धर्म का आचरण करने वाला ही धर्म को समझ सकता है- डॉ. भागवत

धर्म का आचरण करने वाला ही धर्म को समझ सकता है- डॉ. भागवत

धर्म का आचरण करने वाला ही धर्म को समझ सकता है- डॉ. भागवतधर्म का आचरण करने वाला ही धर्म को समझ सकता है- डॉ. भागवत

अमरावती। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि धर्म का आचरण करने से ही धर्म की रक्षा होगी क्योंकि धर्म का आचरण करने वाला ही धर्म को समझ सकता है। धर्म को समझना पड़ता है। धर्म को समझना ही कठिन है क्योंकि आजकल के लोगों में अहंकार बहुत है और थोड़े से ज्ञान पर ही घमंड करने वाले को ब्रह्मा भी नहीं समझा सकते।

सरसंघचालक अमरावती स्थित महानुभाव आश्रम के शतकपूर्ति महोत्सव के दौरान संबोधित कर रहे थे। कंवर नगर स्थित महानुभाव आश्रम के शतकपूर्ति महोत्सव का 22 दिसंबर को समापन दिवस था। इस दौरान भानखेड़ा स्थित आश्रम में समापन कार्यक्रम में वे बतौर विशिष्ट अतिथि पहुंचे थे।

 सरसंघचालक डॉ. भागवत ने कहा कि धर्म के आचरण को समझना होगा और एक बार समझ लेने के बाद उसे मन में नहीं रखना, बल्कि बुद्धि में लाकर धर्म का वांछित कार्य करना होगा। यदि अड़ गए तो कठिन होते हुए भी धर्म को आसानी से समझा जा सकता है। परंतु, अल्प ज्ञान से अहंकारवश फूले हुए को ब्रह्मा भी नहीं समझा सकते। अतीत में धर्म के नाम पर जो अत्याचार हुए, वे गलत धारणाओं के कारण हुए। ज्ञानवर्धक पंथ और संप्रदाय हमारे देश की शान हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी महानुभाव संप्रदाय का कार्य अनवरत जारी रहता है और उसका सम्मान किया जाता है। सम्प्रदाय हमें एक-दूसरे से जुड़ना सिखाते हैं। एकता शाश्वत है। सारा विश्व एक है। अहिंसा से कार्य करना ही धर्म की रक्षा है।

महानुभाव संप्रदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 1000 वर्ष के पारतंत्र्य के समय हिन्दू धर्म और संस्कृति के संरक्षण का महत्त्वपूर्ण कार्य भी महानुभाव संप्रदाय द्वारा संपूर्ण भारत में किया गया और आज तक अविरत चल रहा है, यह उल्लेखनीय है। संघ धर्म की रक्षा के लिए काम कर रहा है। जब सच्चे संकल्प के साथ काम किया जाता है तो वह अवश्य पूरा होता है।

डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि धर्म को सही ढंग से समझने से समाज में शांति, सद्भाव और समृद्धि आ सकती है। धर्म का सच्चा उद्देश्य मानवता की सेवा और मार्गदर्शन करना है, न कि किसी भी प्रकार की हिंसा या अत्याचार को बढ़ावा देना। धर्म के मूल सिद्धांतों पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि धर्म का सटीक ज्ञान और पालन समाज के उत्थान और सभी की भलाई की ओर ले जाता है, जबकि धर्म का अधूरा ज्ञान अधर्म की ओर ले जाता है। धर्म के नाम पर दुनिया भर में जितने भी अत्याचार हुए हैं, उनका कारण गलतफहमी और अज्ञानता है। धर्म हमेशा से अस्तित्व में रहा है और दुनिया में सब कुछ उसी के अनुसार चलता है। इसीलिए इसे सनातन कहा गया है। धर्म का पालन करना ही धर्म की रक्षा करना है।

कार्यक्रम में संपूर्ण देश से आए संत-महंत के साथ-साथ राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे, पूर्व सांसद नवनीत राणा, पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटिल, यूपी के मंत्री आदि भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान सरसंघचालक डॉ. भागवत ने सप्तग्रंथराज, दिनदर्शिका, लीलाचरित्र का विमोचन भी किया।

Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *