जीवन से जो हार न माने क्रांति दूत बन जाता है
भानुजा श्रुति
आघातों का दंश झेल कर
व्यक्ति सफल हो जाता है
जीवन से जो हार न माने
क्रांति दूत बन जाता है।
अपना जीना प्रति पल ही तो
यश अपयश का खेला है
शिखरों को छूलें हम कैसे
अंतर्मन में मेला है।
कदम सुदृढ़ जब होते जाएं
मार्ग सरल हो जाता है
आह्वान शक्ति का कर
कंकर शंकर बन जाता है।
अर्जुन जैसे युद्ध भूमि में
किंकर्तव्यविमूढ़ न हों
गिरधर का वचनामृत पी कर
क्यों रथ पर आरूढ़ न हों।
सांसों का अनमोल खज़ाना
साहस से न रिक्त करें
मृत्यु समक्ष कभी न हारें
मन प्रेमांजलि सिक्त करें।
Wonderful expression. Hinduism beautifully incorporated in the poem. The words express wisdom of the poet who has seen life and gained from it
अति उत्तम ???
अति सुंदर रचना