पांच समाचार, समाचारों के पीछे छिपे नाम बहुत कुछ कहते हैं

पांच समाचार, समाचारों के पीछे छिपे नाम बहुत कुछ कहते हैं

अजय सेतिया 

पांच समाचार, समाचारों के पीछे छिपे नाम बहुत कुछ कहते हैंपांच समाचार, समाचारों के पीछे छिपे नाम बहुत कुछ कहते हैं

एक दिन के पांच समाचार, चल क्या रहा है, इसका खुलासा करते हैं। पहला समाचार अमेरिका से आया कि 26/11 के मास्टर माइंड तहुव्वर राणा की आखिरी अपील खारिज हो गई है, अब उसे भारत लाया जा सकेगा। 26/11 की घटना 2008 की है, तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। पाकिस्तान मूल के तहुव्वर राणा ने भारत आकर मुम्बई पर आतंकी हमले की रेकी की थी। लेकिन, उसे भारत लाकर क़ानून के सामने खड़ा करने के गंभीर प्रयास 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आरम्भ हुए। इस वर्ष फरवरी में मोदी के प्रयास दिखने शुरू हुए, जब ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद मोदी की उनसे भेंट हुई। मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रंप प्रशासन ने भारत के मोस्ट वांटेड आतंकी तहुव्वर राणा के प्रत्यर्पण को स्वीकृति दी। ट्रंप प्रशासन की घोषणा के बाद वह कोर्ट चला गया था, लेकिन कोर्ट ने मंगलवार को अंतिम निर्णय सुना दिया।

दूसरा समाचार जयपुर से आया। यह घटना भी 2008 की है, जब 13 मई को जयपुर में 8 सीरियल बम धमाके हुए थे। जिनमें 70 से अधिक लोग मारे गए थे, लेकिन अपने देश की कानून व्यवस्था ऐसी है कि आतंकियों के लिए आधी रात को सर्वोच्च न्यायालय खुल जाता है, तो उनका बरी होना कोई बड़ी बात नहीं होती। विशेष अदालत ने सीरियल बम धमाकों के जिम्मेदार सैफुर्रहमान, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सरवर आजमी को फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन, 29 मार्च 2023 को उच्च न्यायालय ने तीनों को बरी कर दिया था। देखिए और सोचिए कि फांसी के बाद सीधा बरी। हालांकि, प्रशासन ने उच्च न्यायालय के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी हुई है। लेकिन, यह मामला अरविंद केजरीवाल जैसा महत्वपूर्ण नहीं है कि सर्वोच्च न्यायालय बाकी सारा काम छोड़कर 70 नागरिकों के हत्यारे आतंकियों को दैनिक आधार पर सुनवाई करके जल्द सजा सुनाएं। लेकिन, इसी मामले में एक और केस था- सीरियल बम धमाकों के दौरान ही एक जिंदा बम बरामद होने का। उस केस में जिला अदालत ने मंगलवार को सैफुर्रहमान, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सरवर आजमी और शाहबाज अहमद को उम्र कैद की सजा सुनाई है। (कई बार अचरज होता है कि 2008 में जयपुर से लेकर मुंबई तक अनेकों अनेक आतंकवादी वारदातें हुई थीं, सैकड़ों निर्दोष मारे गए थे। इसके बावजूद 2009 में यूपीए कैसे चुनाव जीत गई। क्या सचमुच कांग्रेस को चुनाव जितवाने में सोनिया गांधी के खास मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला की अहम भूमिका थी, जिन्हें भारी विरोध के बावजूद 2005 में इस रणनीति से चुनाव आयुक्त बनाया गया था कि 2009 के लोकसभा चनाव के समय वह मुख्य चुनाव आयुक्त रहें। बाद में चुनावों के दौरान ही 21 अप्रैल 2009 में वह मुख्य चुनाव आयुक्त बने और 29 जुलाई 2010 को उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था।

तीसरा समाचार भी जयपुर से आया है। यह हिट एंड रन का केस है। सोमवार (7 अप्रैल) की रात 9:54 बजे एक हुंडई क्रेटा कार ने उन सबको कुचल दिया, जो उस गाड़ी की रेंज में आया। कार ने लगभग एक दर्जन दोपहिया वाहनों को टक्कर मारी और लगभग 10 लोगों को कुचल दिया। हादसे में पांच लोगों की मौत हो चुकी है और छह मौत से जूझ रहे हैं। क्या आप कार चालक का नाम और उसका राजनीतिक रुतबा जानना चाहेंगे, उसका नाम है उस्मान खान और वह जयपुर जिला कांग्रेस कमेटी का उपाध्यक्ष है।

चौथा समाचार पंजाब के जालंधर से आया है। पंजाब भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री मनोरंजन कालिया के घर पर बम से हमला हुआ। जब से पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार आई है, तब से पाकिस्तान और कनाडा की शह पर खालिस्तानियों का आत्मविश्वास चरम पर है। खालिस्तानी पन्नू खुलेआम कह चुका है कि उसने अरविंद केजरीवाल को लाखों डॉलर का चंदा दिया था कि वह पंजाब में सत्ता में आने पर जेलों में बंद खालिस्तानियों को रिहा करेगा। अब, जब वह खालिस्तानियों को रिहा नहीं करवा सका तो पन्नू ने उसे भी ठिकाने लगाने की धमकी दी है। दिल्ली हारने के बाद केजरीवाल पंजाब जाकर बैठ गए हैं, जब से वह पंजाब गए हैं, तब से पंजाब में क़ानून व्यवस्था अधिक बिगड़ गई है। आए दिन पुलिस थानों पर ग्रेनेड फेंकने की घटनाएं हो रही हैं। भगवंत सिंह मान को एक बलि का बकरा मिला हुआ है। वह हर वारदात के पीछे लारेंस बिश्नोई का नाम ले लेते हैं। अब मनोरंजन कालिया के घर पर बम धमाके के लिए जो व्यक्ति पकड़ा गया है, उसका नाम जीशान अख्तर है। वह बाबा सिद्दीकी मर्डर केस में पहले से वांटेड है। शुरू में मामूली धमाका कहने वाली पुलिस ने बाद में माना कि यह पंजाब में धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए सीमा पार से योजनाबद्ध ढंग से किया गया प्रायोजित हमला था।

पांचवां समाचार उत्तर प्रदेश के संभल से आया है। संभल का इतिहास हम सब को पता ही है। संभल एक समय में हिन्दुओं का बहुत बड़ा तीर्थ स्थल था। पुराणों में कहा गया है कि कलयुग के अंत में कल्कि भगवान का जन्म संभल में होगा। इसलिए मुगलकाल से ही संभल को नष्ट करने के उपक्रम चल रहे थे। बाबर के समय हरिहर मंदिर को मस्जिद में बदल दिया गया। स्वाधीनता के बाद से हिन्दू हरिहर मंदिर का केस लड़ रहे हैं। 24 नवंबर को कोर्ट के आदेश पर जब सर्वे टीम सर्वे करने पहुंची, तो अचानक मुसलमानों की एक भीड़ ने सुरक्षा के लिए तैनात पुलिस पर हमला बोल दिया। पुलिस को गोली चलानी पड़ी, जिसमें तीन दंगाई मारे गए। पुलिस पर हमले का षड्यंत्र समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल ने रचा था। जियाउर्रहमान बर्क मंगलवार को एसआईटी के सामने पेश हुए, स्वयं को निर्दोष बताया, जबकि पुलिस के पास रिकॉर्ड है कि वह मुसलमानों को उकसाने वाले संदेश भेज रहा था।

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