संभल में नहीं लगेगा नेजा मेला, योगी सरकार का कठोर निर्णय

संभल में नहीं लगेगा नेजा मेला, योगी सरकार का कठोर निर्णय

संभल में नहीं लगेगा नेजा मेला, योगी सरकार का कठोर निर्णयसंभल में नहीं लगेगा नेजा मेला, योगी सरकार का कठोर निर्णय

संभल। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नेजा मेला के आयोजन पर रोक लगा दी है। पुलिस-प्रशासन ने मेला कमेटी को कठोर निर्देश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि इस मेले का आयोजन किसी भी हाल में नहीं किया जाएगा। प्रशासन ने कहा कि मसूद गाज़ी जैसे आक्रांता की याद में मेले का कोई औचित्य नहीं है। प्रशासनिक अधिकारियों ने साफ कहा कि नेजा एक लुटेरा था, जिसने सोमनाथ मंदिर को लूटा था। ऐसे में किसी आक्रमणकारी की याद में कोई मेला आयोजित नहीं होगा। सरकार ने चेतावनी दी है कि जो लोग लुटेरे की याद में इस प्रकार के आयोजन करेंगे, उन्हें देशद्रोही माना जाएगा और कठोर कार्रवाई की जाएगी। इस निर्णय के बाद स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है, ताकि कोई भी नियमों का उल्लंघन न कर सके।

नेजा मेले का इतिहास

नेजा मेला उत्तर प्रदेश के संभल जिले में आयोजित होने वाला एक वार्षिक मेला है, जो मुस्लिम आक्रांता सैयद सालार मसूद गाज़ी की याद में आयोजित किया जाता था। मसूद गाजी 1000 से 1027 ईस्वी के दौरान भारत पर 17 बार हमला करने वाले मोहम्मद गजनवी का भांजा और सेनापति था। इसने सोमनाथ समेत भारत के कई मंदिरों को लूटा था। मीरत-ए-मसूदी में बताया गया है कि महमूद गजनवी को सोमनाथ का मंदिर ध्वस्त करने की सलाह गाजी ने ही दी थी। इसी गाजी की याद में संभल में यह मेला होली के दूसरे मंगलवार को आयोजित होता था। इसके पहले मंगलवार को मेले का झंडा और ढाल गाड़ा जाता था। लोग नेजा (पताका) उठाकर जुलूस निकालते थे। इस बार झंडा लगाने की परंपरा 18 मार्च को होनी थी। लेकिन, उसके पहले ही संभल प्रशासन ने इस आयोजन पर रोक लगा दी। ASP श्रीश चंद्र ने बताया कि गजनवी के भांजे मसूद गाजी ने भारत में क्रूरता की थी। ऐसे लुटेरे-हत्यारे की याद में किसी भी मेले की अनुमति नहीं दी जाएगी। यदि कोई कुरीति बरसों से चली भी आ रही है तो उसे बदलने की आवश्यकता है। ASP ने कहा कि किसी भी लुटेरे के प्रति आप कहेंगे, यह बहुत अच्छा है तो यह बिलकुल नहीं माना जाएगा। अगर आप लोग अभी तक कर रहे थे तो यह कुरीति थी और आप अज्ञानता में यह कर रहे थे। अगर जानबूझ कर रहे थे तो आप देशद्रोही थे। मुस्लिम इस बीच दावा करते रहे कि यह मेला लगातार चलता आया है। इसके बाद ASP ने स्पष्ट कर दिया कि सारे ऐतिहासिक तथ्य सालार मसूद की क्रूरता साबित करते हैं। इसलिए यह मेला नहीं लगेगा।

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