मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में न हिन्दू सुरक्षित न उनकी धार्मिक विरासत 

मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में न हिन्दू सुरक्षित न उनकी धार्मिक विरासत 

मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में न हिन्दू सुरक्षित न उनकी धार्मिक विरासत मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में न हिन्दू सुरक्षित न उनकी धार्मिक विरासत 

संभल, वाराणसी, अलीगढ़ आदि शहरों में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में बरसों से बंद पड़े मंदिरों का खुलासा हुआ है। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में पहले बिजली चोरी की जांच के दौरान एक शिव मंदिर का पता चला। इसकी दूरी सपा सासंद जियाउर्रहमान के घर से 200 मीटर है। इसके बाद प्रशासन द्वारा अवैध कब्जों को हटाते समय एक और वर्षों से बंद पड़ा हिन्दू मंदिर मिला। यह मंदिर हयात नगर थाना क्षेत्र के सरायतरीन क्षेत्र में स्थित है। पुलिस प्रशासन ने तुरंत मंदिर का ताला खुलवाया, जिसके अंदर राधा-कृष्ण और हनुमान जी की मूर्तियाँ स्थापित मिलीं। लगातार सामने आ रहे बंद मंदिरों और प्रशासनिक रिपोर्टों से यह स्पष्ट होता जा रहा है कि कैसे इस्लामिक आतंक और वोट बैंक के चलते हिन्दू धार्मिक स्थल अतिक्रमण और प्रशासन की उपेक्षा का शिकार होते गए।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 16 दिसंबर 2024 को उत्तर प्रदेश विधानसभा में संभल के दंगों का इतिहास बताते हुए कहा था कि इन दंगों में कुल 209 हिन्दुओं की हत्या की गई थी। इस आँकड़े की पुष्टि संभल जिला प्रशासन की इंटरनल रिपोर्ट से भी होती है। रिपोर्ट के अनुसार, 29 फरवरी 1976 को मुस्लिम समुदाय में यह अफवाह फैलाई गई कि पेतिया गाँव के एक अर्धविक्षिप्त व्यक्ति राजकुमार सैनी ने मौलवी की हत्या कर दी है। जबकि वास्तविकता यह थी कि मस्जिद कमेटी के झगड़े में मौलवी की हत्या एक मुस्लिम व्यक्ति ने ही की थी।

इस अफवाह के बाद मुस्लिम दंगाइयों की भीड़, जिनकी अगुवाई मंजर शफी और अताउल्ला ततारी कर रहे थे, ने सूरजकुंड और मानस मंदिर को तोड़ दिया। इसके बाद सरथल चौकी क्षेत्र में किशनलाल के घर को जलाने का प्रयास किया गया। हिन्दुओं के प्रतिरोध के बाद दंगाई पत्थरबाजी कर भाग गए। इसी बीच सोतीपुरा के हरि सिंह और कोटीपूर्वी मोहल्ले के राकेश वैश्य की हत्या कर दी गई। राकेश वैश्य लोगों को उधार देते थे। दंगों के बाद हिन्दू उनके घर में इकट्ठा हो गए, तो उन्हें घेर लिया गया। उनसे कहा गया कि इन हाथों से सूद का पैसा मांगोगे। इसलिए पहले हाथ, फिर पैर और फिर गला काट दिया गया। अन्य और हत्याओं के बाद हालात इतने बिगड़ गए कि क्षेत्र में 7 दिनों तक कर्फ्यू लगाना पड़ा। तब खग्गू सराय को बनियों का मोहल्ला कहा जाता था।

अब जिला प्रशासन की रिपोर्ट से यह भी सामने आया है कि संभल में दंगों और अवैध कब्जों के कारण हिन्दुओं की जनसंख्या में निरंतर गिरावट आई है। स्वतंत्रता के समय संभल नगरपालिका क्षेत्र में हिन्दुओं की जनसंख्या 45 प्रतिशत थी, जबकि मुस्लिम समुदाय 55 प्रतिशत था। आज यह अनुपात पूरी तरह से बदल चुका है। वर्तमान में हिन्दू  जनसंख्या घटकर 15-20 प्रतिशत के बीच रह गई है, जबकि मुस्लिम समुदाय 80-85 प्रतिशत तक बढ़ गया है।

संभल का धार्मिक महत्व और अवैध कब्जे

संभल जिले का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व ऐतिहासिक रूप से काफी गहरा रहा है। संभल का उल्लेख मत्स्य पुराण और महाभारत काल में विस्तार से मिलता है। एक समय में यह पांचाल राज्य का हिस्सा था। रिपोर्ट में उल्लेख है कि यहाँ 68 तीर्थ, 21 कूप, 52 सराय और दर्जनों सरोवर थे। समय के साथ बढ़ते अवैध कब्जों और प्रशासनिक उपेक्षा के कारण ये सभी धीरे-धीरे विलुप्त होते गए। अब प्रशासन के सक्रिय प्रयासों से इन धरोहरों को पुनः खोजा जा रहा है और संभल को उसके वास्तविक स्वरूप में लौटाने का प्रयास किया जा रहा है। सरायतरीन और खग्गू सराय में मिले बंद हिन्दू मंदिर, ना केवल धार्मिक धरोहर के रूप में महत्वपूर्ण हैं बल्कि वे इतिहास में हुए दंगों और अतिक्रमण की घटनाओं के साक्ष्य के रूप में भी सामने आए हैं। प्रशासन की यह कार्रवाई उन हिन्दू स्थलों की खोज और पुनर्स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। संभल के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को पुनर्जीवित करने के प्रयासों के साथ यह प्रश्न भी उठता है कि दशकों से हिन्दू धार्मिक स्थलों पर अतिक्रमण कैसे जारी रहा और इनका संरक्षण क्यों नहीं किया गया। प्रशासनिक रिपोर्टों का सामने आना, इस प्रकरण को और गंभीर बना देता है। अब संभल के इतिहास के साथ ही वहां हुए दंगों की फाइलें भी खुलनी चाहिए।

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