।
‘मोहम्मद यूनुस और डीप स्टेट किस तरह हिंदुओं के विरुद्ध काम कर रहे हैं?’ क्या तथाकथित कुछ मानवतावादियों, कई भारतीय राजनीतिक दलों और कुछ देशों के लिए हिंदू होना बेकार है, जो स्वार्थ के लिए आतंकवादी संगठनों की सहायता करते हैं? नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस की नाक के नीचे हो रहे अत्याचार, बाकी दुनिया के लिए एक चेतावनी हैं कि कैसे एक आतंकवादी समर्थक और मानवता विरोधी व्यक्ति को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मोहम्मद यूनुस शांतिदूत नहीं, बल्कि मानवता का कत्लेआम करने वाले हैं। क्या उनका नोबेल पुरस्कार रद्द नहीं कर दिया जाना चाहिए? कैसे अमेरिका का डीप स्टेट मोहम्मद यूनुस का इस्तेमाल बांग्लादेश और हिंदुओं को अपने स्वार्थवश कमजोर करने के लिए कर रहा है। हम आशा करते हैं कि डोनाल्ड ट्रम्प इन डीप स्टेट तत्वों के विरुद्ध आक्रामक कार्रवाई करेंगे, जिनके अमेरिका या मानवता के लिए कोई अच्छे इरादे नहीं हैं। पाकिस्तान बांग्लादेश का अब तक का सबसे बड़ा दुश्मन है, लेकिन पाकिस्तान के साथ यूनुस का संबंध आतंकवादियों के प्रति उनकी सहानुभूति और भारत विरोधी रुख को दर्शाता है। हिंदू संतों, पेशेवरों और व्यापारियों ने बांग्लादेश के सामाजिक और आर्थिक उत्थान को बढ़ावा देने के लिए कड़ी मेहनत की, कठिन समय के दौरान बड़ी संख्या में मुसलमानों की सहायता की। इन्हीं लोगों को क्रूरता से प्रताड़ित किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। हिंदुओं को वास्तव में इस पैटर्न और वैचारिक पहलुओं को समझना चाहिए: सरल शब्दों में कहें तो, ‘शत्रुबोध’ महत्वपूर्ण है।
हिंदुओं के विरुद्ध हिंसा को लेकर कई राजनीतिक दलों की चुप्पी सभी हिंदुओं को एक स्पष्ट संदेश देती है- आप इन पार्टियों के लिए एक चुनावी उपकरण से अधिक कुछ नहीं हैं, और यदि आप इन शक्तियों के विरुद्ध एकजुट नहीं होते हैं, तो आप फिर से परतंत्र हो जाएंगे। क्या ये पार्टियां हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों का मौन समर्थन कर रही हैं? क्या हिंदुओं ने कभी बॉलीवुड हस्तियों को हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की आलोचना करते सुना है? केवल कुछ ही ने ऐसा किया होगा। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र करोड़ों हिंदुओं का घर है। हालाँकि, बांग्लादेश में हिंदुओं के विरुद्ध मुस्लिम कट्टरपंथियों की बर्बरता भरी हिंसा के बारे में चिंता या घृणा की आवाजें बहुत कम हैं। भारत में कुछ मीडिया आउटलेट इस तरह के अत्याचार पर चर्चा या इसे हाइलाइट कर रहे हैं। हिंदुओं, याद रखो, हमने कभी किसी के साथ गलत नहीं किया है और भविष्य में ऐसा कभी करेंगे भी नहीं। हमारा अस्तित्व पूरी तरह से एकता को मजबूत करने, किसी भी अत्याचार के विरुद्ध एकजुट होने, बचपन से आत्मरक्षा तकनीकों सहित सनातन संस्कृति को आत्मसात करने और कन्वर्जन से लडने पर निर्भर है… यह समय है जब संपूर्ण संत समुदाय, लाखों अनुयायियों के साथ मिलकर दुनिया को दिखाए कि हम हिंदुओं के साथ किसी भी तरह का अन्याय या मानवता के विरुद्ध कुछ भी सहन नहीं करेंगे। दुनिया को व्यापक भलाई के लिए हिंदुओं की शक्ति देखने दें। सनातन धर्म किसी पंथ का विरोधी नहीं है, बल्कि इसमें मानवता के लिए काम करके विश्व शांति को बढ़ावा देने की क्षमता है। सनातन धर्म की हानि मानवता और वैश्विक शांति की हानि है। इसलिए, दुनिया में हर कोई जो शांति चाहता है, उसे यूनुस सरकार और उसके लोगों द्वारा हिंदुओं के विरुद्ध किए गए अपराधों की कड़ी निंदा और कार्रवाई करनी चाहिए। यूनुस को यह समझने दें कि वह डीप स्टेट के समर्थन से मानव जाति के विरुद्ध काम नहीं कर सकता।
‘दुनिया को हिंदुओं की स्थिति को किस तरह से देखना चाहिए?’ ब्रिटिश कंजर्वेटिव सांसद बॉब ब्लैकमैन ने बांग्लादेश में हिंदुओं के विरुद्ध अपराधों की कड़ी निंदा की, साथ ही इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को जेल में डालने की निंदा करते हुए कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को सताया नहीं जाना चाहिए। ब्लैकमैन ने ब्रिटेन की संसद में इस मामले को उठाया, जिसमें अल्पसंख्यक हिंदू जनसंख्या की दुर्दशा को उजागर किया गया, जिसके बारे में उनका दावा है कि उनके घरों और मंदिरों पर आगजनी और हमले सहित जानलेवा हिंसा की जाती है। बॉब ब्लैकमैन ने ब्रिटेन की संसद में बांग्लादेश में एक हिंदू भिक्षु की गिरफ्तारी पर प्रश्न उठाए। बांग्लादेश में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास को ‘हिंदुओं पर सीधा हमला’ बताया। दुनिया को यह जानने की आवश्यकता है कि भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं और प्रगति कर रहे हैं, क्योंकि हिंदू बहुसंख्यक हैं। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हालात बताते हैं कि जब हिंदू बहुसंख्यक नहीं होते हैं तो क्या होता है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक, जहां मुस्लिम बहुसंख्यक हैं, कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। जबरन रिलीजियस कन्वर्जन, हत्या, बलात्कार और देश से निष्कासन के परिणामस्वरूप अल्पसंख्यक जनसंख्या में नाटकीय रूप से कमी आई है। क्या मानवीय संगठन, बौद्धिक वर्ग और राजनीतिक नेता अल्पसंख्यकों के लिए इस सबसे खराब स्थिति के प्रति अंधे हैं? भारत में इसके विपरीत हो रहा है, जहां बहुसंख्यक हिंदू अल्पसंख्यकों को जीवन के सभी पहलुओं में फलने-फूलने का वातावरण दे रहे हैं।
‘भारत में संविधान सुरक्षित क्यों है?’ संविधान के बारे में मूलभूत तथ्य यह है कि डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर का संविधान तब तक सुरक्षित है, जब तक हिंदू बहुसंख्यक हैं। तो क्या हम यह मान लें कि जाति के आधार पर हिंदुओं को विभाजित करने का प्रयास करने वाली राजनीतिक और डीप स्टेट वास्तव में डॉ. अंबेडकर के संविधान का विरोध करती है? वे हिंदुओं की आस्था प्रणाली को कमजोर क्यों करना चाहते हैं? हिंदुओं को व्यापक विचार और विश्लेषण करना चाहिए। वे निस्संदेह हिंदू एकता के महत्व और विभाजित हिंदू समुदाय के निहितार्थों के बारे में जानेंगे।