पंच परिवर्तनों को आत्मसात कर विकसित राष्ट्र निर्माण में सहयोगी बनें- निम्बाराम
पंच परिवर्तनों को आत्मसात कर विकसित राष्ट्र निर्माण में सहयोगी बनें- निम्बाराम
जोधपुर। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान, उच्च शिक्षा का 63वाँ वार्षिक प्रदेश अधिवेशन जोधपुर के मारवाड़ इंटरनेशनल सेंटर में 11 जनवरी को सम्पन्न हुआ। दो दिवसीय अधिवेशन के समारोप सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने पंच परिवर्तन से राष्ट्रीय पुनरुत्थान विषय पर अपने उद्बोधन में कहा कि सामाजिक समरसता, पर्यावरण, स्वदेशी, नागरिक कर्तव्य और कुटुम्ब प्रबोधन विषयों को लेकर हम सब अपने घर परिवारों में बात करें और इन पंच परिवर्तनों को आत्मसात कर विकसित राष्ट्र निर्माण में सहयोगी बनें। उन्होंने कहा कि जातिगत भेदभाव समाज को कमजोर करता है। हमें सामाजिक समरसता का भाव पैदा करना है। आज जब वैश्विक तापवृद्धि और जलवायु परिवर्तन से पृथ्वी पर पर्यावरण को लेकर संकट के बादल छा रहे हैं, तब इससे बचने हेतु हर व्यक्ति को प्रकृति पूजक के रूप में पंच तत्वों के प्रति आदर भाव रखना होगा और जल, जंगल एवं जमीन के संरक्षण में अपनी भूमिका निभानी होगी। इसके लिए अधिकाधिक पौधारोपण करना होगा। स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि स्वावलम्बन, स्वरोजगार, कौशल विकास और स्वदेशी तकनीक को प्रोत्साहन आज समय की मांग है। हमें शिष्टाचारी होना चाहिए तथा एक अच्छे नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों का बोध होना चाहिए। उन्होंने समाज में टूटते रिश्तों पर चिंता जताते हुए कहा कि कुटुम्ब प्रबोधन के माध्यम से हमें घरों में पारिवारिक सदस्यों की नियमित गृहसभा करनी चाहिए। अभिभावकों को बच्चों से मंगल संवाद करते हुए पुरातन काल से चले आ रहे संस्कारों और संस्कृति से अवगत कराना चाहिए।
समारोप सत्र की अध्यक्षता करते हुए महेन्द्र कपूर, राष्ट्रीय संगठन मंत्री एबीआरएसएम ने कहा कि संगठन अपने 37वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। राष्ट्र के हित में शिक्षा, शिक्षा के हित में शिक्षक तथा शिक्षक के हित में समाज के बतौर संगठन के कार्यकर्ता निस्वार्थ भाव से समाज में अपनी भागीदारी निभाएं। अपने विद्यार्थियों की समस्याओं और शंकाओं का निराकरण कर उन्हें संतुष्ट करने का काम करें। समारोप सत्र में विशिष्ट अतिथि प्रो. नारायण लाल गुप्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष एबीआरएसएम थे। प्रोफेसर सुशील कुमार बिस्सू ने अधिवेशन के सफल समापन पर आभार व्यक्त किया।
अधिवेशन के दूसरे दिन की शुरुआत ‘विकसित भारत 2047 में शिक्षा और शिक्षकों की भूमिका’ विषय पर शैक्षिक संगोष्ठी से हुई। इस सत्र के मुख्य वक्ता प्रो. प्रदीप कुमार प्रजापति, कुलपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर थे। इस सत्र में 9 शिक्षाविदों द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किये गये। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (उच्च शिक्षा) राजस्थान की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी में प्रो. मनोज बहरवाल अध्यक्ष और प्रोफेसर रिछपाल सिंह महामंत्री चुने गए।