अहिल्याबाई की जन्म त्रिशती पर उनके पैतृक गॉंव चौंडी में होगा राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

अहिल्याबाई की जन्म त्रिशती पर उनके पैतृक गॉंव चौंडी में होगा राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

अहिल्याबाई की जन्म त्रिशती पर उनके पैतृक गॉंव चौंडी में होगा राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजनअहिल्याबाई की जन्म त्रिशती पर उनके पैतृक गॉंव चौंडी में होगा राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

पुणे। नवी पेठ में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में महर्षि कर्वे स्त्री शिक्षण संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष रविंद्र देव ने बताया कि पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर के 300वें जयंती वर्ष के अवसर पर चौंडी (जिला अहिल्यानगर) में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। रविवार, 9 फरवरी को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक आयोजित होने वाले सम्मेलन में देश भर की 400 सफल महिलाएं सहभागी होंगी। इस अवसर पर अहिल्यादेवी होलकर त्रि-शताब्दी समारोह समिति के प्रांत संयोजक महेशराव करपे भी उपस्थित रहे।

रविंद्र देव ने कहा कि वर्ष 2025 पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर की जन्म त्रिशती का वर्ष है। इस उपलक्ष्य में उनके पैतृक गांव चौंडी में ‘लोकमाता अहिल्यादेवी होलकर त्रिशती समारोह समिति’ द्वारा विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम का उद्घाटन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (नई दिल्ली) की कुलपति डॉ. शांतिश्री पंडित करेंगी। समापन सत्र को लोकमाता अहिल्यादेवी होलकर त्रिशती समारोह समिति की सचिव कैप्टन मीरा दवे संबोधित करेंगी। उन्होंने कहा कि महर्षि कर्वे स्त्री शिक्षण संस्था कार्यक्रम की सह-आयोजक है।

महेशराव करपे ने कहा कि पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी को अभिवादन और राष्ट्रहित में वैचारिक मंथन के रूप में यह कार्यक्रम होगा। इसमें अहिल्यादेवी के लोक कल्याणकारी सुशासन पर चिन्मयी मुले, धार्मिक कार्य और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य पर डॉ. मालती ठाकुर, अहिल्यादेवी की वास्तुकला पर डॉ. उज्ज्वला चक्रदेव, सामाजिक सुधारों पर डॉ. नयना सहस्रबुद्धे, डॉ. आदिति पासवान और महिला सशक्तिकरण विषय पर नयना सहस्त्रबुद्धे संगोष्ठी में सहभागी होंगी। साथ ही विभिन्न विषयों पर सामूहिक चर्चा, नृत्य नाटिका, अहिल्यादेवी के कार्यों पर प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर प्रशासनिक, धार्मिक, उद्योग, शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व करने वाली महिलाएं उपस्थित रहेंगी। इस पूरे दिन के कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी के जीवन से प्रेरणा लेते हुए विभिन्न भौगोलिक और सामाजिक क्षेत्रों में रचनात्मक कार्यों की योजना और निर्माण करना इसका उद्देश्य है।

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