दूरदर्शन नई लोकप्रियता को जारी रख सकेगा?
यह सही अवसर है, जब दूरदर्शन स्वयं के ओढ़े हुए आवरण से बाहर निकलकर लोगों के रिमोट का प्रिय अंक बन सकता है यदि वह इंडस्ट्री के अच्छे, अनुभवी और भारतीय जनमानस के मूलभूत तत्वों को समझने वाले निर्माता और निर्देशकों को आमंत्रित करे। उन्हें अच्छी कहानियां तराशने और बेहतरीन कार्यक्रम बनाने के लिए प्रोत्साहित करे।
– कुमार नारद
नौ साल का अद्वैत इन दिनों सुबह और शाम दूरदर्शन के चैनल पर प्रसारित होने वाले पौराणिक धारावाहिक रामायण और महाभारत की अधीरता के साथ प्रतीक्षा करता है। दोनों ही धारावाहिक उसे किसी भी कार्टून चैनल से अधिक रुचिकर लगने लगे हैं। दोनों धारावाहिकों के घटनाक्रमों में उसकी रुचि उसके ढेर सारे प्रश्नों से प्रकट होती है। भारतीय परिवारों में ऐसे लाखों बच्चे इन दिनों भारत के ऐतिहासिक गौरवशाली चरित्रों से परिचित हो रहे हैं। भारत के भविष्य की इस नई पीढ़ी के लिए दूरदर्शन ने सही असवर पर बेहतरीन कदम उठाया है। इसके लिए वह साधुवाद का पात्र है। इसके साथ दूरदर्शन ने प्रौढ़ उम्र की पीढ़ी को उस अपराध बोध से भी निश्चित रूप से मुक्ति दिला दी है, जिसमें उन्हें यह बोझ था कि उनके पास अपने बच्चों को भारत के गौरवशाली ऐतिहासिक चरित्रों को पढ़ाने और बताने के लिए समय नहीं है। अब देखने के लिए भी समय है और बच्चों की जिज्ञासा को शांत करने के लिए भी अवसर है।
राजनीति, देशभक्ति और गौरवशाली आर्यावर्त के ऐतिहासिक चित्रण के लिए चंद्र प्रकाश द्विवेदी के धारावाहिक चाणक्य से बेहतर क्या हो सकता है। भारत की राजनीति को समझना है तो चाणक्य से बेहतर कोई पात्र नहीं हो सकता। इन धारावाहिकों से भारतीय दर्शन, ज्ञान, विज्ञान, मूल्य और सुसंस्कृत परंपराओं से परिचित होने का यह स्वर्णिम अवसर युवा पीढ़ी को मिल रहा है।
लॉकडाउन के दौरान ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ के पुन: प्रसारण से दूरदर्शन की टीआरपी आसमान छू रही है। रामायण को एक समय में 5 करोड़ से ज्यादा दर्शकों द्वारा देखा जा चुका है। यह अपने आप में एक अनूठा रिकॉर्ड है। इन पुराने धारावाहिकों की बदौलत डीडी नेशनल ने टीवी रेटिंग की दुनिया में इतिहास रच दिया है। पूरे देश में सभी जॉनर के चैनल्स को पीछे छोड़कर तेरहवें सप्ताह में डीडी नेशनल देश का सबसे लोकप्रिय चैनल बन गया है।
बार्क- यानी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल ने 28 मार्च से 3 अप्रैल तक 13वें सप्ताह की जो रिपोर्ट जारी की है, उसके अनुसार, डीडी नेशनल को इस अवधि में 1.5 मिलियन (पंद्रह लाख) से अधिक इम्प्रेशंस मिले हैं। सभी चैनलों के बीच डीडी नेशनल ने पहला स्थान प्राप्त किया है।
रामायण धारावाहिक में भगवान राम का चरित्र निभा रहे अरुण गोविल एक साक्षात्कार में बताते हैं कि इस धारावाहिक के प्रसारण के बाद उनके पास पाकिस्तान से भी फोन आया करते थे। राम तत्व धर्म, पंथ, जाति और संप्रदायों से परे हर व्यक्ति की आत्मा के बहुत नजदीक है। रामायण के पुनः प्रसारण के बाद रामायण धारावाहिक के सभी पात्रों की लोकप्रियता भी अचानक से बढ़ गई है। राम, लक्ष्मण, सीता पात्रों की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल, सुनील लहरी और दीपिका चिखालिया को ट्विटर पर फॉलो करने वालों की संख्या लाखों में पहुंच गई है।
प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर ने एक ट्वीट के माध्यम से बताया कि दूरदर्शन पर दोबारा प्रसारण के साथ ही रामायण ने हिंदी जीईसी यानी जनरल एंटरटेनमेंट चैनल शो के तहत 2015 के बाद से अभी तक की सबसे अधिकतम रेटिंग पाई है।प्रसार भारती के सूत्रों के अनुसार सिर्फ रामायण और महाभारत के दौरान प्रसारित विज्ञापनों से प्रसार भारती ने अब तक 30 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व प्राप्त कर लिया है। दूरदर्शन इन दिनों रामायण और महाभारत के अतिरिक्त बुनियाद, चाणक्य, शक्तिमान, द जंगल बुक, तहरीर मुंशी प्रेमचंद की, ब्योकेश बख्शी, सर्कस, देख भाई देख, श्रीमान श्रीमती और हम हैं ना जैसे अस्सी-नब्बे के दशक के लोकप्रिय धारावाहिकों का फिर से प्रसारण कर रहा है और इन सभी धारावाहिकों को दर्शकों की अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। वास्तव में देखा जाए, तो हर उम्र का दर्शक साफ-सुथरा और स्वस्थ मनोरंजन पसंद करता है। यह सही है कि मात्र रोचकता ही इनकी लोकप्रियता का आधार नहीं है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार जनमानस में गहराई से उपस्थित सनातन तत्वों को फिर से जानने-समझने और पहचानने की लोगों की जिज्ञासा इन्हें लोकप्रिय बना रही है अन्यथा एचडी क्वालिटी के आधुनिक तकनीक और बेहतरीन फंतासी कहानियों से भरपूर धारावाहिकों, फिल्मों की टीवी के दूसरे चैनलों पर क्या कमी है। यह तथ्य प्रसार भारती को समझने की आवश्यकता है।
इस सुखद विवरण से परे बारहवें सप्ताह पर लौटते हैं। तब यानी 27 मार्च 2020 से पहले तक दूरदर्शन किसी भी जॉनर में शीर्ष दस में नहीं था। राष्ट्रीय प्रसारक होने के नाते यह तथ्य कई सवाल खड़े करता है। प्रसार भारती जैसा स्वायत्त और बड़ा भारी निकाय, अनुभवी कार्यक्रम निष्पादकों, कैमरामैनों की बड़ी फौज के होते हुए भी क्या कारण है कि उनके पास ऐसा कोई भी कार्यक्रम नहीं है जो उसे दर्शकों के बीच लोकप्रिय बना सके। लोगों को बांध सके। क्यों बार बार यह बताने की आवश्यकता पड़ती है कि दूरदर्शन का चैनल इस नंबर पर आता है? इस मामले में आकाशवाणी की प्रशंसा करनी होगी कि उसने अपनी लोकप्रियता को अभी तक बरकरार रखा है। खास कर विविधभारती लोकप्रियता के मामले में अभी तक शीर्ष पर है। इसका कारण है उसमें समयानुकूल और रुचि के अनुसार समय समय पर परिवर्तन। लेकिन दूरदर्शन अपने भारी बोझ से ऐसा करने की हिम्मत अभी तक नहीं जुटा पाया है।
यह सही अवसर है, जब दूरदर्शन स्वयं के ओढ़े हुए आवरण से बाहर निकलकर लोगों के रिमोट का प्रिय अंक बन सकता है यदि वह इंडस्ट्री के अच्छे, अनुभवी और भारतीय जनमानस के मूलभूत तत्वों को समझने वाले निर्माता और निर्देशकों को आमंत्रित करे। उन्हें अच्छी कहानियां तराशने और बेहतरीन कार्यक्रम बनाने के लिए प्रोत्साहित करे। अपने कार्यक्रमों की बेहतरीन मार्केटिंग करे। अच्छे कार्यक्रम किसे अच्छे नहीं लगते।
क्या उम्मीद कर सकते हैं कि लॉकडाउन समाप्ति के बाद भी लोग अपने रिमोट में दूरदर्शन के नेशनल चैनल और डीडी भारती के लिए याद किए नंबरों को नहीं भूलेंगे?